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Chhattisgarh worker murder: छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले के रहने वाले प्रवासी मजदूर राम नारायण बघेल की केरल में भीड़ द्वारा की गई हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। 17 दिसंबर को केरल के अट्टापल्लम इलाके में स्थानीय लोगों ने राम नारायण को बांग्लादेशी नागरिक और चोरी के शक में पकड़ लिया। इसके बाद बिना किसी पुष्टि के भीड़ ने उसे बेरहमी से पीटना शुरू कर दिया। पुलिस के अनुसार, राम नारायण नशे की हालत में था, लेकिन उसके पास से चोरी से जुड़ा कोई भी सबूत नहीं मिला।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टर हितेश शंकर ने बताया कि राम नारायण के शरीर पर 80 से ज्यादा चोटों के निशान पाए गए। शरीर का कोई भी हिस्सा ऐसा नहीं था, जिस पर चोट न हो। सिर पर गंभीर वार किए गए थे, जिससे अत्यधिक रक्तस्राव हुआ और दर्दनाक हालत में उसकी मौत हो गई। पुलिस ने साफ कहा है कि यह मौत अत्यधिक मारपीट और दर्द के कारण हुई।
मृतक के चचेरे भाई शशिकांत बघेल ने आरोप लगाया कि परिवार को समय पर राम नारायण की मौत की जानकारी नहीं दी गई। पुलिस ने सिर्फ यह कहा कि वह थाने में है और तुरंत पहुंचने को कहा। जब परिजन केरल पहुंचे, तब उन्हें उसकी मौत का पता चला। राम नारायण अपने पीछे दो छोटे बेटे छोड़ गया है, जिनकी उम्र 8 और 10 साल है।
मुआवजे का ऐलान, लेकिन सवाल बरकरार
परिवार ने शुरुआत में 25 लाख रुपये मुआवजे की मांग की थी। इसके बाद केरल सरकार ने कैबिनेट बैठक में पीड़ित परिवार को 30 लाख रुपये आर्थिक सहायता देने का फैसला लिया। वहीं छत्तीसगढ़ सरकार ने भी 5 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा की। इस तरह कुल 35 लाख रुपये की सहायता तय की गई है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि शव को हवाई जहाज से छत्तीसगढ़ लाने और परिजनों को केरल भेजने की पूरी व्यवस्था की गई।
गिरफ्तारी और फरार आरोपी
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वालैयार थाना पुलिस ने इस मामले में अब तक 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों में मुरली, प्रसाद, अनु, बिपिन और आनंदन शामिल हैं। पुलिस का मानना है कि महिलाओं समेत करीब 15 लोग इस घटना में शामिल थे। शुरुआती जांच में चूक के चलते कई आरोपी राज्य छोड़कर फरार हो गए हैं।
राजनीतिक आरोप और मानवाधिकार आयोग की एंट्री
घटना को लेकर कांग्रेस ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और एक करोड़ रुपये मुआवजे की मांग की है। केरल सरकार के मंत्री एमबी राजेश ने दावा किया कि गिरफ्तार किए गए आरोपियों में से चार RSS परिवार से जुड़े कार्यकर्ता हैं और यह घटना नफरत की राजनीति का नतीजा है। वहीं राज्य मानवाधिकार आयोग ने इस घटना पर स्वतः संज्ञान लेते हुए पलक्कड़ जिला पुलिस प्रमुख से तीन सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
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