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यूपी में ब्राह्मण विधायकों का बंद कमरे में 'सहभोज': योगी सरकार से मजबूत वोट बैंक खासा नाराज, क्या बदल सकता है राजनीतिक समीकरण

लखनऊ में 50 ब्राह्मण विधायकों की गुप्त बैठक में संगठन और सरकार में उपेक्षा, डिप्टी सीएम की कमजोर भूमिका और राजनीतिक हिस्सेदारी के मुद्दों पर गंभीर चर्चा हुई। यह जुटान यूपी में बदलते राजनीतिक समीकरणों का संकेत माना जा रहा है।

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Shaurya Verma
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UP Brahmin MLA Meet: यूपी विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान ब्राह्मण विधायकों की एक महत्वपूर्ण और अभूतपूर्व बैठक ने प्रदेश की राजनीति में नई हलचल पैदा कर दी है। कुशीनगर के भाजपा विधायक पीएन पाठक के लखनऊ आवास पर आयोजित यह बैठक एक जन्मदिन समारोह के बहाने रखी गई, लेकिन इसमें मौजूद 45 से 50 ब्राह्मण विधायकों ने सामाजिक और राजनीतिक उपेक्षा के मुद्दों पर गंभीर चर्चा की। इस बैठक में लिट्टी-चोखा और मंगलवार व्रत का फलाहार परोसा गया और विधायकों ने इसे सहभोज नाम दिया। Uttar Pradesh caste politics

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ब्राह्मण विधायकों में उपेक्षा की बढ़ती भावना

बैठक में मौजूद ब्राह्मण विधायकों (BJP Brahmin leaders) ने स्पष्ट रूप से जताया कि बीते वर्षों में जातीय राजनीति में ब्राह्मणों की आवाज कमजोर पड़ गई है। उनका कहना था कि भाजपा, सरकार और आरएसएस में समाज का कोई ऐसा बड़ा चेहरा नहीं है जिसके सामने वे अपनी समस्याएं रख सकें। उन्होंने आरोप लगाया कि एक विशेष जाति को संगठन और सरकार में ज्यादा महत्व दिया जा रहा है जबकि ब्राह्मण समाज हमेशा भाजपा का मजबूत वोट बैंक रहा है। यह भी माना गया कि संगठन और सरकार में ब्राह्मण पदाधिकारियों की संख्या लगातार कम की गई है, जिससे असंतोष बढ़ा है। Brahmin political meeting

विधायकों ने यह भी कहा कि भले ही ब्रजेश पाठक को डिप्टी सीएम बनाया गया है, लेकिन उन्हें सरकार में वह शक्ति नहीं दी गई जिसकी अपेक्षा थी। कई विधायकों ने इसे प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व बताया। बैठक में भाजपा नेता सुनील भराला का संदर्भ भी आया, जिनका भाजपा प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नामांकन पार्टी नेतृत्व के हस्तक्षेप के कारण दाखिल नहीं हो सका। इसे भी ब्राह्मणों की अनदेखी से जोड़कर देखा गया।

हलचल बढ़ाने वाले चेहरे भी बैठक में मौजूद

इस बैठक में देवरिया के विधायक और सीएम योगी के पूर्व मीडिया सलाहकार डॉक्टर शलभ मणि त्रिपाठी, एमएलसी साकेत मिश्रा, नौतनवां के विधायक ऋषि त्रिपाठी, तरबगंज के प्रेमनारायण पांडेय, मिर्जापुर के रत्नाकर मिश्रा, बांदा के प्रकाश द्विवेदी, खलीलाबाद के अंकुर राज तिवारी, मेहनौन के विनय द्विवेदी सहित कई दिग्गज नेता शामिल हुए। इसके अलावा एमएलसी उमेश द्विवेदी, धर्मेंद्र सिंह और बाबूलाल तिवारी भी उपस्थित रहे। Brahmin MLAs UP

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बैठक में विपक्षी दलों के ब्राह्मण विधायक भी पहुंचे, जिससे यह साफ होता है कि यह राजनीतिक सीमाओं से परे एक समुदायिक शक्ति का संदेश है।

मुख्य मुद्दों पर लंबी चर्चा और आगे की रणनीति

बैठक में यह चर्चा हुई कि ब्राह्मणों के हितों की रक्षा के लिए फंड बैंक बनाने की योजना तैयार की जाएगी, जिसमें रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट, जज, डॉक्टर और वकीलों को जोड़ा जाएगा। इसके साथ यह भी कहा गया कि प्रदेश में कहीं भी ब्राह्मण समाज के व्यक्ति की मौत होने पर आर्थिक सहायता दी जाएगी।

इसके अलावा लखनऊ, भदोही, गोंडा और बहराइच के प्रयागपुर की घटनाओं का भी उल्लेख किया गया, जिन्हें विधायक समाज की उपेक्षा का उदाहरण मानते हैं।

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इटावा कांड के बाद बढ़ा असंतोष

इटावा कथावाचक चोटी कांड के बाद ब्राह्मण समाज में गुस्सा और बढ़ा। विधायकों ने कहा कि जब ब्राह्मण बनाम यादव टकराव हुआ तो भाजपा का कोई बड़ा ब्राह्मण नेता वहां नहीं पहुंचा, जबकि अखिलेश यादव ने कथावाचक को सम्मानित किया। सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर सरकार विरोधी कैंपेन चला, जिसमें ब्राह्मण एकता प्लेटफॉर्म से विधायकों पर नाराजगी जताई गई।

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ब्राह्मण वोट बैंक की अहम भूमिका

यूपी के लगभग 30 जिलों में ब्राह्मण वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं। पूर्वांचल, मध्य यूपी और बुंदेलखंड में उनकी संख्या राजनीतिक समीकरण बना या बिगाड़ सकती है। यह बैठक आगामी वर्षों में भाजपा के लिए चुनौती मानी जा रही है, खासकर तब जब जनवरी में एक और बड़ी बैठक की तैयारी चल रही है, जिसमें आगे की दिशा तय होगी। 

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