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रायपुर में SBI चीफ मैनेजर गिरफ्तार: इंटरनल अकाउंट से की करोड़ों की हेरा-फेरी, 2.78 करोड़ रुपये ट्रेडिंग में उड़ाए

एसबीआई रायपुर की स्पेशलाइज्ड करेंसी मैनेजमेंट शाखा में करोड़ों रुपये के गबन का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इंटरनल सस्पेंस अकाउंट से 2.78 करोड़ रुपये की अवैध निकासी करने वाले चीफ मैनेजर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।

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Harsh Verma
cg news (43)

Raipur SBI Scam: भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की रायपुर स्थित स्पेशलाइज्ड करेंसी मैनेजमेंट शाखा (SCAB) में करोड़ों रुपये के गबन का मामला सामने आने के बाद बैंकिंग सिस्टम की आंतरिक सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। इस मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया रायपुर के चीफ मैनेजर विजय कुमार आहके को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय रायपुर की शिकायत पर अपराध पंजीबद्ध किया गया था, जिसके बाद पुलिस ने विवेचना शुरू की।

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संवेदनशील शाखा का प्रमुख था आरोपी

आरोपी विजय कुमार आहके एसबीआई की उस शाखा का प्रमुख था, जो अन्य शाखाओं को नकदी उपलब्ध कराने और कैश मैनेजमेंट जैसे बेहद संवेदनशील कार्यों की जिम्मेदारी संभालती है। जांच में सामने आया कि उसने बैंक के एक महत्वपूर्ण इंटरनल ऑफिस अकाउंट, जिसे सस्पेंस अकाउंट कहा जाता है, का दुरुपयोग किया। इस अकाउंट की कोई तय सीमा नहीं होती, इसी कमजोरी का फायदा उठाकर आरोपी ने इसे ब्लैंक चेक की तरह इस्तेमाल किया।

आठ महीने में 2.78 करोड़ रुपये की अवैध निकासी

पुलिस जांच के अनुसार आरोपी ने करीब आठ महीनों के भीतर योजनाबद्ध तरीके से 2,78,25,491 रुपये की अवैध निकासी की। यह रकम उसने अपने और अपनी पत्नी के बैंक खातों में ट्रांसफर करवाई। शुरुआती दौर में उसने कम संख्या में फर्जी एंट्रियां कीं, लेकिन बाद में इनकी संख्या बढ़ती चली गई।

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रेड फ्लैग सिस्टम को किया बायपास

बैंकिंग सिस्टम में किसी भी गड़बड़ी को पकड़ने के लिए रेड फ्लैग इंडिकेटर (RFI) जैसी व्यवस्थाएं होती हैं। नियमों के अनुसार 30 दिनों के भीतर इन एंट्रियों की समीक्षा होनी चाहिए थी, लेकिन आरोपी ने समय से पहले ही फर्जी एंट्रियों का रोलओवर कर दिया। इससे सिस्टम में कोई अलर्ट जनरेट नहीं हो सका। जांच एजेंसियों का मानना है कि यह एक सुनियोजित धोखाधड़ी थी।

सहकर्मियों की लापरवाही भी जांच के घेरे में

इस पूरे मामले में यह भी सामने आया है कि किसी भी सहकर्मी या सुपरवाइजरी अधिकारी ने इन फर्जी एंट्रियों को समय रहते नहीं पकड़ा। यह ड्यू डिलिजेंस की गंभीर कमी को दर्शाता है। पुलिस अब इस पहलू की भी जांच कर रही है कि क्या अन्य अधिकारी भी इस गबन में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शामिल थे।

क्रिप्टो और ट्रेडिंग में लगाया सरकारी पैसा

जांच में खुलासा हुआ है कि आरोपी ने गबन की गई राशि को क्रिप्टो करेंसी, ऑप्शन्स और कमोडिटी ट्रेडिंग में निवेश किया। इसके लिए उसने धन एप और डेल्टा एक्सचेंज जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया। पुलिस ने आरोपी के घर से महत्वपूर्ण दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य भी जब्त किए हैं।

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पर्याप्त सबूत मिलने के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया है। पुलिस का कहना है कि इस मामले में अन्य अधिकारियों की भूमिका को लेकर पूछताछ और आगे की विवेचना लगातार जारी है।

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