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Makar Sankranti 2026 Date Tithi Muhura: दिसंबर के महीने को कुछ ही दिन बचे हैं। इसके बाद जनवरी में साल का पहला त्योहार मकर संक्रांति आएगा। हर बार तिथियों के घटने बढ़ने के कारण इसकी तिथि में बदलाव हो जाता है।
ऐसे में चलिए जानते कि इस बार नए साल 2026 में मकर संक्रांति कब (Makar Sankranti 2026 Kab Hai) आएगी, 14 या 15 जनवरी, इसकी अर्की का समय क्या होगा, पढ़ें इससे जुड़े सभी सवालों के जबाव हमारे बंसल न्यूज के धर्म-अध्यात्म सेक्शन में।
2026 में मकर संक्रांति कब है (Makar Sankranti Kab Hai 2026)
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार वर्ष 2026 में मकर संक्रांति वैसे तो 14 जनवरी को ही आएगी लेकिन इसकी अर्की का मुहूर्त रात को होने के कारण ये दो दिन मनाई जाएगी।
मकर संक्रांति 2026 अर्की शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti Arki Muhurat)
हिन्दू पंचांग के अनुसार इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इसकी अर्की का समय 14 जनवरी बुधवार की रात 9:57 मिनट पर होगा। यानी जो साधु संत और महात्मा है वे इसी समय पवित्र नदी में स्नान कर डुबकी लगाएंगे।
कब तक मनाई जाएगी मकर संक्रांति
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री के अनुसार संक्रांति 14 और 15 जनवरी दोनों दिन मनेगी। गुरुवार को सूर्योदय से दोपहर 1:57 मिनट तक की इसका पुण्य काल रहेगा। यानी दोपहर 1:57 तक संक्रांति स्नान होगा।
🪔 मकर संक्रांति 2026 – कब तक मनाई जाएगी? (Infographic Content)
📅 तिथि
14 जनवरी 2026 (बुधवार)
15 जनवरी 2026 (गुरुवार)
पुण्य काल
15 जनवरी को सूर्योदय से
दोपहर 1:57 बजे तक
संक्रांति स्नान
पवित्र स्नान का शुभ समय
15 जनवरी दोपहर 1:57 बजे तक स्नान-दान मान्य
ज्योतिषीय मान्यता
सूर्य देव का मकर राशि में प्रवेश
पुण्य, दान और स्नान का विशेष महत्व
जानकारी अनुसार
ज्योतिषाचार्य पंडित रामगोविंद शास्त्री
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क्या होती है मकर संक्रांति (Makar Sankranti Kise Kahte Hain)
ग्रहों के राजा सूर्य देव हर महीने एक राशि बदलते हैं। ऐसे में 12 महीने की 12 राशियां होती हैं और हर राशि के नाम के आधार पर उस संक्रांति का नाम होता है। ऐसे में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर संक्रांति कहते हैं।
मकर संक्रांति से जुड़े महत्व और परंपराएं (Makar Sankranti ki Paramparayen)
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मकर संक्रांति पर पवित्र स्नान करने का महत्व है। लोग इस दिन पवित्र नदियों (गंगा, यमुना, आदि) में डुबकी लगाते हैं, जिससे पाप धुलते हैं और सूर्य देव की कृपा मिलती है। इस दौरान फसल उत्सव मनाया जाता है। यह नई फसल का स्वागत करने, प्रकृति का आभार व्यक्त करने और सर्दी के कम होने का उत्सव है। इस दिन तिल-गुड़ से बनी मिठाइयाँ (जैसे लड्डू) बनती हैं, जिनका आदान-प्रदान करके "मीठा बोलो" की शुभकामना दी जाती है। इसे प्रेम और भाईचारे का प्रतीक माना जाता है। इस दिन दान-पुण्य करना बहुत शुभ माना जाता है। जिससे जीवन में समृद्धि आती है। गुजरात जैसे राज्यों में इसे 'उत्तरायण' भी कहा जाता है। इस दिन बड़े पैमाने पर पतंगें उड़ाने की परंपरा भी है।
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