MP Civil Judge Recruitment Supreme Court Order 2025: मध्य प्रदेश में लंबे समय से अटकी पड़ी सिविल जज (जूनियर डिवीजन – एंट्री लेवल) 2022 भर्ती प्रक्रिया को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट को इंटरव्यू प्रक्रिया पूरी करने और नतीजे घोषित करने की अनुमति दे दी है, जिससे करीब दो साल से लटकी इस परीक्षा का रास्ता साफ हो गया है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस एएस चंदूरकर की बेंच ने यह आदेश हाई कोर्ट की ओर से पेश हुए वकील अश्विनी कुमार दुबे की दलीलों को सुनने के बाद दिया। उन्होंने कहा कि दोबारा परीक्षा कराना असंवैधानिक और अव्यावहारिक होगा, जिससे विवाद और बढ़ेंगे।
ये भी पढ़ें : MG M9 Launch Date: इस दिन होगी MG की सबसे लग्जरी इलेक्ट्रिक MPV M9 लॉन्च, बस इतने में करें बुकिंग, जानें क्या है खास
कितने अभ्यर्थियों पर पड़ेगा असर?
हाईकोर्ट ने कोर्ट को बताया कि 77 अभ्यर्थी पहले ही मुख्य परीक्षा पास कर चुके हैं, लेकिन नियमों में बदलाव को लेकर उठे विवाद की वजह से पूरी प्रक्रिया पर रोक लग गई थी।
क्या था विवाद?
नियम में बदलाव बना विवाद की वजह
जून 2023 में मध्यप्रदेश न्यायिक सेवा नियम, 1994 में संशोधन कर सिविल जज परीक्षा के लिए 3 साल की वकालत अनिवार्य कर दी गई थी। हालांकि, सामान्य और ओबीसी वर्ग के उन लॉ ग्रेजुएट्स को छूट दी गई थी जिन्होंने 70% या उससे अधिक अंक प्राप्त किए हों।
अभ्यर्थियों ने किया था नियम को चुनौती
इसके बावजूद ज्योत्सना दोहालिया और वर्षा श्रीवास्तव नाम की दो अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की। उनका तर्क था कि संशोधित नियमों के अनुसार वे पात्र थीं, लेकिन उन्हें मुख्य परीक्षा में बैठने का मौका नहीं मिला।
हाई कोर्ट ने की थी 77 अभ्यर्थियों की अयोग्यता की घोषणा
हाईकोर्ट ने इन दलीलों के आधार पर पूर्व में सफल घोषित 77 अभ्यर्थियों को अयोग्य करार देते हुए भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी। इसके खिलाफ हाईकोर्ट और चयनित उम्मीदवारों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
अब क्या होगा?
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब साक्षात्कार (इंटरव्यू) प्रक्रिया पूरी होगी और नतीजे जल्द घोषित किए जाएंगे, जिससे चयनित अभ्यर्थियों को न्याय मिलेगा और न्यायिक व्यवस्था में नई नियुक्तियों का रास्ता खुलेगा।