नई दिल्ली। Vastu Tips हमारे घर में रखी जाने वाली हर चीज के लिए वास्तु में एक नियम होता है। ऐसे ही घर में जल की व्यवस्था कैसी हो? इसके लिए भी वास्तु में कुछ नियम सुझाए गए हैं। चलिए जानते हैं ज्योतिषाचार्यों के अनुसार वास्तु में इसके लिए क्या नियम हैं।
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क्या कहता है वास्तु — Vastu Tips:
कई बार ऐसा होता है कि हमें ज्ञान की कमी के चलते हम कभी भी पानी के भंडारण की व्यवस्था कर लेते हैं। पर ये गलत है। वास्तु में इसके कुछ नियम भी सुझाए गए हैं। किसी भी भवन का निर्माण शुरू करने से पहले वहां पानी की टंकी या बोरिंग की जरूरत पड़ती है।
वास्तु में इस दिशा में होना चाहिए पानी का स्थान — Vastu Tips:
गौरतलब है जल एक प्रकृतिक से प्राप्त स्तोत्र है। जिसके बिना जीवन असंभव है। शरीर को इसकी सबसे अधिक जरूरत होती है। वास्तु के नियम के अनुसार जलीय व्यवस्था यानि पानी को रखने की व्यवस्था ईशान यानी कि उत्तर पूर्व दिशा में होनी चाहिए। वो इसलिए क्योंकि पूर्व से सूर्य का उदय होता है। दरअसल जब सूर्य की किरणें जल पर पड़ती है तो उसकी प्रकृति शुद्ध हो जाती है और सूर्य की किरणों की ऊर्जा भी कई गुना बढ़ जाती है। कुआं, टंकी और बोरिंग यानी जलीय व्यवस्था के वास्तु में कुछ नियम है जो कि इस प्रकार है।
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वास्तु का नियम – Vastu Tips:
- वास्तु शास्त्रियों की मानें तो जलीय व्यवस्था के लिए सबसे सही स्थान ईशान कोण माना जाता है। अगर आप भी ऐसा करते हैं तो परिवार के मुखिया और लोगों की समृद्धि होती रहती है।
- यदि आप भूखंड के पूर्वी भाग में जलीय व्यवस्था करते हैं तो ऐसे में आपको सुख शांति के साथ—साथ धन की प्राप्ति होती है।
- इसके विपरीत यदि आप आग्नेय कोण में जलीय व्यवस्था करते हैं तो इस कंडीशन में मुखिया के पुत्र को कष्ट होता है।
- अगर आप भूखंड की दक्षिण दीक्षा में पानी का संग्रहण करते हैं तो उस घर में रहने वाली स्त्री को कष्ट झेलना पड़ता है।
- इसी तरह यदि आप नैऋत्य कोण में पानी रखने की व्यवस्था कर रहे हैं तो उस घर के स्वामी के लिए यह स्थान मृत्यु तुल्य कष्ट के समान होता है।
- अगर भूखंड के वायव्य कोण में जलीय व्यवस्था की जाए तो उस घर को शत्रुओं से हानि होती है।
- पुत्र का सुख पाना चाहते हैं तो इस कंडीशन में आपको मकान के पश्चिम भाग में भी जलीय व्यवस्था रखना चाहिए।
- यदि भूखंड के उत्तरी भाग में जलाशय होता है तो घर के सभी लोगों की समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है।
- किसी भी ज़मीन के मध्य भाग को ब्रह्म स्थान कहा गया है। ऐसे में अगर आप उस हिस्से में जलीय व्यवस्था करेंगे तो आपके लिए बेहद अशुभ होगा।
- वास्तु का नियम जो कहता है उसके अनुसार किसी भी मकान का दक्षिण पश्चिम हिस्सा हमेशा ऊंचा होना चाहिए। इतना ही नहीं उत्तर—पूर्व का हिस्सा हल्का नीचे होना शुभ माना जाता है। ये तभी सम्भव है जब जलीय व्यवस्था उत्तर पूर्व की ओर की गई हो। यानि आप जब भी बोरिंग कराएं या जलाशय बनवाएं और उस पर सूर्य की किरणें नहीं आएं तो वह स्थान अशुभ हो जाता है। इसलिए भी ईशान में जलीय व्यवस्था करना उत्तम माना गया है।
किस नक्षत्र में कराना चाहिए बोरिंग— Vastu Tips:
अगर बोरिंक के लिए सही नक्षत्र की बात करें तो रोहिणी, पुष्य, मघा, मृगशिरा, हस्त, अनुराधा और धनिष्ठा नक्षत्र में बोरिंग कराना शुभ माना जाता है। मकर का चंद्रमा, मीन और कर्क में हो तो भी अच्छा मानते हैं। इतना ही नहीं जब आप कुआं खुदवाने जा रहे है उस समय यदि गुरु बुध लग्न में और शुक्र दशम स्थान में हो तो कुआं खुदवाना या जलीय व्यवस्था करना शुभ होता है।
कौन सा दिन होता है बोरिंग के लिए शुभ — Vastu Tips:
सोमवार, गुरुवार, बुधवार और शुक्रवार का दिन इन कामों के लिए शुभ माना जाता है। इस बात का भी ध्यान रखें कि बोरिंग के ऊपर कभी भी पार्किंग न हो और न ही चाहिए। इतना ही नहीं मुख्य द्वार का वेध भी नहीं होना चाहिए।