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GPM District Hospital Violence: छत्तीसगढ़ के गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही जिले के जिला अस्पताल में शनिवार रात उस समय अफरा-तफरी मच गई, जब सड़क दुर्घटना में घायल मरीजों के साथ बड़ी संख्या में पहुंचे लोगों ने इमरजेंसी वार्ड में जमकर हंगामा किया। आरोप है कि मरीजों के परिजनों और उनके साथ आई भीड़ ने ऑन ड्यूटी महिला डॉक्टरों, अस्पताल स्टाफ और सुरक्षा कर्मियों के साथ गाली-गलौज और मारपीट की। घटना के बाद से महिला डॉक्टरों में भय का माहौल है।
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सड़क हादसे के बाद अस्पताल में बढ़ा तनाव
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जानकारी के मुताबिक, शुक्रवार रात भर्रीडाँड़, मरवाही निवासी दुर्गेश रजक, ईश्वर और विवेक सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे। तीनों को जिला अस्पताल लाया गया, जहां जांच में दुर्गेश रजक को मृत घोषित किया गया। अन्य दो घायल मरीज भारी शराब के नशे में बताए गए, जिनका प्राथमिक उपचार किया गया।
इन मरीजों के साथ आए अटेंडर—सुनील रजक, मनीष रजक, संतोष रजक और प्रमोद रजक—भी नशे में थे। आरोप है कि वे बार-बार महिला डॉक्टरों पर मरीजों को तुरंत देखने का दबाव बना रहे थे, जबकि उसी समय इमरजेंसी में 90 से अधिक मरीज मौजूद थे।
महिला डॉक्टरों से बदसलूकी और मारपीट का आरोप
अस्पताल सूत्रों के अनुसार, महिला डॉक्टरों ने मरीजों की स्थिति स्थिर बताते हुए प्राथमिक उपचार की जानकारी दी, लेकिन इसके बावजूद अटेंडरों ने अभद्र भाषा का प्रयोग शुरू कर दिया। बात बढ़ते-बढ़ते धक्का-मुक्की और मारपीट तक पहुंच गई। आरोप है कि इमरजेंसी वार्ड में हंगामा करते हुए अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ नारेबाजी भी की गई।
काम करने से मना, थाने पहुंची डॉक्टरों की टीम
घटना से आहत और भयभीत महिला डॉक्टरों ने ड्यूटी करने से मना कर दिया। इसके साथ ही जिला अस्पताल के अन्य डॉक्टरों और पीड़ित सुरक्षा कर्मियों ने गौरेला थाना पहुंचकर आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
प्रशासन की प्रतिक्रिया
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन देवेंद्र पैकरा ने बताया कि मरीजों के साथ आए लोगों ने डॉक्टरों, स्टाफ और सुरक्षा कर्मियों से बदतमीजी और मारपीट की है। इसी कारण डॉक्टर और स्टाफ डरे हुए हैं और सभी ने थाने जाकर शिकायत दी है।
मामले पर श्याम सिदार ने बताया कि इलाज से असंतुष्ट होकर अस्पताल में हंगामा और बदसलूकी की गई। शिकायत के आधार पर चार लोगों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली गई है और आगे की जांच जारी है।
सुरक्षा और सम्मान पर सवाल
इस घटना ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था और डॉक्टरों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। खासकर महिला डॉक्टरों के साथ हुई बदसलूकी ने स्वास्थ्यकर्मियों में असुरक्षा की भावना बढ़ाई है। अस्पताल प्रशासन ने मांग की है कि इमरजेंसी वार्ड में सुरक्षा बढ़ाई जाए और ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, ताकि डॉक्टर बिना भय के मरीजों की सेवा कर सकें।
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