हाइलाइट्स
- राहुल बोले सच्चाई का हाइड्रोजन बम फटेगा
- अखिलेश ने तेजस्वी को सीएम चेहरा माना
- खड़गे ने कहा छह महीने में मोदी सरकार गिरेगी
Rahul Gandhi Bihar Voter Yatra End: सोमवार (1 सितंबर) को बिहार की राजनीति का केंद्र पटना रहा, जहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी की 16 दिन लंबी वोटर अधिकार यात्रा सोमवार को गांधी मैदान से हाईकोर्ट तक निकाले गए मार्च के साथ खत्म हुई। सुबह 11 बजे गांधी मैदान स्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर यात्रा का अंतिम चरण शुरू हुआ और अंबेडकर मूर्ति पर पुष्प अर्पित कर इसका समापन किया गया। यात्रा का समापन भले ही मार्च से हुआ हो, लेकिन इससे पहले पटना के डाकबंगला चौराहे पर एक बड़ी सभा का आयोजन किया गया, जिसमें विपक्षी नेताओं ने केंद्र सरकार और भाजपा पर जमकर निशाना साधा।

राहुल बोले- जल्द फटेगा सच्चाई का हाइड्रोजन बम
राहुल गांधी ने अपने संबोधन में सीधे भाजपा और एनडीए पर आरोप लगाते हुए कहा कि ये लोग वोट चोरी कर चुनाव जीतते हैं। उन्होंने महाराष्ट्र का जिक्र करते हुए कहा कि वहां भी यही हुआ और अब देश भर में इस सच्चाई को जनता समझ रही है। उन्होंने अपने भाषण में तीखे अंदाज में कहा कि वोट चोरी की सच्चाई पूरे देश में खुलने वाली है और यह भाजपा के लिए बड़ा राजनीतिक झटका साबित होगा। राहुल ने यहां तक कहा कि जैसे एटम बम से बड़ा हाइड्रोजन बम होता है, वैसे ही अब सच्चाई का हाइड्रोजन बम फटने वाला है और उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को अपना चेहरा नहीं दिखा पाएंगे।
BJP के लोगों तैयार हो जाओ – Atom bomb के बाद अब Hydrogen bomb आने वाला है।
पूरे देश में हम आपकी वोट चोरी का पर्दाफाश करेंगे। pic.twitter.com/RdadvPTmwq
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 1, 2025
कुछ युवकों ने दिखाया काला झंडा
उनके भाषण के दौरान कुछ युवकों ने काला झंडा दिखाकर विरोध करने की कोशिश की। इसके बाद मौके पर हल्की अफरातफरी मच गई, लेकिन पुलिस ने तुरंत दोनों युवकों को पकड़ लिया और वहां से थाने ले गई। घटना के बावजूद सभा जारी रही और राहुल गांधी ने अपने तेवरों में कोई ढील नहीं दी। भाषण के बाद राहुल दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
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बीजेपी के यादव न लालू यादव झुके, न हम झुकेंगे- तेजस्वी
सभा में बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम और आरजेडी के चेयरमैन तेजस्वी यादव ने भी केंद्र और राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव ने कभी भाजपा के नेताओं के आगे झुकना स्वीकार नहीं किया और तेजस्वी यादव भी झुकने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि जब लालू यादव ने अडवाणी को गिरफ्तार करवाने की हिम्मत दिखाई थी तो उनका बेटा भी किसी FIR से डरने वाला नहीं है।
तेजस्वी ने बिहार सरकार को डबल इंजन की सरकार बताते हुए कहा कि इस डबल इंजन के एक हिस्से में अपराध और दूसरे में भ्रष्टाचार बैठा है। उनका आरोप था कि भाजपा और जदयू बिहारियों को लगातार ठगने का काम कर रहे हैं। उन्होंने स्थानीय कहावत का जिक्र करते हुए कहा कि बिहार उड़ती चिड़िया को हल्दी लगाना जानता है और यहां की जनता किसी को धोखा देने का मौका नहीं देगी।
आज पटना को पाट दिया और बीजेपी की कठपुतली बन चुके चुनाव आयोग को बता दिया कि:-
“हक के रण में पीछे नहीं हटेंगे” pic.twitter.com/oxA9wCWphx
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) September 1, 2025
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा- छह महीने में गिर जाएगी मोदी सरकार
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभा में बेहद आक्रामक लहजे में केंद्र सरकार को घेरा। उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार छह महीने में गिर जाएगी। खड़गे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वोट चोरी कर बिहार में जीतने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन जनता अब पूरी तरह जाग चुकी है। उन्होंने पुलिस बल की भूमिका पर भी सवाल उठाए और कहा कि सभा में पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम नहीं किए गए थे।
मोदी जी वोट चोरी कराकर बिहार में जीतने की कोशिश कर रहे हैं।
