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हाइलाइट्स
- एमपी में बगैर रजिस्ट्रेशन के नहीं चलेंगे कोचिंग संस्थान।
- छात्रों की मानसिक सुरक्षा पर एमपी सरकार का फोकस।
- कॉलेजों और कोचिंग सेंटरों की मॉनिटरिंग करेगी STF।
MP Student Mental Health STF Coaching Registration: मध्यप्रदेश सरकार ने विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए शैक्षणिक संस्थानों व कोचिंग सेंटरों में स्टेट टास्क फोर्स (STF) का गठन किया है। यह फैसला बढ़ते दबाव, टॉर्चर और अकेलेपन की समस्या के समाधान के लिए लिया गया है। यह टास्क फोर्स पूरे प्रदेश में छात्रों की स्थिति का मूल्यांकन कर सुधारों को लागू करेगी। सुप्रीम कोर्ट और NTF के निर्देशों पर यह नई व्यवस्था लागू की गई है। इसके साथ ही, राज्य में बिना पंजीयन कोई भी कोचिंग संस्था संचालित न होने देने का निर्णय भी लिया गया है।
छात्रों की सुरक्षा के लिए सरकार का बड़ा कदम
मध्यप्रदेश में छात्रों पर बढ़ रहे शैक्षणिक दबाव और मानसिक तनाव को गंभीरता से देखते हुए राज्य सरकार ने स्टेट टास्क फोर्स (STF) बनाई है। यह टास्क फोर्स विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और कोचिंग संस्थानों में विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और वातावरण की निगरानी करेगी।
कोचिंग सेंटर बिना पंजीयन नहीं चल सकेंगे
उच्च शिक्षा विभाग ने साफ कर दिया है कि अब पूरे प्रदेश में बिना पंजीकरण कोई भी कोचिंग संस्था संचालित नहीं हो सकेगी। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि बढ़ते शैक्षणिक दबाव, लापरवाह प्रबंधन और अव्यवस्थित माहौल पर प्रभावी नियंत्रण लगाया जा सके। सरकार का मानना है कि स्टेट टास्क फोर्स की सक्रियता से विद्यार्थियों पर बढ़ रहा तनाव कम होगा और कॉलेज व कोचिंग संस्थानों में एक सुरक्षित, सहयोगी और सकारात्मक वातावरण तैयार किया जा सकेगा।
सुप्रीम कोर्ट और NTF के निर्देशों पर निर्णय
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट और नेशनल टास्क फोर्स (NTF) ने राज्यों को छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीरता से काम करने के निर्देश दिए थे। इन्हीं निर्देशों पर गंभीरता दिखाते हुए मध्यप्रदेश में उच्च शिक्षा विभाग ने यह व्यवस्था लागू की है।
STF में बहु-विभागीय प्रतिनिधि शामिल
STF में स्कूल शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा, पुलिस, बाल सुरक्षा और सामाजिक न्याय विभागों के प्रतिनिधि शामिल किए गए हैं। STF में आयुक्त उच्च शिक्षा प्रबल सिपाहा को नोडल अधिकारी और डॉ. डॉ. उषा के. नायर (OSD) को सदस्य सचिव नियुक्त किया गया है।
स्टेट टास्क फोर्स की जिम्मेदारियां तय
- एसटीएफ पूरे प्रदेश में छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े सभी उपायों की नियमित मॉनिटरिंग करेगी और NTF से जारी दिशानिर्देशों के क्रियान्वयन का मूल्यांकन भी करेगी।
- यह टीम कोचिंग सेंटरों और कॉलेज परिसरों का मानसिक स्वास्थ्य ऑडिट कराएगी, साथ ही हेल्पलाइन, काउंसलिंग और मनोसामाजिक सहायता जैसी सेवाओं को मजबूत बनाने पर फोकस करेगी।
- जिला स्तरीय टास्क फोर्स (DTF) द्वारा भेजी गई रिपोर्टों की समीक्षा भी एसटीएफ करेगी, ताकि जमीनी स्तर पर चल रहे काम का स्पष्ट आकलन हो सके।
- आत्महत्या रोकथाम से जुड़े जोखिम कारकों की पहचान, उन पर सुधार, और निवारक उपायों को बढ़ावा देना भी एसटीएफ की प्रमुख जिम्मेदारी होगी।
- यह टास्क फोर्स राज्य सरकार को नियमित रूप से सुझाव देगी और शिक्षण संस्थानों से जुड़ी नीतियों में सुधार का प्रस्ताव प्रस्तुत करेगी।
- संस्थानों में मानसिक स्वास्थ्य ऑडिट, हेल्पलाइन और काउंसलिंग प्रणाली को मजबूत किया जाएगा।
- सभी शैक्षणिक संस्थानों—सरकारी विश्वविद्यालय, निजी विश्वविद्यालय, क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक कार्यालय और सभी शासकीय महाविद्यालयों में नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की जाएगी, ताकि पूरे सिस्टम में सुधारों का प्रभावी समन्वय सुनिश्चित हो सके।
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जमीनी स्तर पर मॉनिटरिंग करेगी डीटीएफ
राज्य स्तर पर बनाए गए प्रावधान जिलों तक प्रभावी रूप से लागू हों, इसके लिए उच्च शिक्षा विभाग ने हर जिले में जिला स्तरीय टास्क फोर्स (DTF) का गठन अनिवार्य कर दिया है। इस कमेटी की अध्यक्षता कलेक्टर करेंगे, जबकि अग्रणी महाविद्यालय के प्राचार्य, जिला शिक्षा अधिकारी और तकनीकी, चिकित्सा व स्वास्थ्य विभागों के प्रतिनिधि इसके सदस्य होंगे।
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डीटीएफ की मुख्य जिम्मेदारियाँ
- जिले में संचालित सभी कोचिंग संस्थानों के पंजीयन की निगरानी।
- काउंसलिंग व परामर्श सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
- STF और NTF के निर्देशों के क्रियान्वयन पर नजर रखना।
- शैक्षणिक परिसरों की सुरक्षा और अनुशासन व्यवस्था को मजबूत करना।
सुप्रीम कोर्ट गाइडलाइन के बाद बड़ा कदम
परीक्षा दबाव और मानसिक तनाव से जुड़े मामले देशभर में तेजी से बढ़ रहे हैं। विभाग का मानना है कि यह संकट केवल पढ़ाई का बोझ नहीं, बल्कि संस्थागत ढांचे की खामियों से भी उपजा है—जहाँ स्पष्ट गाइडलाइन, समय पर काउंसलिंग, निरंतर निगरानी और संवाद की कमी छात्रों को मानसिक रूप से असुरक्षित बना देती है। इसी कमी को दूर करने के उद्देश्य से एसटीएफ और डीटीएफ का गठन किया गया है, ताकि छात्रों को सुरक्षित, सहयोगी और तनाव-मुक्त वातावरण मिल सके।
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