MNREGA:महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना यानी मनरेगा के तहत मजदूरी भुगतान अब केवल आधार आधारित भुगतान प्रणाली (एबीपीएस) के माध्यम से किया जाएगा।
प्रणाली के माध्यम से भुगतान को अनिवार्य बनाने के लिए राज्य सरकारों के लिए समय सीमा का अंतिम विस्तार 31 दिसंबर को समाप्त हो गया।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MNREGA) के तहत मजदूरी भुगतान सोमवार से केवल आधार-आधारित भुगतान प्रणाली (ABPS) से अनिवार्य किये जाने के बीच ग्रामीण विकास मंत्रालय ने कहा कि यदि कुछ खास ग्राम पंचायतों के सामने ‘तकनीकी समस्याएं’ हैं तो सरकार उन्हें छूट देने पर विचार कर सकती है.
मजदूरों की वास्तविक उपस्थिति कोई भी देख सकता है
ग्रामीण विकास मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान जारी कर बताया कि लाभार्थियों द्वारा बार-बार बैंक खाता बदलने से परेशानी हो रही थी। इसी को हल करने के लिए और लाभार्थियों के भुगतान को सुनिश्चित करने के लिए एबीपीएस को अनिवार्य करने का निर्णय लिया गया है।
हालांकि, अगर किसी ग्राम पंचायत(MNREGA) में तकनीकी समस्या, आधार संबंधी समस्या सहित अन्य कोई परेशानी हो तो सरकार छूट देने पर विचार कर सकती है।
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मंत्रालय ने आगे बताया कि राष्ट्रीय मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (एनएमएमएस) ऐप की मदद से मौके पर काम करने वाले लाभार्थियों की वास्तविक उपस्थिति दर्ज की जा रही है। लाभार्थियों के साथ-साथ देश का कोई भी नागरिक श्रमिकों की वास्तविक उपस्थिति की जांच कर सकता है।
मनरेगा के तहत करीब 14.28 करोड़ सक्रिय श्रमिक
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय की वेबसाइट पर आधार जनसांख्यिकी सत्यापन स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, एक जनवरी के आंकड़े के अनुसार मनरेगा के तहत लगभग 14.28 करोड़ सक्रिय श्रमिक हैं। अभी तक 13.48 करोड़ श्रमिकों के आधार जोड़े जा चुके हैं।
12.90 करोड़ श्रमिकों के आधार का सत्यापन हो गया है, लगभग 12.49 करोड़ श्रमिकों को आधार-आधारित भुगतान प्रणाली(MNREGA) में परिवर्तित कर दिया गया है।
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इसका मतलब है कि मनरेगा के तहत सक्रिय श्रमिकों में से लगभग 12.5 प्रतिशत अभी भी एबीपीएस सक्षम नहीं हैं। जब कुल श्रमिकों की बात आती है तो एक जनवरी के आंकड़े के अनुसार, मनरेगा के तहत लगभग 25.89 करोड़ श्रमिक हैं, जिनमें से 17.37 करोड़ एबीपीएस में हैं। इसका मतलब है कि 32 प्रतिशत से अधिक श्रमिक एबीपीएस के लिए पात्र नहीं हैं।
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