जनता को सतर्क रहना है।
महात्मा गाँधी जी, नेहरू जी और बाबासाहेब डॉ आंबेडकर ने सबको वोट का ये अधिकार तब दिलाया था जब दुनिया में तमाम बाधाएं थीं। इसलिए गरीब, दलित, पिछड़े वोट नहीं दे सकते थे। प्रॉपर्टी और पढ़े-लिखे… pic.twitter.com/PLLWNhloMP
— Mallikarjun Kharge (@kharge) September 1, 2025
खड़गे ने पुलिस को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि वह उन्हें वॉर्निंग नहीं देना चाहते, लेकिन यह याद रखना चाहिए कि सरकारें हमेशा के लिए नहीं होतीं। उन्होंने साफ कहा कि अगर कांग्रेस और इंडिया अलायंस की सरकार बनी तो पुलिस को जनता के लिए काम करना ही होगा। उनका कहना था कि अगर पुलिस भाजपा सरकार के दबाव में काम करती रही और विपक्षी दलों की सभाओं को फेल करने की कोशिश की गई तो यह लोकतंत्र के लिए सही संकेत नहीं होगा।
महागठबंधन के दिग्गज नेता रहे मौजूद
इस सभा में, पूरे इंडिया अलायंस से कई दिग्गज नेता भी शामिल हुए। मंच पर तृणमूल कांग्रेस के सांसद यूसुफ पठान, शिवसेना के संजय राउत, कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डी शिवकुमार मौजूद रहे। हालांकि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस मौके पर शामिल नहीं हो पाईं।
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17 अगस्त से शुरू हुई थी यात्रा
राहुल गांधी की यह वोटर अधिकार यात्रा 17 अगस्त को सासाराम के बियाडा ग्राउंड से शुरू हुई थी। 16 दिनों तक चली इस यात्रा ने बिहार के 23 जिलों को कवर किया। यात्रा के दौरान तीन दिन का ब्रेक भी लिया गया, लेकिन हर पड़ाव पर कांग्रेस और इंडिया अलायंस ने इसे एक राजनीतिक अभियान में बदल दिया। यात्रा के शुरुआती दिन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे मौजूद रहे थे, जबकि बाद के चरणों में प्रियंका गांधी, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव जैसे बड़े नेता भी इसमें शामिल हुए।
यात्रा का मकसद केवल भाजपा और एनडीए पर वोट चोरी का आरोप लगाना नहीं था, बल्कि बिहार की जनता को यह संदेश देना भी था कि विपक्ष एकजुट है और जनता के अधिकारों के लिए संघर्षरत है। गांधी मैदान से हाईकोर्ट तक का मार्च इसी का प्रतीक बना, जिसमें हजारों कार्यकर्ता शामिल हुए।
वोटर अधिकार यात्रा में छिपा कांग्रेस का राजनीतिक स्वार्थ
कांग्रेस की वोटर अधिकार यात्रा कई राजनीतिक संकेत देती है। सबसे पहला उद्देश्य पार्टी का जनाधार वापस पाना है, जो पिछले एक दशक में काफी कमजोर हुआ है। यात्रा के बहाने कांग्रेस जनता के बीच अपनी सीधी मौजूदगी दर्ज कराना चाहती है। यह संदेश देने की कोशिश है कि पार्टी केवल गठबंधन की सहायक पार्टी नहीं बल्कि गठबंधन की कमान भी उसी के हाथ में है।
दूसरा उद्देश्य यह है कि कांग्रेस इस यात्रा के जरिए भाजपा और एनडीए सरकार की नीतियों को घेरना चाहती है। खासकर बेरोजगारी, महंगाई, किसान और गरीबों के अधिकार जैसे सवालों पर लोगों को जोड़ने का प्रयास है।

तीसरा उद्देश्य यह है कि यात्रा के समापन में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ अखिलेश यादव की मौजूदगी ने विपक्षी एकता का संकेत दिया। इससे यह संदेश गया कि कांग्रेस, राजद और सपा जैसे दल मिलकर बिहार से राष्ट्रीय राजनीति को अपने पक्ष में कर सकते हैं और जनता के मुद्दों को समझ सकते हैं।
अखिलेश यादव ने खेला चालाकी का दांव
सासाराम से शुरू हुई इंडिया ब्लॉक की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ अब 23 जिलों और करीब 1300 किलोमीटर का सफर तय किया है। इस समापन कार्यक्रम में समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी हिस्सा लिया। डेढ़ दिन की अपनी इस बिहार यात्रा के दौरान अखिलेश ने तेजस्वी यादव को आगे बढ़ाकर न सिर्फ महागठबंधन को मजबूती देने का संदेश दिया, बल्कि पटना से उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए भी एजेंडा सेट करते हुए दिखाई दिए।
तेजस्वी के सीएम फेस पर राहुल की चुप्पी
