हाइलाइट्स
-
नर्मदा जयंती आज।
-
मां नर्मदा की अद्भुत महिमा।
-
हर घाट की अलग महत्ता।
-
कुछ ऐसे चमत्कारिक घाट जो करते हैं रोगों का नाश।
Narmada Jayanti 2024: आज पावन दिन नर्मदा जयंती है। इस मौके पर नर्मदा में स्नान करना बहुत ही फलदायक होता है। मनुष्य के पापों की मुक्ति के लिए नदियों में स्नान करना बेहद महत्व रखता है। जबकि मां नर्मदा की महिमा इतनी चमत्कारिक है, कि दर्शन मात्र से ही सारे पापों का नाश हो जाता है।
आज हम मां नर्मदा के ऐसे प्रमुख घाटों के बारे में बताएंगे। जिनकी महिमा और महत्ता से दुनिया भर में जानी जाती हैं। अगर आप भी कभी अपनी जिंदगी में दौड़-धूप से हार जाएं तो नर्मदा के इन घाटों पर जरूर आएं।
यहां स्नान करके आप बाकई अपने आप में बहुत अच्छा महसूस करेंगे। साथ ही कई पौराणिक मान्यताओं से रूबरू होंगे। तो आइए जानते है, मां नर्मदा के इन घाटों की महिमा और महत्व….
भेड़ा घाट- इस घाट का उल्लेख महाभारत के समय का माना जाता है। इस घाट का नाम युध्द से जुड़े एक घाट के रूप में हुआ था। यहां स्नान करने से सारे पापों का नाश होता है, साथ ही मन की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
संबंधित खबर:Nabhi Kund Mystery: नर्मदा के इस कुंड में स्नान करने से होता है बीमारियों का अंत, जानें इसका रहस्य
नाभि कुंड- महाभारत काल में इसका नाम नाभिपुर हुआ करता था। उस समय यह एक व्यापार का मुख्य बिंदु था। शासन के दस्तावेजों में इसका नाम मामा कदम है। इस नाभि कुंड पर प्राकृतिक स्वयंभू शिवलिंग है। मान्यताओं के मुताबिक कहा जाता है, कि यहां भगवान गणेश जी ने भी तपस्या की थी।
आप यहां देख सकते हैं, गणेश जी की मूर्ति आज भी यहां स्थापित है। इस कुंड को सिद्ध क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है। बताया जाता है, कि यहां पर सिद्धनाथ जी की स्थापना (Narmada Jayanti 2024) जो कि संत ऋषि मुनियों के द्वारा की गई थी।
सूरज कुंड- इस कुंड में आज भी पड़ती है सूरज की पहली किरण इसी वजह से इसका नाम सूरज कुंड रखा गया। मान्यता है इस कुंड में स्नान करने से मनोकामनाएं तो पूरी होती हैं, साथ ही मरने के बाद मुक्ति मिलती है। यहां रविवार को स्नान करने से रोगो का नाश हो जाता है। यहां भगवान सूरज ने मां नर्मदा की कठोर तपस्या की थी, इसी लिए इसका नाम सूरज कुंड पड़ा।
ग्वारीघाट- नर्मदा के ग्वारीघाट को लेकर ऐसी मान्यता है, कि यहां मां पार्वती यानी गौरी मैया ने तपस्या की थी। यहां मौजूद गौरी कुंड भी इस बात का प्रमाण देता है। पहले यह घाट गौरीघाट के नाम से जाना जाता था। लेकिन अब इसे ग्वारीघाट (Narmada Jayanti 2024) के नाम से जानते हैं। ग्वारी का मतलब गांव और घाट का मतलव नदी किनारे का स्थान इसलिए अब ये ग्वारीघाट कहलाता है। कुछ लोग मानते हैं, कि गौरीघाट का अपभ्रंश होकर इसका नाम ग्वारीघाट हो गया है।
सिध्द घाट- सिध्दि से जुड़ा ये घाट ध्यान और सिध्द योग से जुड़ा हुआ है। इस घाट पर एक जलकुंड भी मौजूद है। जो कि 12 महिनों जलमग्न रहता है। इस कुंड के चमत्कारिक जल को अपने शरीर पर लगाने से चर्म रोग ठीक हो जाता है। यहीं इस घाट पर मां नर्मदा की आरती भी की जाती है।
जिलहरी घाट- ग्वारीघाट से कुछ ही दूर जिलहरी घाट है, जिसकी कहानी शंकर जी से जुड़ी है। घाट को लेकर मान्यता है, कि यहां (Narmada Jayanti 2024) पत्थर पर स्वनिर्मित भगवान शंकर की एक जिलहरी है। यही वजह है कि इस घाट का नाम जिलहरी घाट पड़ा।
उमा घाट- पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने इस घाट का जिर्णोधार करवाया था। यह घाट विशेष कर महिलाओं के लिए बनाया गया था। उमा भारती के नाम की वजह से यह घाट को उमा घाट के नाम से प्रसिध्द हुआ। इस घाट से जुड़ी दूसरी मान्यता यह है, कि पार्वती जी ने इस घाट पर तपस्या की थी, जिसकी वजह से इस घाट का नाम उमा घाट रखा गया।
संबंधित खबर:MP News: नर्मदापुरम में लगा तांत्रिकों का मेला, देवी गांगोमाई की रातभर चली आराधना
लम्हेटाघाट- इस घाट का महत्व प्राचीन मंदिरों की वजह से बहुत चर्चित है। घाट पर श्री यंत्र का मंदिर जिसे मां लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है।
आंवली घाट- इस घाट का महत्व बहुत ही अद्भुत है। यहां एक तरफ मां नर्मदा हैं, तो दूसरी तरफ तबा नदी। यहां लोगों की भीड़ प्रत्येक दिन लगी रहती है। मान्यता है, कि इस मंदिर में अगर सच्चे मन से पूजा अनुष्ठान किया जाए तो लक्ष्मी जी की प्राप्ति होती है। इस घाट का नाम पास ही बसे लम्हेटा गांव की वजह से पड़ा।
पंचवटी घाट- इस घाट पर वनवास के समय श्रीराम के चरण यहां पड़े थे। भगवान श्रीराम यहां आए और भेड़ाघाट स्थित चौसठ योगिनी मंदिर में ठहरे थे। भेड़ाघाट नाम भृगु ऋषि के कारण पड़ा था। यहां अर्जुन के 5 वृक्ष होने से पंचवटी पड़ा।
तिलवारा घाट- इस घाट पर प्रचीनकाल में तिल भांडेश्वर मंदिर हुआ करता था। यहां पर तिल सक्रांति मेला लगने से इसे तिलवारा के नाम से जाना जाता है।
आज इस आर्टिकल में नर्मदा के प्रमुख घाटों के बारे में बताया। इन घाटों का अपना-अपना महत्व है। कभी समय निकालकर आप भी इन घाटों पर आएं, मां नर्मदा में स्नान करें मंदिरों में दर्शन करें और अपने पापों का नाश करते हुए एक नए जीवन की शुरूआत करें।