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Jabalpur News: अस्पताल प्रशासन ने नहीं दिया शव वाहन, थैले में नवजात का शव लेकर घर जाने को मजबूर हुए परिजन

मध्य प्रदेश के जबलपुर से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि जबलपुर स्थित एक सरकारी अस्पताल ने...

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Bansal News
Jabalpur News: अस्पताल प्रशासन ने नहीं दिया शव वाहन, थैले में नवजात का शव लेकर घर जाने को मजबूर हुए परिजन

Jabalpur: मध्य प्रदेश के जबलपुर से हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि जबलपुर स्थित एक सरकारी अस्पताल ने शव वाहन उपलब्ध कराने से इनकार कर दिया, जिसकी वजह से परिजनों को नवजात बच्चे के शव को थैले में छिपाकर जबलपुर से डिंडोरी करीब 140 किलोमीटर दूर अपने गांव ले जाने के लिए मजबूर होना पड़ा। आईए जानते है पूरा मामला।

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इलाज के दौरान नवजात की हो गई मौत

जानकारी के अनुसार, घटना 15 जून की है। डिंडोरी जिले के सहजपुरी गांव के निवासी सुनील धुर्वे के नवजात बच्चे ने जबलपुर स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में उपचार के दौरान दम तोड़ दिया था। नवजात बच्चे के पिता ने बताया, ‘‘मेरी पत्नी जमनी बाई ने 13 जून को डिंडोरी जिला अस्पताल में बेटे को जन्म दिया था। नवजात शारीरिक रूप से कमजोर था और 14 जून को डॉक्टर ने उसे जबलपुर स्थित नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में रेफर कर दिया, जहां 15 जून को इलाज के दौरान नवजात की मौत हो गई।’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘नवजात के शव को वापस डिंडोरी लेकर आना था। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन से शव वाहन उपलब्ध कराने का निवेदन किया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। इसलिए शव को थैले में रखकर बस से लाया हूं।’’

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[caption id="attachment_226767" align="alignnone" width="889"]jabalpur थैले में नवजात का शव रख घर पहुंचे परिजन[/caption]

मेडिकल कॉलेज से शव वाहन नहीं मिला तो क्या करते...

आर्थिक रूप से कमजोर धुर्वे ने आगे बताया, ‘‘जब मेडिकल कॉलेज से शव वाहन नहीं मिला तो क्या करते। निजी वाहन का किराया 4,000 से 5,000 रूपये है। इसलिए हमने नवजात के शव को थैले में रखा। जबलपुर से डिंडौरी आने वाली बस में बैठ गए। दिल रो रहा था, लेकिन मजबूरी ये थी कि हम रो भी नहीं पा रहे थे। बस चालक और सहचालक को पता चल जाता कि हमारे पास बच्चे का शव है, तो शायद वह हमें बस से उतार देते। इसलिए सीने में पत्थर रखकर बैठे रहे।’’

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मध्य प्रदेश स्वास्थ्य विभाग के संयुक्त संचालक डॉ. संजय मिश्रा ने  बताया, ‘‘बच्चे का वजन कम होने के कारण उसे उपचार के लिए शासकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 14 जून को भर्ती किया गया था। अस्पताल में बच्चा उपचार के लिए भर्ती था और उसकी हालत ठीक नहीं थी। इसके बावजूद भी परिजन उसे डिस्जार्च करने की मांग कर रहे थे और अपनी मर्जी से बच्चे को अस्पताल से ले गये थे।’’

यह पूछे जाने पर कि क्या मृतकों को ले जाने के लिए अस्पताल के शवगृह का कोई वाहन उपलब्ध है, तो इस पर उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पताल में ऐसी कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है। गौरतलब है कि डिंडोरी जबलपुर से लगभग 140 किलोमीटर दूर है।

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