‘पानी पूरी’ (pani puri) का नाम सुनते ही, मुंह में स्वाद का ज्वालामुखी फटने लगता है। ये एक ऐसा स्वाद है, जिसे बिन खाए रहा नहीं जा सकता। इसके क्लासिक मसालेदार टेस्ट के आगे सारे स्वाद फीके पड़ जाते हैं।
खट्टे-मीठी इमली की चटनी हो, या आलू,प्याज और छोले का मिश्रण, ये सब के साथ परोसी जाती है। पर, क्या आप जानते हैं दुनिया में सबसे पहली पानी पूरी किसने बनाई और किसने खाई।
थोड़ा फैक्ट्स को खंगालेंगे तो ‘पानी पूरी’ (pani puri) का जायका आपको महाभारत के काल तक ले जाएगा। जब द्रौपदी को अपनी सूझ बूझ की एक परीक्षा देनी पड़ी।
तब माता कुंती की कसौटी पर खरा उतरने के लिए पांचाली ने किया ‘पानी पूरी’ का अविष्कार। जिसके स्वाद से भीम जैसे पेटू का पेट भी जरा से खाने से भर गया।
द्रौपदी की अग्नि परीक्षा
एक किंवदंती के अनुसार, द्रौपदी को एक बार माता कुंती ने टास्क दिया। टास्क इतना भयंकर की द्रौपदी को लगा कि, आज अग्नि परीक्षा होना तय है। जब द्रौपदी शादी करके घर आईं, तो पांडवों की माता कुंती ने उन्हें एक काम सौंपा।
अब क्योंकि पांडव तो, उस समय वनवास काट रहे थे। कम और दुर्लभ संसाधनों में ही अपना जीवन यापन कर रहे थे। जैसे-तैसे जोड़-तोड़ कर के पांडवों की जीवन की गाड़ी चल रही थी।
ऐसे में, माता कुंती का दिया गया काम, द्रौपदी को भारी पड़ने वाला था, असल में कुंती, द्रौपदी को परखना चाहती थीं। ये देखना चाहती थीं कि क्या उनकी नई बहू उनके साथ रह पाएगी या नहीं।
इसलिए द्रौपदी को बची हुई सब्जियां और 5 लोगों के लिए अपर्याप्त गेहूं का आटा दिया गया। लेकिन, द्रौपदी को कुछ ऐसा बनाना था। जिससे पांडवों का पेट तो भरे ही, संसाधनों की भी बचत हो जाए।
एक रोटी जितना आटा
द्रौपदी सोच में पड़ चुकी थीं कि, आखिर ऐसा क्या बनाया जाए। जिससे पांडवों का पेट भर जाए। लेकिन, द्रौपदी की परेशानियां कम नहीं होने वाली थीं। जब उन्हें पता लगा की उनके पास इतना कम आटा है कि, एक ही रोटी बन सकती है।
ऐसे में, द्रौपदी खाने में क्या बनाये, ये सवाल लगातार जहन में चल रहा था। तो द्रौपदी ने, कई तरकीब सोची, कई तिगड़म लगाए गए लेकिन कोई भी काम नहीं आया।
द्रौपदी अब हार मानने ही वाली थी। लेकिन, डर था कि माता कुंती की परीक्षा में सफल नहीं होने पर क्या दंड दिया जायेगा। इसलिए द्रौपदी धीरे- धीरे प्रयास भी कर रही थी।
भीम की डांट
द्रौपदी का प्रयास तो जारी था ही लेकिन, पांडव अब भूख से व्याकुल हो रहे थे। इसलिए वे पांचाली को बार- बार आवाज लगाते पर द्रौपदी हर बार एक ही जवाब देती कि भोजन परोसने भर की देर है।
द्रौपदी का लगातार ऐसा बोलने के बाद, भीम गुस्से में उठ खड़े हुए और सीधे किचन में पहुच गए।
वहां देखा की खाने में कुछ भी नहीं बना है। तो, भीम बौखला गए और द्रौपदी को डांट सुननी पडी। अब द्रौपदी के सामने, आगे कुआं पीछे खाई जैसे हालात बन चुके थे। इसलिए उन्होंने लगातार प्रयास करना चालू कर दिए।
ऐसे बनी ‘पानी पूरी’
कुछ देर बाद, ये प्रयास रंग लाते दिखने लगे। द्रौपदी ने आटे की छोटी पूरियां बनाई फिर उन पूरियां को तेल में डाल के तल दिया। अंत में, उनमें आलू भरकर पांडवों को परोसा दिया गया।
भीम ने जैसे ही, ‘पानी पूरी’ (pani puri) को मुंह में रखा, स्वाद और जायके की तारीफ करने लगे। द्रौपदी का ये तरीका इतना असरदार था कि पांचों बेटों का पेट भर गया।
ऐसा माना जाता है कि यही वह समय था जब नई दुल्हन ने गोलगप्पे का आविष्कार किया था। बस यहीं से पानी पुरी प्रचलन में आ गई। भारत का सबसे लोकप्रिय स्ट्रीट फूड पानी पुरी आज देश-विदेश में भी काफी मशहूर है।
मगध से संबंध
‘पानी पूरी’ का आविष्कार किसने किया इसका कोई सटीक जिक्र नहीं मिलता है। लेकिन आलू और पानी 300-400 साल पहले भारत आए थे। इसके बिना यह डिश बनाना मुश्किल थी। इसलिए इतिहासकार इसका संबंध मगध से मानते है।
कुछ इतिहासकारों का दावा है कि मगध काल में ही पानी पूरी बनाना शुरू किया गया था। क्योंकि इसी समय में चावल से पोहे, लिट्टी चोखा आदि बनाने के भी प्रमाण मिले हैं।
ऐसे में, एक बात साफ है कि सदियों से भारतवासी पानीपूरी खाते आ रहे हैं और यह हमेशा से ही सबका पसंदीदा भोजन रहा है।
यह भी पढ़ें..
Tatapani Mahotsav 2024: मकरसक्रांति पर बलरामपुर जिले में आयोजित होगा तातापानी महोत्सव