Narak Chaturdashi 2023 in Hindi: कल 10 नवंबर से पांच दिनी दिवाली उत्सव शुरू हो चुकी है। इसके दूसरे दिन 11 नवंबर को चतुर्दशी हैं । इसे रूप चौदस भी कहते हैं, इस दिन महिलाएं उबटन करके 19 श्रृंगार करती हैं, तो चलिए जानते हैं कि रूप चतुर्दशी का क्या महत्व है।
रूप चौदस आज
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन रूप चौदस (Narak Chaturdashi 2023 in Hindi) पर्व मनाया जाता हैं, जिसे छोटी दिवाली के नाम से भी जाना जाता है। इस साल ये त्योहार 11 नवंबर यानि आज है, इस दिन यमदेव की पूजा का विशेष महत्व है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन नरक चतुर्दशी पर्व मनाया जाता हैं.
महिलाएं ऐसे करें उपाय
ज्योतिष आचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री बताते हैं कि पौराणिक ग्रंथों में ऐसा उल्लेख है कि इस दिन तेल लगाने के बाद उबटन करना चाहिए. आटा हल्दी मिलाकर उबटन किया जाता है.
इसके लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठें, उबटन करें फिर स्नान ध्यान करें जो महिलाएं सुंदरता को प्राप्त करना चाहती हैं खास तौर पर उन्हें इस दिन विशेष ध्यान रखना चाहिए और जितनी अधिक साज सज्जा श्रृंगार कर सकती हैं करना चाहिए. फिर शाम को दीपक जलाकर भगवान का पूजन और ध्यान करें. इस बार रूप चतुर्दशी 11 नवंबर को है.
नरक चतुर्दशी का महत्व
हिन्दू धर्म में नरक चतुर्दशी यानि रूप चतुर्दशी का विशेष महत्व होता है। इस दिन यमदेव की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन सुबह जल्दी स्नान पूजा के बाद दान खासतौर पर दीपदान करने का भी विशेष महत्व है। महिलाओं के लिए ये दिन बेहद खास होता है। इसे रूप चौदस भी कहते हैं। यानि इस दिन महिलाओं के लिए उबटन कर सौलह श्रृंगार करने का खास दिन होता है।
नरक चौदस की पूजा विधि और महत्व
तिथि की बात करें तो हिंदू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को ये त्योहार आता है। इस साल चतुर्दशी तिथि 11 नवंबर यानि आज है। इसके अगले दिन 12 नवंबर को दिवाली का त्योहार रहेगा।
नरक चतुर्दशी पर क्यों की जाती है यमराज की पूजा?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi 2023 in Hindi) जैसे नाम से ही समझ आता हैं जिसमें यमदेव की पूजा करने का विधान है। यम के नाम का दीपदान करने से व्यक्ति को अकाल मृत्यु से भय से मुक्ति मिलती है। जिससे साधक से यमदेव खुश होते हें।
नरक चतुर्दशी से जुड़ी पौराणिक कथा
नरक चतुर्दशी से जुड़ी एक पौराणिक कथा यह है कि एक बार रंति देव नाम के राजा अपने अंतकाल के निकट आ गए थे। तब यमराज उनके पास आए तो उन्हें बताया कि राजा को नर्क में कुछ समय भोगना पड़ेगा।
तब राजा ने कहा कि उसने तो जीवन भर कोई पाप नहीं किया तब यमराज ने बताया कि एक बार साधुओं का एक जथ्था राजा के द्वार से भूखा लौट गया था, जिस वजह से इस पाप का प्रायश्चित करना पड़ेगा।
तब राजा ने यमराज से 1 साल का समय मांगा। राजा ने दरबार में उपस्थित सभी साधु-महात्माओं से इस पाप के प्रायश्चित का सुझाव पूछा। तब महात्माओं ने बताया कि उन्हें नरक चतुर्दशी के दिन ब्राह्मणों को भोजन करना चाहिए। इससे वह सभी पापों से मुक्त हो जाएंगे।
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