खंडवा। खंडवा को ट्रांसपोर्ट नगर बनाने और बसाने की प्रक्रिया 26 साल से चल रही है। लेकिन, अब तक न तो ट्रांसपोर्ट नगर बन पाया है और न ही बस पाया है। यहां बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं।
शहर में यातायात का दबाव 26 साल में 4 गुना से अधिक हो गया है,पर सालों पहले की प्लानिंग आज भी जमीन पर नही आ पाई है। बड़ी गाड़ियों ने यहां कई बार लोगों की जान तक ले ली है।पर जिम्मेदार है कि जागने को तैयार ही नही।
अब एक बार फिर उम्मीद की किरण जागी है। क्योंकि, नगर निगम को रेरा की अनुमति मिल गई है। इसकी वजह से अब तक प्लॉट आवंटन अटका हुआ था। अब यहां प्लॉट आवंटन के लिए नीलामी होगी। लेकिन यहां के अव्यवस्थित विकास की वजह से इसके रोड़े अभी दूर नहीं हुए हैं।
आखिर क्या है अडंगा ?
खंडवा शहर की मुख्य सड़कों पर भारी वाहनों का दबाव है। यहां शहर के बाजारों में कहीं मैकेनिक की दुकान है तो कहीं ऑटो पार्ट्स का साजो सामान है। ट्रक भी शहरी क्षेत्र में ही पार्क होते हैं।
दरअसल 1997 में शहर की पहली महापौर अणिमा उबेजा के कार्यकाल में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पहली बार यहां का भूमि पूजन किया था। सड़क, नाली के कुछ काम हुए और फिर छोटे झाड़ की जमीन होने की आपत्ती आई और काम रुक गया। जिसके बाद तत्कालीन महापौर भावना शाह ने प्रयास किए।
नगर निगम ने 3 करोड़ 56 लाख रुपए और 50 एकड़ जमीन वन विभाग को देकर यहां की जमीन ली। पिछली परिषद में तत्कालीन महापौर सुभाष कोठारी ने यहां का काम शुरू कराया था। अब वर्तमान महापौर अमृता यादव ने रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी यानी रेरा की अनुमति के लिए प्रयास किए और वह मिल भी गई। महापौर खुश है और जल्द प्रक्रिया पूरी करने की बात कह रही हैं। साथ ही शहर को सौगात देने का दावा कर रही हैं।
ट्रांसपोर्ट नगर से खुश नहीं लोग
ट्रांसपोर्टर की तरह ही ऑटो पार्ट्स और मैकेनिक एसोसिएशन के सदस्य भी यहां तैयार किए गए ट्रांसपोर्ट नगर से खुश नहीं है। इनका कहना है कि कोई मॉडल तैयार होता और फिर वहां हमें बसाया जाता तो हमें जाने में कोई समस्या नहीं। लेकिन, निगम के जिम्मेदारों के पास कोई पुख्ता प्लान नहीं हैं।
इधर, महापौर का कहना है कि हम ट्रांसपोर्टर, मैकेनिक और ऑटो पार्ट्स संचालकों के साथ बैठकर मीटिंग करेंगे और हल निकालेंगे।
खंडवा में 26 साल में एक ट्रांसपोर्ट नगर नहीं बस पाया और आगे भी यह कब तक बसेगा।इसका कोई भरोसा भी नहीं है। ऐसे में लोग ट्रैफिक-पार्किंग की समस्या से जूझते रहेंगे और कई बार भारी वाहनों की वजह से हादसे का शिकार भी होते रहेंगे। उम्मीद ही कर सकते हैं कि ट्रांसपोर्ट नगर जल्द बसें और इन समस्याओं का समाधान हो।
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