MP Ram Vangaman Path: श्रीरामचंद्र पथगमन न्यास की पहली बैठक चित्रकूट में कल मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में होने वाली है। पहली बार मध्यप्रदेश में 20 साल पहले श्रीराम वनगमन पथ (MP Ram Vangaman Path) का सुझाव सामने आया था। इन 20 सालों में श्रीराम वनगमन पथ (MP Ram Vangaman Path) को लेकर कब क्या हुआ आइये आपको सिलसिलेवार बताते हैं…
2004 में शुरु हुई चर्चा
श्रीराम अपने वनवास काल के दौरान मध्य प्रदेश में जिन जगहों और रास्तों से होकर गुजरे, उसे ही श्रीराम वनगमन पथ (MP Ram Vangaman Path) कहा जाता है। मध्य प्रदेश में पहली बार वर्ष 2004 में उस समय इस पर चर्चा शुरु हुई जब प्रदेश की मुख्यमंत्री उमा भारती हुआ करती थीं।
हालांकि मध्य प्रदेश में श्रीराम वनगमन पथ (MP Ram Vangaman Path) बनाने की पहली घोषणा शिवराज सिंह चौहान ने बतौर मुख्यमंत्री अपने पहले कार्यकाल वर्ष 2007 में की थी। वर्ष 2008 में शिवराज सरकार के पहले कार्यकाल में ही इसे लेकर 11 विद्वानों की एक समिति भी गठित कर दी गई।
22 महीने तक चले सर्वे के बाद पहली बार राम वनगमन पथ की तस्वीर हुई साफ
संस्कृति विभाग द्वारा समिति गठित होने के बाद मार्च 2009 से लेकर दिसंबर 2010 तक दो चरणों में सर्वे चला। 22 महीने तक चले इस सर्वे के बाद पहली बार सरकार के सामने श्रीराम वनगमन पथ (MP Ram Vangaman Path) की तस्वीर साफ हुई।
इसी सर्वे के बाद सामने आया कि 14 साल वनवास के दौरान भगवान राम मध्य प्रदेश के जिन रास्तों से होकर निकले उनमें सतना, रीवा, पन्ना, छतरपुर, शहडोल और अनूपपुर जिले के 23 स्थान चिन्हित किये गए, जिनमें स्फटिक शिला, गुप्त गोदावरी, अत्रि आश्रम, शरभंग आश्रम, अश्वमुनि आश्रम, सुतीक्ष्ण आश्रम, सिद्धा पहाड़, सीता रसोई, रामसेल, राम जानकी मंदिर, बृहस्पति कुंड, अग्निजिह्ना आश्रम, अगस्त्य आश्रम, शिव मंदिर, रामघाट, श्रीराम मंदिर, मार्कंडेय आश्रम, दशरथ घाट, सीता मढ़ी शामिल है।
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अधिकारियों के तबादले के बाद भूला दी गई सर्वे रिपोर्ट
वर्ष 2011 में शोध समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी। सरकार ने भी शोध समिति की रिपोर्ट को संबंधित जिलों के कलेक्टरों को इस टीप के साथ सौंपा दिया था कि इसके अनुसार भौतिक विकास योजना तैयार कर शासन से बजट प्राप्त कर लें। इसके बाद जिलों में अधिकारियों के बदलने के बाद किसी ने इसमें रुचि नहीं दिखाई और योजना फाइलों में ही दबकर रह गई।
आठ साल बाद कमल नाथ सरकार में फिर बनी कार्य योजना
श्रीराम वनगमन पथ (MP Ram Vangaman Path) के विकास के लिए आठ साल बाद फाइलों से धूल हटी और कमल नाथ सरकार ने वर्ष 2019 में कार्ययोजना तैयार कर 22 करोड़ रुपये का बजट प्रावधान किया, पर कोई काम फिर भी नहीं हो सका।
तीन साल बाद फिर 300 करोड़ हुए स्वीकृत
तीन साल बाद शिवराज सरकार ने वर्ष 2022 में मध्य प्रदेश में श्रीराम वनगमन पथ (MP Ram Vangaman Path) का काम शुरू करने के लिए पहले चरण में मूलभूत सुविधाएं विकसित करने पर जोर देते हुए 300 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को अनुमति दी, लेकिन इस दौरान भी कोई खास काम नहीं हो सके।
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मई 2023 में गठित हुआ श्रीरामचंद्र पथ गमन न्यास
4 मई 2023 को शिवराज सरकार ने श्रीराम वनगमन पथ (MP Ram Vangaman Path) के विकास के लिए श्रीरामचंद्र पथ गमन न्यास का गठन किया। जिसका काम केंद्र सरकार की तरफ से प्रदेश में चिह्नित श्रीराम वनगमन पथ (MP Ram Vangaman Path) के 23 स्थलों का विकास करना था। इसके अध्यक्ष मुख्यमंत्री स्वयं हैं। न्यास में 33 सदस्य हैं। जिसमें से 28 पदेन न्यासी सदस्य हैं।
मोहन सरकार में न्यास की पहली बैठक
शिवराज सरकार के समय जिस न्यास का गठन हुआ, उसकी कभी बैठक ही नहीं हो सकी। श्रीरामचंद्र पथ गमन न्यास की पहली बैठक कल मोहन सरकार के समय चित्रकूट में होने जा रही है। जिसका एजेंडा श्रीराम वनगमन पथ (MP Ram Vangaman Path) के 23 स्थलों का विकास करना है।
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