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MP University Defaulter: MCU, RGPV, APSU समेत MP की 18 यूनिवर्सिटी को UGC ने किया डिफॉल्टर घोषित, जानें स्टूडेंट पर क्या पड़ेगा असर

MP University Defaulter: MCU, RGPV, APSU समेत MP की 18 यूनिवर्सिटी को UGC ने किया डिफॉल्टर घोषित, जानें स्टूडेंट पर क्या पड़ेगा असर।

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Preetam Manjhi
MP University Defaulter: MCU, RGPV, APSU समेत MP की 18 यूनिवर्सिटी को UGC ने किया डिफॉल्टर घोषित, जानें स्टूडेंट पर क्या पड़ेगा असर

   हाइलाइट्स

  • MCU, RGPV, APSU समेत MP की 18 यूनिवर्सिटी को UGC ने किया डिफॉल्टर घोषित।
  • लोकपाल की नियुक्ति नहीं होने पर किया डफॉल्टर।
  • जानें स्टूडेंट पर क्या पड़ेगा असर।
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MP University Defaulter: UGC ने MCU, RGPV, APSU समेत MP की उन 18 यूनिवर्सिटियों को डिफॉल्टर घोषित कर दिया है, जिन्होंने लोकपाल की नियुक्ति नहीं की है। सूची में देश के 421 विश्वविद्यालय शामिल हैं, जिनमें मध्यप्रदेश की 18 यूनिवर्सिटी के नाम हैं। लेकिन बड़ा सवाल ये कि इन यूनिवर्सिटियों के डिफॉल्टर होने से स्टूडेंट पर क्या असर पड़ेगा। आइए जानते हैं...

   सबसे पहले जानें क्यों हुईं डिफाल्टर

मध्यप्रदेश  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने लोकपाल की नियुक्ति नहीं करने पर विश्वविद्यालयों को डिफॉल्टर घोषित कर दिया है। जिनमें मध्य प्रदेश में इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर, भोपाल, रीवा सहित अन्य विवि में लोकपाल की नियुक्ति नहीं हुई है। बता दें, कि कुछ यूनिवर्सिटियों द्वारा लोकपाल की नियुक्ति की जानकारी UGC को नहीं दी गई है। कुछ यूनिवर्सिटियों द्वारा राज्यपाल नियुक्ति की सीट UGC को अपडेट नहीं की गई। जिसकी वजह से UGC ने यूनिवर्सिटियों को डिफाल्टर कर दिया है।

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   स्टूडेंट पर क्या पड़ेगा असर

आपको बता दें, कि वर्तमान सत्र में परीक्षा, मार्कशीट, डिग्री, डिप्लोमा, पर कोई असर नहीं पड़ेगा। क्योंकि ये यूनिवर्सिटी मान्यता प्राप्त हैं। आने वाले समय में 1-2 महीने के अंदर यूनिवर्सिटी द्वारा लोकपाल नियुक्ति की जानकारी UGC को दे दी जाएगी। जिससे वे फिर से डिफाल्टर मुक्त हो जाएंगी।

   इसके बाद नियुक्ति नहीं हुई तो आगे क्या होगा

अगर इसके बाद भी नियुक्ति नहीं हुई तो संबंधित यूनिवर्सिटी को मान्यता नहीं मिलेगी। जिससे यूनिवर्सिटी स्टूडेंट को एडमिशन नहीं देगी। अगर नियुक्ति हो जाती है, तो यूनिवर्सिटी को मान्यता मिल जाएगी और वह स्टूडेंट को एडमिशन दे सकेगी।

    विश्वविद्यालय में इसलिए जरूरी है लोकपाल

बता दें, कि छात्रों की शिकायत के निराकरण के लिए राज्य स्तर पर विश्वविद्यालयों में लोकपाल की नियुक्ति की जाती है। हालांकि, इनकी नियुक्ति के लिए कुछ मापदंड तय किए गए हैं। ऐसे व्यक्ति लोकपाल के पद के लिए चुने जाते हैं, जो किसी विश्वविद्यालय के कुलपित रह चुके हों। शिक्षा या अनुसंधान के क्षेत्र में प्रख्यात व्यक्ति हों। इसके साथ ही लोकपाल के कार्यकाल की समाप्ति होने के बाद अगले कार्यकाल की नियुक्ति के लिए समीक्षा कर निर्णय लिया जाता है।

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   इन विश्वविद्यालयों के नाम डिफॉल्टर की सूची में

  • अवेधश प्रताप सिंह विवि, रीवा
  • पंडित एसएन शुक्ल विवि, शहडोल
  • महात्मा गांधी ग्रामोदय विवि, चित्रकूट
  • संगीत एवं कला विवि, ग्वालियर
  • पशु चिकित्सा विज्ञान विवि, जबलपुर
  • पत्रकारिता एवं संचार विवि, भोपाल
  • संस्कृत एवं वैदिक विवि, उज्जैन
  • छत्रसाल बुंदेलखंड विवि, छतरपुर
  • मप्र चिकित्सा विज्ञान विवि, जबलपुर
  • जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर
  • कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर
  • सामाजिक विज्ञान विवि, इंदौर
  • विधि विश्वविद्यालय, जबलपुर
  • हिन्दी विश्वविद्यालय, भोपाल
  • राजा शंकरशाह विवि, छिंदवाडा
  • आरजीपीवी भोपाल
  • रानी दुर्गावति विवि जबलपुर
  • सांची विवि

ये उन यूनिवर्सिटियों के नाम हैं, जो मध्य प्रदेश की जानी-मानी यूनिवर्सिटियों में आती हैं। इन्हीं को यूजीसी द्वारा डिफॉल्टर किया गया है।

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UGC ने देशभर की उन सभी यूनिवर्सिटियों को डिफॉल्टर घोषित कर दिया, जहां लोकपाल नहीं हैं। आने वाले दिनों में नियुक्ति नहीं करने के चलते अनुदान और अन्य सहायताओं में भी कटौती होगी। UGC की सख्ती की वजह से कुछ यूनिवर्सिटियों ने आनन-फानन में लोकपाल की भर्ती शुरू कर दी है।

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