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Kuno National Park: मध्यप्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क से दुखद खबर सामने आइ है। यहां मादा चीता वीरा के 10 महीने के शावक का शव शुक्रवार, 5 दिसंबर को दोपहर जंगल में मिला है। यह शावक एक दिन पहले यानी गुरुवार, 4 दिसंबर को अपनी मां वीरा और दूसरे शावक के साथ जंगल में छोड़ा गया था, लेकिन कुछ ही घंटों बाद यह अपनी मां से अलग हो गया। अब उसकी मौत की खबर जंगल से आई है।
टकराकर मौत की आशंका
वन विभाग की प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि शावक की मौत टक्कर लगने से हुई है। सीसीएफ उत्तम कुमार शर्मा के अनुसार, शावक के शरीर पर किसी भी तरह के संघर्ष या हमले के निशान नहीं पाए गए। अनुमान है कि रात में अकेला होने पर किसी खतरे से बचने के लिए यह तेज दौड़ा और इसी दौरान टकराकर उसकी मौत हो गई।
दो साल में 14 चीतों की मौत
कूनो में चीतों की सुरक्षा को लेकर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं। पिछले दो वर्षों (2023–2025) में अब तक 14 चीतों की मौत हो चुकी है। इसकी वजह बीमारी, संघर्ष, गर्मी, शिकार, चोट और दुर्घटना शामिल हैं। वर्तमान में कूनो में चीतों की संख्या घटकर 28 रह गई है।
वन विभाग ने पूरे मामले की विस्तृत जांच शुरू कर दी है।
ग्वालियर के जंगल में पहुंचे कूनो के चीते
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कूनो नेशनल पार्क के चीते लगातार अपने निर्धारित क्षेत्र से बाहर निकलकर नए जंगलों में अपना विस्तार कर रहे हैं। इसी कड़ी में कूनो की दूसरी पीढ़ी के तीन चीते पिछले 15 दिनों से ग्वालियर के घाटीगांव और आसपास के जंगलों में सक्रिय हैं।
सिमरिया टांका निवासी पदम सिंह चौहान ने बताया कि शुक्रवार, 5 दिसंबर सुबह करीब 7 बजे दो चीतों ने गांव के तालाब के पास एक गाय के बछड़े का शिकार किया। शिकार के बाद दोनों चीते दिनभर वहीं आराम करते रहे। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले 5 दिनों से लगातार इसी क्षेत्र में चीतों की मूवमेंट हो रही है, जिससे गांव में दहशत है।
वन विभाग लगातार कर रहा ट्रैकिंग
एसडीओ वनमंडल मनोज जाटव ने बताया कि कूनो की विशेषज्ञ टीम और स्थानीय वन अमला लगातार चीतों की लोकेशन की निगरानी कर रहा है। चीतों के मूवमेंट पर हर घंटे अपडेट लिया जा रहा है।
दो भाई शावक साथ कर रहे हैं शिकार
वन विभाग के सूत्रों के अनुसार, चीता KGP-3 और KG-4 (चीता गामिनी और पवन के शावक) कूनो से निकलकर पहले जौरा, फिर मुरैना पहुंचे। यहां से होते हुए वे ग्वालियर के सोनचिरैया अभयारण्य में दाखिल हुए और बरई, पनिहार, आरोन, करई होते हुए सिमरिया क्षेत्र में पहुंच गए।
ग्रामीणों ने बताया कि ये दोनों शावक साथ ही शिकार करते हैं और ज्यादातर समय दिनभर आराम करते हैं।
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तीसरा चीता भी पहुंचा ग्वालियर क्षेत्र में
वहीं तीसरा चीता (चीताआशा और पावक का शावक) शिवपुरी के जंगलों से निकलकर ग्वालियर वनमंडल में पहुंच गया है। तीनों चीतों की खासियत है कि ये लगातार अपनी लोकेशन बदलते रहते हैं, इसलिए सुरक्षा और मॉनिटरिंग बेहद जरूरी है।
ग्रामीणों से अपील की गई है कि वे सतर्क रहें और वन विभाग को किसी भी मूवमेंट की जानकारी तुरंत दें।
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