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CG High Court
CG High Court:छत्तीसगढ़ के सक्ती क्षेत्र के राजा धर्मेंद्र सिंह (Raja Dharmendra Singh) को बिलासपुर हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अप्राकृतिक दुष्कर्म के आरोप में मई 2025 से जेल में बंद राजा धर्मेंद्र सिंह को हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने बरी कर दिया है। अदालत ने ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई सात साल की सजा को रद्द करते हुए तत्काल रिहाई का आदेश जारी किया है। फैसला आते ही शक्ति और आसपास के क्षेत्रों में राजनीतिक व सामाजिक चर्चाओं का दौर तेज हो गया है।
आरोपों से लेकर जेल तक, क्या था पूरा मामला
एक महिला ने राजा धर्मेंद्र सिंह पर अप्राकृतिक रेप (Sakti Raja Dharmendra Singh rape case) का आरोप लगाया था, जिसके आधार पर पुलिस ने मामला दर्ज किया। ट्रायल कोर्ट ने उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर राजा को दोषी मानते हुए सात साल की सजा सुनाई थी। इसके बाद से वे लगातार जेल में बंद थे।
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हाईकोर्ट ने कहा- आरोप संदेह से परे साबित नहीं
राजा की ओर से दायर अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने मामले की केस डायरी, साक्ष्यों और गवाहों के बयान का विस्तृत परीक्षण किया। अदालत ने कहा कि ट्रायल कोर्ट का फैसला न्यायिक कसौटी पर खरा नहीं उतरता, क्योंकि आरोप संदेह से परे साबित नहीं होते।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि जिन साक्ष्यों के आधार पर सजा दी गई थी, वे पर्याप्त नहीं थे और केस में कई महत्वपूर्ण बिंदु संदेह पैदा करते हैं। इसलिए ट्रायल कोर्ट का निर्णय टिकाऊ नहीं है।
अदालत ने जारी किया रिहाई का आदेश
फैसले में अदालत ने राजा धर्मेंद्र सिंह को सभी आरोपों से बरी करते हुए जेल प्रशासन को तत्काल रिहाई का आदेश दिया। आदेश जारी होते ही क्षेत्र में कई तरह की प्रतिक्रियाएँ सामने आने लगीं।
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क्या है पूरा मामला ?
10 जनवरी 2022 को पीड़िता ने पुलिस स्टेशन में उपस्थित होकर लिखित आवेदन दिया। उसने बताया कि 9 जनवरी 2022 को लगभग 09:00 बजे वह अपने घर में अकेली थी, तभी आरोपी धर्मेंद्र सिदार (निवासी पीला महल, सक्ती) उसके घर में घुस आया। आरोप है कि आरोपी ने उसके सामने अभद्र व्यवहार किया, दुष्कर्म का प्रयास किया, उसकी साड़ी और ब्लाउज फाड़ने की कोशिश की। जब उसने विरोध किया तो उसकी हाथ की चूड़ियां टूट कर जमीन पर गिर गईं।
यह भी कहा गया कि आरोपी ने उसका पेटीकोट और ब्लाउज फाड़ दिया। शोर मचाने पर आरोपी मौके से भाग गया। इस दौरान पीड़िता ने अपने भाई को मोबाइल फोन से घटना की सूचना दी। पीड़िता की लिखित रिपोर्ट के आधार पर सक्ती पुलिस स्टेशन में धारा 450, 354 और 377 आईपीसी के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई।
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