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शीतकालीन-सत्र में गृहमंत्री पेश करेंगे धर्मांतरण संशोधन विधेयक
CG Conversion Amendment Bill : छत्तीसगढ़ विधानसभा का शीतकालीन सत्र (CG Assembly Winter Session) 14 से 17 दिसंबर तक चलेगा और इस बार सबसे अहम विषय धर्मांतरण संशोधन विधेयक होगा। गृहमंत्री विजय शर्मा ने पुष्टि की है कि सरकार यह महत्वपूर्ण बिल इसी सत्र में पेश करेगी। राज्य में बढ़ते धर्म परिवर्तन विवादों और सामाजिक तनाव को देखते हुए सरकार एक सख्त और स्पष्ट कानून लाने की तैयारी में है।
धर्म बदलने से 60 दिन पहले देनी होगी जानकारी
22 नवंबर को मीडिया से बातचीत में गृहमंत्री विजय शर्मा (home minister vijay sharma) ने कहा कि प्रस्तावित विधेयक धार्मिक स्वतंत्रता का सम्मान करते हुए धर्मांतरण की प्रक्रिया को कानूनी रूप से नियंत्रित करेगा। नए नियमों के तहत कोई भी व्यक्ति यदि धर्म बदलना चाहता है, तो उसे 60 दिन पहले प्रशासन को सूचना देनी होगी। बिना सूचना और निर्धारित प्रक्रिया के बाहर किया गया धर्म परिवर्तन मान्य नहीं माना जाएगा।
9 राज्यों की स्टडी और 52 बैठकों के बाद ड्राफ्ट तैयार
धर्मांतरण संशोधन विधेयक (Religious Freedom Act CG) का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए गृह विभाग ने व्यापक अध्ययन किया है। गृहमंत्री के नेतृत्व में 52 बैठकें आयोजित हुईं और देश के 9 राज्यों (झारखंड, यूपी, एमपी, गुजरात, ओडिशा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल और कर्नाटक) के धर्मांतरण अधिनियमों का गहन विश्लेषण किया गया।इन कानूनों की खामियों और सफलताओं को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ के लिए एक नया, मजबूत और व्यावहारिक मॉडल तैयार किया गया है।
जबरन धर्म परिवर्तन पर कड़ी सजा का प्रावधान
नए विधेयक में जबरन, दबाव, लालच, धोखाधड़ी या किसी और तरह के प्रभाव से कराए गए धर्म परिवर्तन पर सख्त दंड का प्रावधान होगा। ऐसे मामलों में जेल के साथ-साथ भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है। सरकार का मानना है कि यह कानून धार्मिक स्वतंत्रता सुनिश्चित करेगा, लेकिन अवैध गतिविधियों पर रोक लगाएगा।
आदिवासी इलाकों में बढ़ते तनाव से कानून की जरूरत बढ़ी
छत्तीसगढ़ के बस्तर, जशपुर, रायगढ़ और सरगुजा क्षेत्रों में लंबे समय से धर्मांतरण को लेकर विवाद जारी हैं। कई बार यह विवाद हिंसक झड़पों में भी बदल चुका है, खासकर नारायणपुर और उसके आसपास के इलाकों में।
आदिवासी समुदाय और धर्म परिवर्तन कर चुके आदिवासियों के बीच तनाव के कारण कानून-व्यवस्था की स्थिति भी बिगड़ी है। ऐसे हालात में सरकार मानती है कि धार्मिक स्वतंत्रता और सामाजिक संतुलन बनाए रखने के लिए एक व्यवस्थित कानून जरूरी है।
अभी क्यों मुश्किल है धर्मांतरण की प्रक्रिया?
राज्य में वर्तमान में धर्मांतरण की प्रक्रिया को वैधानिक रूप से परिभाषित करने वाला कोई स्पष्ट नियम नहीं है। लोग किसी धर्म को अपनाने के बाद केवल उसकी पूजा-पद्धति मानकर स्वयं को उसका अनुयायी घोषित कर देते हैं। प्रस्तावित कानून के लागू होने के बाद यह प्रक्रिया केवल कलेक्टर को पूर्व सूचना और कानूनी प्रक्रियाओं के बाद ही वैध मानी जाएगी।
गृह विभाग का कहना है कि इस कानून का उद्देश्य धार्मिक स्वतंत्रता सीमित करना नहीं, बल्कि धर्मांतरण प्रक्रिया को पारदर्शी और विवाद-मुक्त बनाना है। सरकार चाहती है कि धर्म बदलने का निर्णय व्यक्तिगत इच्छा से हो, न कि बाहरी प्रभाव, प्रलोभन, धमकी या प्रचार के जरिए।
शीतकालीन सत्र में होगी बड़ी बहस
विधानसभा के आगामी सत्र में इस विधेयक पर बड़ी बहस की संभावना है। विपक्ष इस कानून को लेकर सरकार से कई सवाल भी पूछ सकता है, लेकिन सरकार का दावा है कि यह कानून सामाजिक सौहार्द और पारदर्शिता के लिए अत्यंत आवश्यक है।
छत्तीसगढ़ सरकार का यह कदम राज्य की सामाजिक व्यवस्था और कानून-व्यवस्था में बड़ा बदलाव ला सकता है। अब नजरें शीतकालीन सत्र पर हैं, जहां इस विधेयक को लेकर गरमागरम चर्चा होने के आसार हैं।
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