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Kisan Diwas: भारत की मिट्टी आज भी किसान के पसीने से सींची जाती है, लेकिन वही किसान अपनी ही जमीन पर सबसे ज्यादा संघर्ष करता नजर आता है। मौसम की मार, बढ़ती लागत, फसलों के सही दाम और कर्ज के बोझ के बीच किसान हर दिन उम्मीद और चिंता के साथ खेत में उतरता है। किसान दिवस सिर्फ सम्मान का दिन नहीं, बल्कि उन सवालों को उठाने का दिन है जो अनसुने हैं। सरकारी सब्सिडी और मदद के बाद भी आखिर किसान परेशान क्यों है ?
किसानों की बड़ी समस्याएं
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एक तरफ सरकार का किसान हितैषी होने का वादा और दूसरी तरफ कई किसानों के सामने आज भी खाद, पानी, बीज की समस्या। इसके बाद अगर फसल पर खराब मौसम की मार पड़ जाए तो किसान कर्ज में डूब जाता है।
विदिशा जिले के अहमदनगर के किसानों से बातचीत
'खेती में दूसरे धंधों की तरह फायदा नहीं'
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किसान प्रदीप लोधी कहते हैं कि वे सालभर में 2 फसल लेते हैं, वो भी पर्याप्त नहीं हो पातीं। ज्यादा बारिश या बारिश कम होने की वजह से फसल खराब हो जाती है। हमारे सामने पानी की समस्या है। खेती में ऐसा फायदा नहीं है जो दूसरे धंधों में होता है। अपना घर-परिवार चल रहा है। वही ठीक है। खाद ई-टोकन से मिलता है लेकिन समय पर नहीं मिल पाता। सरकार से मदद के नाम पर कुछ भी नहीं है। सरकार को किसानों के बारे में कुछ सोचना चाहिए। पानी, खाद, बीज की व्यवस्था होनी चाहिए।
'समय पर खाद और सही दाम नहीं मिलने से त्रस्त'
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किसान अमीरचंद तिवारी कहते हैं कि मैं करीब 15 साल से खेती कर रहा हूं। धान, सोयाबीन, गेहूं, चना की खेती करते हैं। हमारी समस्या है कि समय पर खाद नहीं मिलती और दाम सही नहीं मिलता। हम इन दोनों समस्याओं से त्रस्त हैं। सिंचाई की व्यवस्था सही नहीं है। 2 किलोमीटर दूर से पानी की व्यवस्था करनी पड़ रही है। नहर हमारे गांव तक आनी थी, लेकिन अभी भी उसका काम पूरा नहीं हुआ है। हमारी सरकार से यही मांग है कि अहमदनगर में नहर का काम पूरा किया जाए।
'समय से खेती की जाए तो बचत है'
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किसान सुनील धाकड़ कहते हैं कि 15 बीघा में धान 135 बोरा होती है। गेहूं 130-135 क्विंटल निकलता है। खाद की समस्या तो है लेकिन लाइन में लगकर टोकन से खाद मिल जाता है। खेती अगर समय से की जाए तो बचत होती है। सरकार से यही चाहते हैं कि वक्त पर खाद मिलता रहे।
'सबसे बड़ी पानी की समस्या'
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युवा किसान सोमेश तिवारी कहते हैं कि उनके शमशाबाद के अहमदनगर में सबसे बड़ी समस्या पानी की है। करीब 15-20 साल पहले हमारे क्षेत्र के लिए नहर स्वीकृत हुई थी, लेकिन अब तक नहर नहीं आई है। सरकार को हमारी समस्याओं का समाधान करना चाहिए तो किसान गांव की ओर लौटेंगे। हम पानी, बिजली, खाद समय से मिले। हर सीजन में दाम को लेकर परेशान होना पड़ता है। हमारे पास फसल रखने की जगह भी नहीं है, इसलिए जल्दी फसल बेचना पड़ता है। सरकार ने हमें मदद तो दी है। मुझे कपिल धारा योजना के तहत कुआं मिला है। कृषक मित्र योजना से ट्रांसफार्मर स्वीकृत हुआ है।
किसानों को सब्सिडी और आर्थिक मदद
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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि
हमारे देश के किसानों को सब्सिडी एक रकम के रूप में नहीं, बल्कि कई योजनाओं के रूप में अलग-अलग सहायता मिलती है। केंद्र सरकार किसानों को 6 हजार रुपये सालाना देती है। 3 किस्त 2-2 हजार रुपये की दी जाती हैं।
कृषि उपकरणों पर सब्सिडी
किसानों को खेती के लिए ट्रैक्टर खरीदने पर 20 से 50 प्रतिशत सब्सिडी मिल सकती है। वहीं कृषि मशीनरी (जैसे पंप, ऑटो बोट आदि) पर अलग-अलग योजनाओं के तहत 40-80% तक सब्सिडी मिल सकती है।
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सोलर पंप और ऊर्जा सब्सिडी
किसानों को 60% तक सब्सिडी solar irrigation pumps पर मिलती है, जिससे डीजल और बिजली का खर्च कम होता है। कुछ राज्य सब्जियों की खेती पर 75 प्रतिशत तक सब्सिडी देते हैं।
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