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बिलासपुर सिम्स की बदहाली पर हाईकोर्ट सख्त: स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका में सुनवाई, CGMSC को दस्तावेज पेश करने के निर्देश

बिलासपुर स्थित छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान सिम्स की बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्थाओं और मशीनों की कमी को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में सुनवाई शुरू की है।

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Harsh Verma
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Bilaspur High Court

Chhattisgarh High Court: बिलासपुर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान सिम्स (SIMS) की बदहाली अब न्यायिक चिंता का विषय बन गई है। अस्पताल में मशीनों की कमी, खराब उपकरण और मरीजों के उपचार में आ रही दिक्कतों को लेकर प्रकाशित समाचारों का संज्ञान लेते हुए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने स्वतः जनहित याचिका दर्ज की है।

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यह मामला लंबे समय से अदालत में विचाराधीन है और इसे आम जनता के स्वास्थ्य से जुड़ा गंभीर विषय मानते हुए हाईकोर्ट लगातार निगरानी कर रहा है।

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डिवीजन बेंच में हुई सुनवाई

मंगलवार को इस मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश (Chief Justice) और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु (Justice B.D. Guru) की डिवीजन बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन (CGMSC) की ओर से स्थिति से अदालत को अवगत कराया गया।

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CGMSC के प्रबंध निदेशक ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से बताया कि सिम्स में जरूरी मशीनों और उपकरणों की खरीदी के लिए टेंडर प्रक्रिया (Tender Process) जारी है और इसके तहत दावा-आपत्ति (Claim & Objection) भी आमंत्रित की गई है।

टेंडर प्रक्रिया अंतिम चरण में : CGMSC

अदालत को बताया गया कि दावा-आपत्तियों के निराकरण की प्रक्रिया चल रही है और इसे जल्द पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद अस्पताल में मशीनों की स्थापना और मरम्मत से जुड़ा काम पूरा किया जाएगा, जिससे मरीजों को बेहतर इलाज मिल सकेगा।

CGMSC की ओर से यह भी कहा गया कि प्रक्रिया में तेजी लाई गई है, ताकि सिम्स में लंबे समय से चली आ रही अव्यवस्थाओं को दूर किया जा सके।

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हाईकोर्ट ने दिए सख्त निर्देश

इस पर मुख्य न्यायाधीश ने CGMSC को स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि केवल मौखिक आश्वासन पर्याप्त नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अगली सुनवाई तक टेंडर प्रक्रिया को समाप्त कर सभी संबंधित दस्तावेजों के साथ अदालत में पेश होना होगा।

हाईकोर्ट ने जनवरी के दूसरे सप्ताह में अगली सुनवाई तय करते हुए यह साफ कर दिया है कि मरीजों के इलाज में देरी और संसाधनों की कमी को गंभीरता से लिया जाएगा।

पहले भी उठ चुके हैं सवाल

गौरतलब है कि सिम्स में मशीनों की खराब स्थिति, जांच में देरी और मरीजों को निजी जांच केंद्रों की ओर भेजे जाने जैसे मुद्दे पहले भी सामने आते रहे हैं। पिछली सुनवाई में भी CGMSC ने टेंडर की जानकारी दी थी, लेकिन अदालत ने अब समय-सीमा में ठोस कार्रवाई की अपेक्षा जताई है।

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