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MP News: मध्यप्रदेश के ग्वालियर स्थित ऐतिहासिक जीवाजी क्लब के चुनाव रविवार, 29 सितंबर को संपन्न हुए। जिसमें राजेंद्र सेठ अध्यक्ष और संजय वर्मा सचिव बने। इनके अलावा चेतन करण अग्रवाल संयुक्त सचिव और कोषाध्यक्ष पद पर संजय नीखरा निर्वाचित हुए। इसके साथ ही इस प्रतिष्ठित चुनाव में 10 कार्यकारणी सदस्य भी निर्वाचित हुए। दिनभर चल गहमा-गहमी और वोटिंग के बाद रात को परिणाम घोषित किए गए। इस चुनाव में क्लब के 2700 सदस्यों में से 1713 सदस्य ही वोट डालने के लिए पात्र थे। हालांकि, सिर्फ 1561 सदस्यों ने ही वोटिंग में हिस्सा (MP News) लिया।
चेतन अग्रवाल संयुक्त सचिव और संजय निखरा कोषाध्यक्ष बने
जीवाजी क्लब के चुनाव में अध्यक्ष पद पर राजेंद्र सेठ 994 वोट लेकर जीते, वहीं सचिव पद पर संजय वर्मा को 1184 वोट, संयुक्त सचिव पद पर चेतन करण अग्रवाल को 561 वोट और कोषाध्यक्ष पद पर संजय नीखरा को 764 वोट मिले। इससे पहले उपाध्यक्ष पद पर अमित गुप्ता निर्विरोध जीत चुके हैं।
राजेंद्र सेठ 12 साल पहले क्लब के सचिव रह चुके
जीवाजी क्लब के अध्यक्ष बने राजेंद्र सेठ 2012 में इस संस्था के सचिव रह चुके हैं। चुनाव से पहले एक इंटरव्यू में सेठ ने कहा कि वे क्लब की कैंटीन को थ्री स्टार बनाने की बात कही थी। साथ ही फूड सर्विस पर ध्यान देने की जरूरत महसूस की थी। उन्होंने कहा था कि वे जीतने पर फूड सर्विस में प्री-पेड सिस्टम लागू करेंगे। अब उन्होंने कहा, चुनाव से पूर्व के सभी वादों को पूरा करने का प्रयास करेंगे। क्लब की बारादरी को कश्मीर की तर्ज पर विकसित करने की बात पर बोले कि जो कहा, उसे जरूर पूरा (MP News) करेंगे।
सुबह 9 से 4 बजे तक हुआ मतदान
जीवाजी क्लब में पदाधिकारियों और कार्यकारिणी के चुनाव के लिए रविवार सुबह 9 बजे से शाम को 4 बजे तक मतदान हुआ था। मतदान में कुल 2700 सदस्यों में से 1713 सदस्यों को ही वोट डालने का अधिकार था। इनमें से 1561 सदस्यों ने वोटिंग की। (MP News)
रात को आए परिणाम
चुनाव में अध्यक्ष, सचिव, सह सचिव, और कोषाध्यक्ष के अलावा 10 कार्यकारिणी सदस्यों के लिए भी मतदान हुआ। रात 9.30 बजे मतगणना पूरी हुई और विजय उम्मीदवारों के नाम की घोषणा निर्वाचन अधिकारियों ने की (MP News) है।
124 साल पुराना है जीवाजी क्लब
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ग्वालियर में जीवाजी क्लब, जयविलास पैलेस से कुछ ही दूरी पर बना है। साल 1898 में तत्कालीन ब्रिटिश रेजीमेंट जनरल के प्रयास से एलिग्न लॉर्ड के नाम पर इसका नाम एलिग्न क्लब रखते हुए स्थापना की गई थी। उस दौर के तत्कालीन रईस-जागीरदार और अधिकारी स्तर के लोग फुरसत के क्षणों में मनोरंजन के लिए आते थे। उस समय क्लब में केवल सिंधिया राजपरिवार से जुड़े मराठा सरदार और उनके परिवारों तथा अंग्रेज अफसर ही यहां मनोरंजन करने के लिए आते थे। साल 1936 तक यह क्लब एलिग्न क्लब के नाम से जाना जाता रहा। उसके बाद सिंधिया रियासत के शासक जार्ज जीवाजीराव के नाम पर इसका नामकरण किया गया और तब से इसे जीवाजी क्लब कहा जाने लगा। क्लब का देश में नहीं विदेशों में प्रतिष्ठा (MP News) है।
कार्ड रूम से लेकर मनोरंजन के कई साधन
जीवाजी क्लब में मनोरंजन के कई साधन हैं। क्लब में कार्ड रूम से लेकर स्विमिंग पूल, आधुनिक जिम, टेनिस कोर्ट, स्नूकर, बिलियर्ड्स सहित कई तरह के गेम्स खेलकर मनोरंजन किया जा सकता है। पर यहां खेलने के लिए केवल सदस्यों को ही अनुमति है। क्लब का अपना गेस्ट हाउस और दो मैरिज गार्डन हैं। क्लब में बार के साथ रेस्टोरेंट भी है। (MP News)
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जीवाजी क्लब में 2700 सदस्य
शुरुआती दौर में जीवाजी क्लब में राज दरबार से जुड़े सरदार ही इसके सदस्य हुआ करते थे। आज भी परंपरागत रूप से सरदारों के वारिस सदस्य हैं। आजादी के बाद आमजन को भी इसकी सदस्यता दी जाने लगी। अब क्लब के सदस्य नगर के व्यापारी और अभिजात्य वर्ग के लोग अधिक हैं। पहले ग्वालियर में पदस्थ IAS, IPS अधिकारी क्लब के संचालन की व्यवस्था संभालते थे। अब क्लब का संचालन निर्वाचित कार्यकारिणी करती है। वर्तमान में क्लब के 2700 सदस्य है, इनमें से मत देने का अधिकार 1713 सदस्यों को ही (MP News) है।
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