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प्रमोशन में आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट में सुनवाई: एमपी सरकार ने रखा अपना पक्ष, 6 जनवरी को अगली सुनवाई

मध्यप्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण से जुड़ी याचिकाओं पर जबलपुर हाईकोर्ट में गुरुवार, 18 दिसंबर को  लंबी सुनवाई हुई। मप्र सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा। अगली सुनवाई 6 जनवरी 2026 को होगी।

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BP Shrivastava
mp High court

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MP Govt Promotion Reservation: मध्यप्रदेश में प्रमोशन में आरक्षण से जुड़ी याचिकाओं पर जबलपुर हाईकोर्ट में गुरुवार, 18 दिसंबर को  लंबी सुनवाई हुई। मप्र सरकार ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा। अगली सुनवाई 6 जनवरी 2026 को होगी।

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सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस संजय सचदेवा की अध्यक्षता वाली डिविजन बेंच के सामने राज्य सरकार ने प्रमोशन प्रक्रिया से संबंधित आंकड़े और स्थिति को स्पष्ट किया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला हजारों कर्मचारियों के भविष्य से जुड़ा हुआ है, इसलिए इसे जल्दी निपटाया जाएगा।

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से क्या पूछा ?

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या 54 विभागों के 1500 कैडर में किसी का प्रमोशन आरक्षण से प्रभावित हुआ है या नहीं ? याचिकर्ताओं ने वेटरिनरी, पीएचई, मेडिकल एजुकेशन, फॉरेस्ट, उद्यानिकी और मंत्रालय विभागों का उदाहरण देते हुए ऐसा नहीं बताया। लेकिन सरकार ने जरनैल सिंह-2 फैसले का हवाला देते हुए कहा कि प्रतिनिधित्व कैडर के अनुसार होना चाहिए। अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी।

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सरकार की ओर से यह दी गई दलील

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में सरकार की ओर से दलील दी गई। याचिकाकर्ता नहीं चाहते प्रमोशन, क्योंकि अनेक याचिकाकर्ता प्रतिनियुक्ति पर हैं। याचिकाओं की प्रचलनशीलता (Prevalence) पर सरकार ने सवाल उठाए। जब प्रमोशन में आरक्षण कानून लागू ही नहीं हुआ तो याचिकाकर्ता प्रमोशन के कानून से कैसे पीड़ित होंगे। 

सर्विस मेटर के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के हवाले से सरकार ने तर्क दिया। याचिकाओं को जनहित याचिकाओं की तरह ट्रीट नहीं किया जा सकता है। नियम लागू होने के बाद पीड़ित का व्यक्तिगत रूप से केस का परीक्षण करने का नियम है।

सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि संसद के अलावा हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट को क्रमीलेयर के संबंध में कानून बनाने का संवैधानिक रूप से अधिकार नहीं है। कोईकोर्ट ने अजाक्स एवं हस्तक्षेपकर्ताओं की ओर से बहस के लिए एक घंटे का समय तय किया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी 2026 को होगी।

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एमपी में 3 लाख पद खाली

राज्य सरकार के सीनियर वकील सीएस वैद्यनाथन ने जानकारी दी कि प्रदेश में कुल 9.50 लाख पद स्वीकृत हैं। इनमें से 6.45 लाख पदों पर कर्मचारी कार्यरत हैं। प्रमोशन पर रोक के कारण लगभग 3 लाख पद खाली हैं। वर्ग-2 और वर्ग-4 के करीब 2.90 लाख कर्मचारियों का प्रमोशन लम्बे समय से रुका हुआ है।

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