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IAS संतोष वर्मा पदोन्नति विवाद: प्रमोशन का फर्जी निर्णय टाइप करने वाली टाइपिस्ट गिरफ्तार, पुलिस करेगी घर की तलाश

IAS संतोष वर्मा को प्रमोशन का फायदा दिलाने के लिए कोर्ट का फर्जी फैसला टाइप करने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। इस केस में आरोपी कोर्ट कर्मचारी नीतूसिंह चौहान को गुरुवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

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Preeti Dwivedi
IAS Santosh Varma

IAS Santosh Varma Promotion Controvercy: आईएएस संतोष वर्मा को प्रमोशन का फायदा दिलाने के लिए कोर्ट का फर्जी फैसला टाइप करने के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। इस केस में आरोपी कोर्ट कर्मचारी नीतूसिंह चौहान को गुरुवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने उसे बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया था। हालांकि इसी दौरान पूछताछ के समय उसे गिरफ्तारी कर लिया। इसके बाद उसे कोर्ट में पेश किया गया। यहां से उसे पुलिस को दो दिन की रिमांड मिल गई है। इसके बाद अब पुलिस उसके घर की तलाश करेगी। 

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स्पेशल जज की कोर्ट का फर्जी आदेश किया था तैयार

पुलि​स अधिकारियों के अनुसार आईएएस संतोष वर्मा (IAS Santosh Varma) के लिए स्पेशल जज विजेंद्र रावत की कोर्ट का जो फर्जी आदेश तैयार किया गया था, उसे नीतूसिंह चौहान ने ही टाइप किया था। जिस समय यह फर्जी फैसला लिखा गया। उस समय वे उसी कोर्ट में टाइपिस्ट के पद पर तैनात थीं। अभी उनकी पोस्टिंग इंदौर के कुटुंब न्यायालय में पदस्थ है।

गिरफ्तारी पर विरोध 

आपको बता दें जब नीतूसिंह चौहान की गिरफ्तारी हो रही थी तो उस दौरान कोर्ट परिसर में वकीलों द्वारा इसका विरोध भी किया। वकीलों का आरोप है कि पुलिस ने बिना किसी न्यायिक प्रक्रिया के नीतूसिंह (Neetu Singh) को गिरफ्तार किया है। जिसके बाद इसे लेकर काफी देर तक हंगामा चलता रहा।

आईएएस कर रही है जांच 

आपको बता दें आईएएस संतोष वर्मा के लिए लिखे गए कोर्ट के फर्जी निर्णयों के प्रकरण की जांच के लिए एसआइटी गठित की गई थी। जिसने 2021 में पेन ड्राइव और जज विजेंद्र रावत का सिस्टम भी जब्त किया था। इसी दौरान पुलिस को पेन ड्राइव में दोनों निर्णयों की प्रति मिल गई थी।

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नहीं मिली फैसले की कॉपी, इसलिए तलाशी की अनु​मति 

इस मामले में इंदौर पुलिस सूत्रों के अनुसार बताया गया है कि प्रारंभिक जांच और मिले सबूतों से यह सामने आया है कि टाइपिस्ट रहते नीतूसिंह चौहान ने ही फर्जी निर्णय टाइप किए थे। हालांकि अब तक फैसले की दस्तावेजी प्रति पुलिस के हाथ नहीं लगी है। ऐसे में गिरफ्तार हुए कोर्ट के टाइपिस्ट के घर पर तलाशी के लिए पुलिस कोर्ट से अनुमति मांग रही है।

कोर्ट के दो अलग-अलग निर्णय किए थे पेश

उल्लेखनीय है कि आईएएस  के रूप में प्रमोशन पाने के लिए संतोष वर्मा ने शासन को कोर्ट के दो अलग-अलग निर्णय पेश किए थे। पहले निर्णय में समझौते से प्रकरण खत्म करना बताया गया था, जबकि प्रमोशन (IAS Santosh Varma Promotion Kand) में समझौते को आधार नहीं माना जाता। इसके बाद कोर्ट का दूसरा निर्णय पेश किया गया, जिसमें उसने खुद को कोर्ट से बरी होना बताया। हालांकि कोर्ट में इस निर्णय का कोई रिकार्ड नहीं मिला।

बढ़ सकती है इनकी मुश्किलें

माना जा रहा है कि इस मामले में टाइपिस्ट नीतूसिंह की गिरफ्तारी के बाद आरोपित बनाए गए तत्कालीन स्पेशल जज विजेंद्र रावत और आईएएस संतोष वर्मा की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं। आपको बता दें इस मामले में विजेंद्र रावत अग्रिम जमानत पर चल रहे हैं तो वहीं आईएएस संतोष वर्मा सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर रिहा हैं।

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वर्मा नहीं कर रहे सहयोग 

पुलिस अधिकारियों की मानें तो इस मामले में अभी आईएएस संतोष वर्मा से पूछताछ करने और हस्ताक्षर के नमूने लेने हैं। पर वर्मा द्वारा जांच में सहयोग नहीं किए जाने के कारण आने वाले दिनों में पुलिस वर्मा की अग्रिम जमानत खारिज कराने के लिए कोर्ट का रुख अपना सकती है। 

आखिर क्या है IAS संतोष वर्मा का प्रमोशन कांड 

आईएएस संतोष वर्मा के प्रमोशन कांड का खुलासा 2021 में हुआ। जब प्रमोशन के चक्कर में उन्होंने फर्जी दस्तावेज तैयार कराए थे। आरोप था कि उन्होंने आईएएस कैडर आवंटन के बाद डीपीसी यानी डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमिटी की रिपोर्ट पर स्पेशल जज विजेंद्र रावत के साइन की नकली कॉपी बनाई। इसक बाद 27 जून 2021 को इंदौर के एमजी रोड थाने में उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। उसी दिन  आधी रात को पुलिस ने उन्हें अरेस्ट किया था। इसके बाद वे निलंबित कर दिए गए थे। फिर वर्मा को कई महीनों तक जेल में रहना पड़ा और इसके बाद वे जमानत पर रिहा हुए थे। 

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IAS Santosh Varma Promotion Controversy
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