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Gangster Mayank Singh Remand: झारखंड के कुख्यात गैंगस्टर मयंक सिंह की चार दिन की पुलिस रिमांड का आज दूसरा दिन है और पूछताछ के शुरुआती दौर में ही कई सनसनीखेज खुलासे सामने आए हैं। बुधवार को रिमांड के पहले दिन रायपुर पुलिस की कड़ी पूछताछ में मयंक सिंह ने स्वीकार किया कि उसने रायपुर और झारखंड में फायरिंग की घटनाओं को अंजाम दिलवाया, मीडिया को धमकी भरे ई-मेल भेजे और बड़े कारोबारियों से मोटी रंगदारी मांगी।
10 लाख में दिया गया फायरिंग का ठेका
पुलिस सूत्रों के अनुसार, पूछताछ में मयंक सिंह ने कबूल किया कि उसने कुख्यात गैंगस्टर अमन साव को 10 लाख रुपये में फायरिंग का ठेका दिया था। इस ठेके के तहत अमन साव ने पंजाब के पेशेवर शूटरों के जरिए फायरिंग करवाई। बताया जा रहा है कि झारखंड में कंपनी साइट और रायपुर में एक कारोबारी के दफ्तर को निशाना बनाया गया था।
पुलिस का कहना है कि यह फायरिंग लेवी और रंगदारी नहीं देने के कारण करवाई गई थी, ताकि डर का माहौल बनाया जा सके और कारोबारी दबाव में आ जाएं।
एक करोड़ से ज्यादा की रंगदारी की मांग
पूछताछ में यह भी सामने आया है कि मयंक सिंह ने लेटर और फोन कॉल के जरिए 1 करोड़ रुपये से अधिक की रंगदारी की मांग की थी। पुलिस के मुताबिक, मयंक बड़े उद्योगपतियों और कारोबारियों को निशाना बनाता था। रंगदारी नहीं मिलने की स्थिति में वह फायरिंग और धमकी जैसी वारदातों को अंजाम दिलवाता था, जिससे पीड़ितों में दहशत बनी रहे।
मीडिया को धमकी भरे ई-मेल की पुष्टि
मयंक सिंह ने यह भी स्वीकार किया कि 16 जून 2024 को छत्तीसगढ़ की मीडिया को भेजा गया धमकी भरा ई-मेल उसी ने भेजा था। उस ई-मेल में कारोबारियों के परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी गई थी। इस ई-मेल के बाद प्रदेश में हड़कंप मच गया था और सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड में आ गई थीं।
वरिष्ठ अधिकारियों की सीधी निगरानी
पूरे मामले की निगरानी डॉ. लाल उमेद सिंह कर रहे हैं। रायपुर एसएसपी के साथ एडिशनल एसपी (क्राइम) और डीएसपी स्तर के अधिकारी भी लगातार पूछताछ में शामिल हैं। पुलिस को उम्मीद है कि रिमांड के दौरान हथियार सप्लाई नेटवर्क, शूटरों की पूरी चेन और लॉरेंस बिश्नोई व अमन साव गैंग से जुड़े कई अहम राज सामने आ सकते हैं।
चार दिन की रिमांड से कई परतें खुलने की उम्मीद
गौरतलब है कि मयंक सिंह को रायपुर फायरिंग केस का मुख्य आरोपी माना जा रहा है। उसके खिलाफ हत्या, रंगदारी, धमकी और फायरिंग जैसे 45 से अधिक गंभीर मामले दर्ज हैं। पुलिस का मानना है कि चार दिन की रिमांड में अपराध की पूरी साजिश, आर्थिक लेन-देन और अंतरराज्यीय नेटवर्क से जुड़े कई महत्वपूर्ण सुराग मिल सकते हैं, जिससे बड़े अपराधियों तक पहुंच आसान हो जाएगी।
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