Swami Nischalananda: अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होनी है.अब शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती के बयान पर पीसीसी चीफ दीपक बैज की प्रतिक्रिया आई है.
बता दें शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार किया है.
उन्होंने कहा कि अयोध्या में अभी मंदिर बनने में डेढ़ साल से अधिक का समय है। फिर मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की इतनी जल्दबाजी क्यों?
इस वर्ष चुनाव हैं आप समझ सकतें हैं, जो लोग भौतिकवादी होते हैं, वो केवल वर्त्तमान की दृष्टी रखतें हैं.
पीसीसी चीफ ने किया धन्यवाद
छत्तीसगढ़ कांग्रेस पीसीसी चीफ ने अयोध्या राममंदिर(Ram Mandir) प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम पर दिए बयान को लेकर शंकराचार्य को धन्यवाद किया है.
उन्होंने कहा कि “मैं शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद को धन्यवाद करता हूँ कि उन्होंने अपनी बात खुलकर रखी है.
आज के समय बहुत से साधु संत अपनी दबी जुबान में अपनी बात कह रहे हैं और सच बोलने में साधु संत झिझक रहे हैं.
भाजपा राम मंदिर के नाम पर ही चुनाव जीतना चाहती हैं यह सब जान रहे हैं.
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शास्त्रों के अनुसार होनी चाहिए प्राण प्रतिष्ठा
स्वामी निश्चलानंद सरस्तवती ने रतलाम (Ratlam News) में बयान देते हुए कहा मेरे पद की भी मर्यादा है, राम मंदिर में मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा शास्त्रों के अनुसार होनी चाहिए, ऐसे आयोजन में मैं क्यों जाऊंगां।
उन्होंने आगे कहा – कि मूर्ति की स्थापना, प्राण-प्रतिष्ठा(Ram Mandir)में शास्त्रों के सम्मत परंपरा का पालन होता है। सभी के पूर्वज, सनातनी वैदिक आर्य हिंदू ही थे।
वर्तमान प्रधानमंत्री कूटनीति में माहिर हैं। राजनेता तो दांव खेलते रहते हैं।
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धर्म की सीमा में राजनीति
स्वामी निश्चलानंद सरस्तवती ने कहा कि “इतना तो में मानता हूं, कि उनमें इतना दम तो है, कि वे अपने को सनातनी, धार्मिक, हिंदू साबित करने में लगे हैं.
शास्त्र और सम्मत हो जाएगा तो सोने पर सुहागा हो जाएगा। शंकराचार्य ने कहा कि ताजमहल का असली नाम तेजो महादेव है.
मक्का का असल नाम मक्केश्वर महादेव है। देखा जाए तो वर्तमान में तीर्थस्थलों को पर्यटन स्थल बनाया जा रहा है। धर्म की सीमा में ही राजनीति की जा रही है.
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