/bansal-news/media/media_files/2025/12/17/paush-amavasya-2025-date-2025-12-17-15-07-31.jpg)
Paush Amavasya 2025 Kab Hai: पौष का महीना पूजा पाठ के ​लिए बेहद खास माना जाता है। ऐसे में पौष अमावस्या और भी खास हो जाती है। इस दिन पितरों के निमित्त दान पुण्य करना बेहद शुभ होता है। पवित्र नदियों में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस महीने 19 दिसंबर को पूष की अमावस्या आने वाली है। ऐसे में चलिए जानते हैं इस दिन क्या करना शुभ क्या करना अशुभ होता है।
पौष अमावस्या कब से कब तक रहेगी (Paush Amawasya kab hai)
आपको बता दें अभी पौष मास यानी पूस का महीना चल रहा है। इसी बीच पौष अमवास्या 19 दिसंबर की सुबह करीब 5 बजे से शुरू होगी जो अगले दिन 20 दिसंबर की सुबह करीब 7.10 मिनट तक रहेगी। यानी 19 दिसंबर के पूरे दिन अमवास तिथि रहेगी। अमावस्या से जुड़े धर्म-कर्म इसी दिन करना ज्यादा श्रेष्ठ माना जाता है।
ज्योतिषाचार्य पंंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार अमावस्या तिथि पितरों के लिए खास होती है। इस दिन दान पुण्य दीपदान जरूर करना चाहिए। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने और पितरों के लिए धूप-ध्यान करने की परंपरा है। ऐसी भी मान्यता है कि इस दिन गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा, कावेरी, गोदावरी, सरस्वती जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से जाने-अनजाने में किए गए सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इस दिन स्नान के बाद जरूरतमंदों को खाना, अनाज, जूते-चप्पल, धन आदि का दान करना शुभ माना जाता है।
पौष अमावस्या 2024 – पूरी जानकारी (टेबल)
| विषय | विवरण |
|---|---|
| मास | पौष मास (पूस) |
| अमावस्या प्रारंभ | 19 दिसंबर, सुबह लगभग 5:00 बजे |
| अमावस्या समाप्त | 20 दिसंबर, सुबह लगभग 7:10 बजे |
| मुख्य तिथि | 19 दिसंबर (पूरा दिन अमावस्या) |
| धर्म-कर्म का श्रेष्ठ दिन | 19 दिसंबर |
| ज्योतिषाचार्य | पं. रामगोविंद शास्त्री |
| अमावस्या का महत्व | पितरों के लिए विशेष तिथि |
| मुख्य कार्य | दान-पुण्य, दीपदान, पितृ तर्पण |
| पवित्र स्नान | गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा, कावेरी, गोदावरी, सरस्वती |
| मान्यता | स्नान से जाने-अनजाने पापों का नाश |
| दान के योग्य वस्तुएं | भोजन, अनाज, जूते-चप्पल, धन |
| दान का फल | पुण्य की प्राप्ति और पितृ कृपा |
पौष अमावस्या पर कौन से शुभ काम करना चाहिए
पौष के महीने में यदि आप नदी आदि पर स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है। स्नान करते समय तीर्थों का और पवित्र नदियों का ध्यान करना चाहिए। यदि गंगाजल नहीं है तो सामान्य पानी को ही गंगाजल का स्वरूप मानकर स्नान किया जा सकता है।
अमावस्या के स्वामी हैं पितर देव
हिन्दू ज्योतिष के अनुसार अमावस्या तिथि के स्वामी पितर देव हैंं। यही कारण है कि इस तिथि पर पितरों के लिए धूप-ध्यान करना शुभ होता हैं। इसके लिए दोपहर का समय सबसे शुभ माना जाता है।
इसके लिए दोपहर में गाय के गोबर से बने कंडे जलाकर उसमें पितरों का ध्यान करते हुए गुड़-घी डालें।
इसी के साथ ऊँ पितृदेवेभ्यो नम: मंत्र का जप करें।
इसके बाद हथेली में जल लेकर अंगूठे की ओर से पितरों को अर्पित करें।
पौष अमावस्या के दान क्या हैं (Paush Amawasya Daan)
हिन्दू पंचांग के अनुसार पौष अमावस्या पर पितरों के नाम पर तिल-गुड़, धन, कपड़े, जूते-चप्पल और खाना भी दान करना चाहिए। अमावस्या पर सुबह जल्दी उठ कर सबसे पहले सूर्योदय के समय सूर्य को जल अर्पित करना चाहिए। उगते सूर्य की ओर मुंह करके तांबे के लोटे में जल भर कर ऊँ सूर्याय नम: मंत्र जप करते हुए जल अर्पित करें। स्नान के बाद घर के मंदिर में या किसी अन्य मंदिर में भगवान शिव जी का अभिषेक करना शुभ माना जाता है।
| क्रम | देवता / मंत्र का नाम | मंत्र |
|---|---|---|
| 1 | गणेश मंत्र | श्री गणेशाय नमः |
| 2 | हनुमान मंत्र | श्रीरामदूताय नमः |
| 3 | गायत्री मंत्र | ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।। |
| 4 | महामृत्युंजय मंत्र | ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।। |
| 5 | कृष्ण मंत्र | कृं कृष्णाय नमः |
| 6 | विष्णु मंत्र | ॐ नमो भगवते वासुदेवाय |
| 7 | राम मंत्र | रां रामाय नमः |
यह भी पढ़ें : Kitchen Vastu Tips: किचिन में प्लेटफॉर्म और सिंक हैं एक ही लाइन में, बिना तोड़ फोड़ के ऐसे दूर होगा वास्तु दोष
/bansal-news/media/agency_attachments/2025/12/01/2025-12-01t081847077z-new-bansal-logo-2025-12-01-13-48-47.png)
Follow Us
चैनल से जुड़ें