Ayodhya Ram Mandir: सालों का इंतजार आज खत्म हो गया. अयोध्या में स्थित श्री राम जन्मभूमि (Ayodhya Shree Ram Janmbhumi) पर लगभग 500 साल बाद श्री राम के भव्य मंदिर (Shree Ram Mandir) का निर्माण कार्य आज पूरा हो गया है.
आज राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन किया गया. इसकी शुरुआत 15 जनवरी से ही अनुष्ठान शुरू हो चुके थे. वहीं, इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेद कई जानी-मानी हस्तियां शामिल हुईं.
राम मंदिर में की जाने वाली प्राण प्रतिष्ठा को लेकर लोगों के मन में सवान जरूर आ रहा होगा कि आखिर प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा क्यों की जाती है और इसका क्या महत्व है.
प्राण प्रतिष्ठा क्या है
अगर शाब्दिक अर्थ की बात करें तो प्राण का अर्थ है जीवन शक्ति और प्रतिष्ठा का अर्थ है स्थापना. प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ होता है किसी जीवन शक्ति को स्थापित करना. धार्मिक रुप से प्राण प्रतिष्ठा एक तरह का धार्मिक अनिष्ठान है जिसका दो धर्मों में पालन किया जाता है.
हिन्दू और जैन धर्म के लोग इसके जरिए किसी मंदिर में पहली बार भगवान की मूर्ति स्थापित करते हैं. ये काम कई पूजारियों की उपस्थिति में होता हैं जिसमें कई सारे धार्मिक मंत्रों और भजनों को भी शामिल किया जाता है.
हिन्दू धर्म में अगर किसी मूर्ति का प्राण प्रतिष्ठा ना हुआ हो तो उसे पूजा करने योग्य नहीं माना जाता है.
क्यों जरूरी होती है मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा?
हिंदू धर्म के मुताबिक, किसी भी मंदिर में देवी-देवता की मूर्ति स्थापित करने से पहले उस मूर्ति की विधि-विधान से प्राण प्रतिष्ठा करना बेहद जरूरी होता है. प्राण प्रतिष्ठा का मतलब है कि मूर्ति में प्राणों की स्थापना करना या जीवन शक्ति को स्थापित करके किसी भी मूर्ति को देवता के रूप में बदलना.
प्राण प्रतिष्ठा के दौरान मंत्रों का उच्चारण और विधि-विधान से पूजा करके मूर्ति में प्राण स्थापित किए जाते हैं. किसी भी मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करते समय कई चरणों से होकर गुजरना पड़ता है. इन सभी चरणों को अधिवास कहा जाता है.
हिंदू धर्म के पुराणों और ग्रंथों में प्राण प्रतिष्ठा का वर्णन किया गया है. हिंदू धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक, बिना प्राण प्रतिष्ठा के किसी भी प्रतिमा की पूजा नहीं की जा सकती है. प्राण प्रतिष्ठा से पहले तक प्रतिमा निर्जीव रहती है और प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही उसमें जीवन आता है और वह पूजनीय योग्य बन जाती है.
क्या है प्राण प्रतिष्ठा की पूरी प्रक्रिया?
प्राण प्रतिष्ठा के दौरान कई चरण होते हैं, जिसे अधिवास कहा जाता है. अधिवास वह प्रक्रिया है जिसमें मूर्ति को विभिन्न चीजों में डुबोया जाता है. इस प्रक्रिया के तहत मूर्ति को पहले पानी में रखा जाता है. फिर मूर्ति को अनाज में रखा जाता है.
इसके बाद मूर्ति को फलों में रखा जाता है और फिर इसे औषधि, केसर और फिर घी में रखा जाता है.
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