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सूरजपुर में करंट लगाकर बाघ का शिकार: मारने के बाद नाखून-दांत-जबड़ा उखाड़कर ले गए शिकारी, हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

सूरजपुर में करंट से बाघ के शिकार के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। PCCF से व्यक्तिगत शपथपत्र मांगा गया है। लगातार बाघ, तेंदुआ और बाइसन के शिकार से वन्यजीव सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।

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Shashank Kumar
CG Tiger Poaching Case

CG Tiger Poaching Case Photograph: (CG Tiger Poaching Case)

CG Tiger Poaching Case: छत्तीसगढ़ में वन्यजीवों के शिकार की लगातार सामने आ रही घटनाओं को लेकर हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। सूरजपुर जिले के गुरु घासीदास–तैमोर–पिंगला टाइगर रिजर्व अंतर्गत घुई वन परिक्षेत्र में करंट लगाकर बाघ के शिकार के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई शुरू की है। डिवीजन बेंच ने इस मामले को गंभीर मानते हुए प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (PCCF) से व्यक्तिगत शपथपत्र के साथ जवाब मांगा है।

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15 दिसंबर को मिली थी बाघ की लाश

यह मामला 15 दिसंबर को सामने आया, जब घुई वन परिक्षेत्र में एक बाघ मृत अवस्था (Surajpur Tiger Death) में मिला। अगले दिन वन विभाग की निगरानी में पोस्टमार्टम किया गया, जिसमें बाघ की मौत करंट लगने से होने की पुष्टि हुई। जांच के दौरान यह भी सामने आया कि शिकारियों ने बाघ के दांत, नाखून और जबड़ा उखाड़कर ले गए थे। बाघ के शरीर पर जलने के गहरे निशान मिले, जिससे शिकार की क्रूरता और संगठित अपराध की आशंका और मजबूत हो गई।

हाईकोर्ट ने उठाए वन्यजीव सुरक्षा पर गंभीर सवाल

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बी.डी. गुरु की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के दौरान राज्य शासन और वन विभाग से पूछा कि प्रदेश में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए क्या ठोस इंतजाम किए गए हैं। अदालत ने यह भी जानना चाहा कि भविष्य में इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए विभाग की क्या कार्ययोजना है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि वन्यजीवों की हत्या केवल कानून व्यवस्था का नहीं, बल्कि पर्यावरण और जैव विविधता का भी गंभीर मुद्दा है।

पहले से चल रही जनहित याचिका के बीच नया मामला

प्रदेश में वन्यजीव शिकार की घटनाओं को लेकर हाईकोर्ट में पहले से ही एक जनहित याचिका पर सुनवाई चल रही है। पिछली सुनवाई 10 दिसंबर को हुई थी, जिसमें राज्य सरकार ने दावा किया था कि हाल के दिनों में शिकार की कोई नई घटना सामने नहीं आई है। इसके बाद मामले की अगली सुनवाई मार्च 2026 के लिए तय की गई थी। लेकिन सूरजपुर में बाघ के शिकार की घटना ने शासन के दावों पर सवाल खड़े कर दिए, जिसके बाद हाईकोर्ट को फिर से हस्तक्षेप करना पड़ा।

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खैरागढ़-डोंगरगढ़ और कबीरधाम में भी शिकार की घटनाएं

CG Tiger Poaching Case (3)
CG Tiger Poaching Case

सूरजपुर की घटना से पहले खैरागढ़ और डोंगरगढ़ के बीच बनबोद जंगल में एक वयस्क तेंदुए का बेरहमी से शिकार किया गया था। उस मामले में भी तेंदुए के पंजे, नाखून और जबड़े के दांत निकालकर ले जाने की पुष्टि हुई थी। वहीं, कबीरधाम जिले के मोतीनपुर और बोटेसूर गांव के बीच जंगल में तेंदुए की सड़ी-गली लाश मिलने से वन विभाग में हड़कंप मच गया। प्रारंभिक जांच में वहां भी करंट लगाकर शिकार की आशंका जताई गई।

बाइसन की मौतों ने बढ़ाई चिंता

इसी कड़ी में भोरमदेव अभ्यारण्य के जामपानी क्षेत्र में करंट की चपेट में आने से दो बाइसन की मौत का मामला भी सामने आया है। बीते दो महीनों में चार बाइसन की मौत हो चुकी है। इन घटनाओं ने वन्यजीव संरक्षण व्यवस्था की पोल खोल दी है। कई मामलों में बीट गार्ड पर कार्रवाई और आरोपियों की गिरफ्तारी जरूर हुई है, लेकिन शिकार की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।

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वन्यजीव संरक्षण पर फिर खड़े हुए सवाल

लगातार सामने आ रही इन घटनाओं ने छत्तीसगढ़ में वन्यजीव सुरक्षा, निगरानी तंत्र और वन विभाग की जवाबदेही पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं। हाईकोर्ट की सख्ती से अब उम्मीद की जा रही है कि केवल कागजी कार्रवाई नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर ठोस और प्रभावी कदम उठाए जाएंगे, ताकि बाघ, तेंदुआ और अन्य संरक्षित वन्यजीवों को शिकारियों से बचाया जा सके।

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CG Tiger Poaching Case Surajpur Tiger Death PCCF
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