Advertisment

Paush Amavasya 2025: पौष अमावस कब है 18 या 19 दिसंबर, यहां जानें सही तिथि, इस दिन क्या करना चाहिए क्या नहीं

author-image
Preeti Dwivedi
Paush Amavasya 2025 Date

Paush Amavasya 2025 Kab Hai: पौष का महीना पूजा पाठ के ​लिए बेहद खास माना जाता है। ऐसे में पौष अमावस्या और भी खास हो जाती है। इस दिन पितरों के निमित्त दान पुण्य करना बेहद शुभ होता है। पवित्र नदियों में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस महीने 19 दिसंबर को पूष की अमावस्या आने वाली है। ऐसे में चलिए जानते हैं इस दिन क्या करना शुभ क्या करना अशुभ होता है। 

Advertisment

पौष अमावस्या कब से कब तक रहेगी (Paush Amawasya kab hai) 

आपको बता दें अभी पौष मास यानी पूस का महीना चल रहा है। इसी बीच पौष अमवास्या 19 दिसंबर की सुबह करीब 5 बजे से शुरू होगी जो अगले दिन 20 दिसंबर की सुबह करीब 7.10 मिनट तक रहेगी। यानी 19 दिसंबर के पूरे दिन अमवास तिथि रहेगी। अमावस्या से जुड़े धर्म-कर्म इसी दिन करना ज्यादा श्रेष्ठ माना जाता है।

ज्योतिषाचार्य पंंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार अमावस्या तिथि पितरों के लिए खास होती है। इस दिन दान पुण्य दीपदान जरूर करना चाहिए। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और पितरों के लिए धूप-ध्यान करने की परंपरा है। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा, कावेरी, गोदावरी, सरस्वती जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से जाने-अनजाने में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन स्नान के बाद जरूरतमंदों को खाना, अनाज, जूते-चप्पल, धन  आदि का दान करना शुभ माना जाता है। 

पौष अमावस्या 2024 – पूरी जानकारी (टेबल)

विषयविवरण
मासपौष मास (पूस)
अमावस्या प्रारंभ19 दिसंबर, सुबह लगभग 5:00 बजे
अमावस्या समाप्त20 दिसंबर, सुबह लगभग 7:10 बजे
मुख्य तिथि19 दिसंबर (पूरा दिन अमावस्या)
धर्म-कर्म का श्रेष्ठ दिन19 दिसंबर
ज्योतिषाचार्यपं. रामगोविंद शास्त्री
अमावस्या का महत्वपितरों के लिए विशेष तिथि
मुख्य कार्यदान-पुण्य, दीपदान, पितृ तर्पण
पवित्र स्नानगंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा, कावेरी, गोदावरी, सरस्वती
मान्यतास्नान से जाने-अनजाने पापों का नाश
दान के योग्य वस्तुएंभोजन, अनाज, जूते-चप्पल, धन
दान का फलपुण्य की प्राप्ति और पितृ कृपा
Advertisment

पौष अमावस्या पर कौन से शुभ काम करना चाहिए

पौष के महीने में यदि आप नदी आदि पर स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। स्नान करते समय तीर्थों का और पवित्र नदियों का ध्यान करना चाहिए। यदि गंगाजल नहीं है तो सामान्य पानी को ही गंगाजल का स्वरूप मानकर स्नान किया जा सकता है। 

अमावस्या के स्वामी हैं पितर देव 

हिन्दू ज्योतिष के अनुसार अमावस्या तिथि के स्वामी पितर देव हैंं। यही कारण है कि इस तिथि पर पितरों के लिए धूप-ध्यान करना शुभ होता हैं। इसके लिए दोपहर का समय सबसे शुभ माना जाता है। 

इसके लिए दोपहर में गाय के गोबर से बने कंडे जलाकर उसमें पितरों का ध्यान करते हुए गुड़-घी डालें। 

Advertisment

इसी के साथ ऊँ पितृदेवेभ्यो नम: मंत्र का जप करें।

इसके बाद हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को अर्पित करें। 

पौष अमावस्या के दान क्या हैं (Paush Amawasya Daan)

हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष अमावस्या पर पितरों के नाम पर तिल-गुड़, धन, कपड़े, जूते-चप्पल और खाना भी दान करना चाहिए। अमावस्या पर सुबह जल्दी उठ कर सबसे पहले सूर्योदय के समय सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। उगते सूर्य की ओर मुंह करके तांबे के लोटे में जल भर कर ऊँ सूर्याय नम: मंत्र जप करते हुए जल अर्पित करें। स्नान के बाद घर के मंदिर में या किसी अन्य मंदिर में भगवान शिव जी का अभिषेक करना शुभ माना जाता है। 

क्रमदेवता / मंत्र का नाममंत्र
1गणेश मंत्रश्री गणेशाय नमः
2हनुमान मंत्रश्रीरामदूताय नमः
3गायत्री मंत्रॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।।
4महामृत्युंजय मंत्रॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
5कृष्ण मंत्रकृं कृष्णाय नमः
6विष्णु मंत्रॐ नमो भगवते वासुदेवाय
7राम मंत्ररां रामाय नमः


 यह भी पढ़ें : Kitchen Vastu Tips: किचिन में प्लेटफॉर्म और सिंक हैं एक ही लाइन में, बिना तोड़ फोड़ के ऐसे दूर होगा वास्तु दोष

Advertisment
Paush Amavasya 2025 Paush Amavasya 2025 kab hai
Advertisment
WhatsApp Icon चैनल से जुड़ें