हाइलाइट्स
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पूर्व सीएम शिवराज ने किया था परिवार से मुफ्त शिक्षा का वादा
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सील बंद लिफाफे में आए जवाब को युगलपीठ ने रिकॉर्ड में लिया
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स्कूल प्रबंधन ने भेजा था 14 लाख का नोटिस
जबलपुर। Jabalpur News: गैंगरेप पीड़िता और उसकी बहन की मुफ्त शिक्षा का शासन ने वादा किया था।
इसके बाद स्कूल प्रबंधन ने पीड़िता को फीस पूर्ति को लेकर नोटिस जारी कर दिया। इस मामले में 19 फरवरी को सुनवाई हुई। जिसमें कोर्ट के द्वारा पहले भेजे गए नोटिस और फीस प्रतिपूर्ति को लेकर सुनवाई की गई। बता दें कि इस मामले में हाईकोर्ट के सख्त रवैए के बाद जिम्मेदारों ने बंद लिफाफे में जवाब भेजा है।
चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने जवाब को रिकॉर्ड पर लेते हुए मामले की अगली सुनवाई 27 फरवरी को निर्धारित है।
गैंगरेप पीड़िता (Jabalpur News) नाबालिग और उसकी बहन की मुफ्त शिक्षा संबंधी मामले में हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा और कलेक्टर इंदौर को फटकार लगाई।
इसके साथ ही इन सभी अधिकारियों पर 25-25 हजार रुपए की कॉस्ट भी लगाई गई थी। साथ ही इस मामले में अदालत ने इंदौर के विद्यासागर स्कूल प्रबंधन को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
डॉक्टरों ने बच्ची को बचा लिया था
जानकारी के अनुसार मंदसौर जिले में जून 2018 को 7 साल बच्ची का स्कूल से दो लोगों ने अपहरण कर लिया और उसके साथ गैंगरेप (Jabalpur News) किया।
गैंगरेप से जब इन दरिंदों (Jabalpur News) का मन भर गया तो बच्ची को मारने का प्रयास किया। इस दौरान उसका दो बार गला काटा और उसे मरने के लिए छोड़ दिया था।
लेकिन डॉक्टरो ने बच्ची के कई ऑपरेशन कर उसे बचा लिया।
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स्कूल प्रबंधन ने भेजा था नोटिस
बता दें कि उस समय तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पीड़िता (Jabalpur News) और उसके परिवार से वादा किया था कि
सरकार उसकी और उसकी बहन की शिक्षा का खर्च उठाएगी और दोनों का ख्याल भी रखेगी। इस वादे के साथ ही सरकार ने इंदौर के एक निजी स्कूल में दोनों बहनों का दाखिला कराया था।
स्कूल प्रबंधन ने इंदौर कलेक्टर और जिला शिक्षा विभाग को 14 लाख रुपए बकाया का नोटिस (Jabalpur News) भेजा था।
नोटिस पर जिला शिक्षा अधिकारी का तर्क था कि प्रवेश के लिए सरकार द्वारा स्कूल को दिए गए पत्र में यह उल्लेख नहीं किया गया था कि फीस का भुगतान कौन करेगा।
इस मामले में स्कूल प्रबंधन के द्वारा पीड़िता को भी नोटिस जारी कर फीस पूर्ति करने के लिए कहा गया था।
मामला इंदौर से मुख्यपीठ जबलपुर स्थानातंरित हुआ था।