
Ayodhya Ram Mandir: देश में कपड़े का हब कहे जाने वाले गुजरात के सूरत शहर में तैयार की गयी एक विशेष साड़ी को 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह के लिए भेजा जाएगा।
शबरी की आस्था प्रभु श्रीराम को उनकी कुटिया तक ले आई थी। कुछ वैसी ही आस्था धनबाद की सरस्वती देवी की भी है। श्रीराम उनके घर तो नहीं जाएंगे, लेकिन वह अयोध्या जाकर 22 जनवरी को मौनव्रत जरूर तोड़ेंगी।
अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के लिए सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी उत्साह देखा जा रहा है। रिपोर्ट्स की मानें तो न्यूयार्क के प्रसिद्ध टाइम्स स्क्वायर पर भी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का लाइव प्रसारण किया जाएगा। इसके अलावा भी भारतीय दूतावासों और कांसुलेट में राम मंदिर की लाइव स्ट्रीमिंग की जानी है।
प्राण-प्रतिष्ठा का लाइव प्रसारण
अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का सीधा प्रसारण देश में ही नहीं विदेश में भी होगा। अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में प्रसिद्ध टाइम्स स्क्वायर पर भी इसका सीधा प्रसारण होगा।
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सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, प्राण-प्रतिष्ठा का प्रसारण विभिन्न देशों में भारतीय दूतावासों में भी किया जाएगा।
भगवान राम की तस्वीर वाली साड़ी जाएगी अयोध्या
सूरत में कपड़ा उद्योग से जुड़े कारोबारी ललित शर्मा ने कहा कि इस साड़ी पर भगवान राम और अयोध्या मंदिर की तस्वीरें उकेरी गयी हैं और इसे भगवान राम की पत्नी सीता के लिए तैयार किया गया है और इसे रविवार को यहां एक मंदिर में अर्पित किया गया।
शर्मा से विचार-विमर्श कर साड़ी तैयार करने वाले कपड़ा कारोबारी राकेश जैन ने कहा कि यह वस्त्र माता जानकी के लिए बनाया गया है और इसे उत्तर प्रदेश के अयोध्या शहर में मंदिर के लिए भेजा जाएगा।
शर्मा ने साड़ी भेजने की किसी तारीख का उल्लेख नहीं किया लेकिन कहा कि यह 22 जनवरी से पहले अयोध्या पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा, ‘‘पूरी दुनिया में खुशी का माहौल है क्योंकि भगवान राम का कई वर्षों बाद अयोध्या मंदिर में अभिषेक किया जा रहा है।
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माता जानकी और भगवान हनुमान सबसे ज्यादा प्रसन्न हें।’’ शर्मा ने कहा, ‘‘उनकी खुशी साझा करते हुए हमने एक विशेष साड़ी तैयार की है जिस पर भगवान राम और अयोध्या मंदिर की तस्वीरें उकेरी गयी हैं।
यह साड़ी अयोध्या में राम मंदिर के लिए भेजी जाएगी।’’ शर्मा ने कहा कि अगर उन्हें कोई अनुरोध मिलता है तो वे भगवान राम के उन सभी मंदिरों में निशुल्क यह साड़ी भेजेंगे जहां माता जानकी भी विराजमान हैं।
धनबाद की सरस्वती देवी की आस्था
शबरी की आस्था प्रभु श्रीराम को उनकी कुटिया तक ले आई थी। कुछ वैसी ही आस्था धनबाद की सरस्वती देवी की भी है। श्रीराम उनके घर तो नहीं जाएंगे, लेकिन वह अयोध्या जाकर 22 जनवरी को मौनव्रत जरूर तोड़ेंगी।
करमटांड़ निवासी 85 वर्षीय सरस्वती अग्रवाल ने 30 साल पहले मौन व्रत का संकल्प लिया था। प्रण किया था कि जब तक अयोध्या में राम मंदिर नहीं बनता, वह नहीं बोलेंगी।
22 जनवरी को अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के दिन ‘राम, सीताराम’ कहकर वह मौनव्रत तोड़ेंगी।
प्रभु राम के चरणों में अपना जीवन समर्पित करने वाली सरस्वती अग्रवाल का अधिकतर समय अयोध्या में ही बीतता है। मंदिर बनने से वह बेहद खुश हैं। लिख कर बताती हैं, ”मेरा जीवन धन्य हो गया।
रामलला ने मुझे प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए बुलाया है। मेरी तपस्या, साधना सफल हुई। 30 साल के बाद मेरा मौन ‘राम नाम’ के साथ टूटेगा।
राजनांदगांव शहर में है सीताराम बैंक
राजनांदगांव शहर से बाहर स्थित पार्रीनाला से लगा हुआ सिद्धपीठ मंदिर जिसे शिव - हनुमान मंदिर है जिसे सीताराम बैंक के नाम से जाना जाता है । जहां भक्त सीताराम लिखने के लिए आते हैं।
पहले पन्ने पर 1008 और उसी पन्ने के पिछे 1008 बार सीताराम सीताराम लिख कर एक प्रकार से जाप करते हैं और ऐसे हजारो - सैकड़ो पन्ने पर लिख कर इस सीताराम बैंक में जमा किया करते आ रहे हैं ।
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जब सीताराम लिखे हुए कई बंडल बन जाते हैं तो फिर इसे अयोध्या में जमा करने भेजा जाता है । यह परंपरा लगभग 35 वर्षो से अनवरत् लगातार चली आ रही है ।
बताया जाता है कि आज से लगभग सौ वर्षों पूर्व पिपल पेड़ के नीचे बाबा झाड़ू राम यहा पर पूजा पाठ तंत्र - मंत्र कर जाप किया करते थे क्यूकि इस जगह को सिद्धपीठ माना जाता है । इस पूरे परिसर में शिव जी के मंदिर पर गुबंज पर बेलपत्र की छाव हमेशा रहती है ।
साथ ही सामने पंचमुखी हनुमान जी का मंदिर स्थित है । वही इस मंदिर में शमशान घाट के बगल में एक छोटी सी नदी भी बहती रहती है । हरा भरा जंगल भी पहले हुआ करता था , जो सिद्धपीठ के लिए जो पर्याप्त मापदण्डो की पूर्ति करती है ।
जैसे - जैसे समय बीतता गया , लोग अब यहां पर सीताराम लेखन के लिए कम आते हैं , लेकिन आज भी यह परपंरा अनवरत् जारी है । लेकिन आज भी कुछ भक्त अपने खाते का सीताराम पर्चा अपने घर से लिखकर लाते हैं और अपनी इस पूंजी को जमा करते हैं। तो कुछ भक्त इसी मंदिर परिसर में अपने सीताराम की कमाई को लिखकर जमा करते हैं ।
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