बिहार में कांग्रेस और आरजेडी का गठबंधन तय है, लेकिन मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर कांग्रेस ने अब तक कोई रुख साफ नहीं किया है। यात्रा के दौरान पत्रकारों ने कई बार राहुल गांधी से यह सवाल किया, लेकिन उन्होंने जवाब देने से परहेज किया। यहां तक कि जब तेजस्वी यादव ने राहुल को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बताया, तब भी कांग्रेस ने चुप्पी साधे रखी। इसी सियासी खामोशी के बीच अखिलेश यादव ने पटना में राहुल और तेजस्वी की मौजूदगी में खुलकर तेजस्वी के नाम का समर्थन किया और यह संकेत दिया कि बिहार में महागठबंधन का चेहरा वही होंगे।

अखिलेश ने तेजस्वी को दिया खुला समर्थन
तेजस्वी यादव ने इस मौके पर अखिलेश की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि जिस तरह उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव ने बीजेपी को आधे पर रोक दिया, उसी अनुभव का लाभ बिहार में भी मिलेगा। अखिलेश की मौजूदगी से महागठबंधन और मजबूत हुआ है। तेजस्वी ने विश्वास जताया कि बिहार की जनता इस बार बीजेपी को करारा जवाब देगी।
वहीं, अखिलेश यादव ने भी तेजस्वी के कामों की सराहना करते हुए कहा कि बिहार के विकास और रोजगार देने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई है। उनके मुताबिक, महागठबंधन की तरफ से तेजस्वी से बेहतर मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कोई और नहीं हो सकता।
कांग्रेस की रणनीति से पहले ही सजग है अखिलेश
अखिलेश यादव की इस घोषणा को सिर्फ बिहार की राजनीति से जोड़कर नहीं देखा जा सकता। जिस तरह कांग्रेस ने बिहार में सीएम चेहरे पर सस्पेंस बनाए रखा है, वैसा ही रुख अगर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 में अपनाया गया तो यह सपा के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। यही वजह है कि अखिलेश ने बिहार में तेजस्वी के समर्थन का ऐलान करके कांग्रेस पर अप्रत्यक्ष दबाव बनाने की कोशिश की। दरअसल, वह चाहते हैं कि भविष्य में यूपी की राजनीति में कांग्रेस सपा के नेतृत्व को लेकर किसी तरह का संशय न रखे।

कांग्रेस की बार्गेनिंग पॉलिटिक्स
कांग्रेस की रणनीति बिहार और यूपी दोनों में साफ दिखाई दे रही है। ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के जरिए कांग्रेस ने न केवल राजनीतिक माहौल बनाया बल्कि अपनी बार्गेनिंग पावर भी बढ़ा ली है। पार्टी अपनी खोई हुई जमीन वापस हासिल करने के लिए नए प्रयोग कर रही है। यही वजह है कि राहुल गांधी इस मुद्दे पर चुप हैं।
FAQs
Q1. वोटर अधिकार यात्रा क्या है और इसकी शुरुआत कब हुई थी?
वोटर अधिकार यात्रा कांग्रेस और महागठबंधन की ओर से जनता को जोड़ने और भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ माहौल बनाने के लिए निकाली गई थी। यह यात्रा 17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई और करीब 1300 किलोमीटर का सफर तय करते हुए पटना में गांधी मैदान पर समाप्त हुई।
Q2. वोटर अधिकार यात्रा के पटना पड़ाव में कौन-कौन से बड़े नेता शामिल हुए?
पटना में यात्रा के अंतिम चरण में राहुल गांधी, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, मल्लिकार्जुन खड़गे समेत विपक्षी खेमे के कई बड़े चेहरे मौजूद रहे। इसी मंच से अखिलेश यादव ने तेजस्वी यादव को बिहार का मुख्यमंत्री चेहरा मानने की घोषणा कर दी।
Q3. क्या कांग्रेस ने तेजस्वी यादव को सीएम उम्मीदवार मान लिया है?
अभी तक कांग्रेस ने तेजस्वी यादव को सीएम उम्मीदवार घोषित करने पर चुप्पी साध रखी है। यात्रा के दौरान पत्रकारों ने राहुल गांधी से कई बार इस मुद्दे पर सवाल किया, लेकिन उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। इसके बावजूद अखिलेश यादव ने तेजस्वी के समर्थन में खुलकर अपनी राय रखी।
Q4. अखिलेश यादव ने बिहार की राजनीति में दखल क्यों दिया?
अखिलेश यादव ने तेजस्वी यादव के नाम पर सहमति जताकर न केवल बिहार में कांग्रेस पर दबाव बनाया बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति का संदेश भी दिया। दरअसल, यूपी में 2027 विधानसभा चुनाव को देखते हुए अखिलेश नहीं चाहते कि कांग्रेस वहां भी सीएम चेहरे को लेकर सस्पेंस बनाए रखे।
Q5. इस यात्रा का बिहार और राष्ट्रीय राजनीति पर क्या असर हो सकता है?
यात्रा ने विपक्षी एकजुटता को मजबूती दी है और कांग्रेस की ‘बार्गेनिंग पावर’ भी बढ़ाई है। तेजस्वी को सीएम चेहरा मानने पर अखिलेश की सहमति ने महागठबंधन के भीतर एकता का संदेश दिया। हालांकि, कांग्रेस की चुप्पी यह संकेत देती है कि आगे चलकर सीट बंटवारे और नेतृत्व पर खींचतान बनी रह सकती है।