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Dhirendra Shastri Statement: छत्तीसगढ़ की राजनीति और धार्मिक विमर्श में एक बार फिर बयानबाज़ी तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के उस बयान पर विवाद खड़ा हो गया है, जिसमें उन्होंने कथावाचक प्रदीप मिश्रा और पं. धीरेंद्र शास्त्री पर अंधविश्वास फैलाने का आरोप लगाया था। अब इस बयान पर पं. धीरेंद्र शास्त्री ने खुलकर पलटवार किया है।
भिलाई के जयंती स्टेडियम में 25 से 29 दिसंबर तक होने वाली हनुमंत कथा से पहले मीडिया से बातचीत में पं. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि वे नेता नहीं हैं और आमतौर पर राजनीतिक बयानों पर प्रतिक्रिया नहीं देते, लेकिन इस मुद्दे पर बोलना जरूरी है। उन्होंने साफ कहा कि अगर हिंदू समाज को जोड़ना, भक्ति का प्रचार करना और राष्ट्रवाद के प्रति लोगों को जागरूक करना अंधविश्वास है, तो जिन्हें यह अंधविश्वास लगता है, उन्हें देश छोड़ देना चाहिए। उनका कहना था कि हनुमान जी की भक्ति, सनातन संस्कृति और राष्ट्रप्रेम का संदेश देना किसी भी तरह से अंधविश्वास नहीं है, बल्कि यह समाज को जोड़ने का काम है।
बांग्लादेश का जिक्र, भारत को लेकर चेतावनी
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पं. धीरेंद्र शास्त्री ने बांग्लादेश के हालात का जिक्र करते हुए कहा कि वहां हिंदू होना आज अपराध जैसा बन गया है। उन्होंने दावा किया कि हाल ही में सिर्फ हिंदू होने के कारण एक व्यक्ति को जिंदा जला दिया गया। उन्होंने भारत के सनातनी हिंदुओं से अपील की कि यह विषय गंभीर और सोचने योग्य है।
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर समय रहते हिंदू समाज एकजुट नहीं हुआ, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत में भी ऐसी स्थिति बन सकती है। उनके अनुसार यही सही समय है हिंदू एकता और हिंदू राष्ट्र की बात करने का।
जनसंख्या और अल्पसंख्यक होने का दावा
पं. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि एक वर्ग 6 प्रतिशत से बढ़कर 28 प्रतिशत तक पहुंच गया है, जबकि हिंदू समाज 90 प्रतिशत से घटकर 80 प्रतिशत रह गया है। उन्होंने यह भी कहा कि देश के 9 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हो चुके हैं। उनका कहना था कि जब लव जिहाद जैसी घटनाओं का असर परिवारों पर पड़ेगा, तब लोगों को खतरे का अहसास होगा।
धर्मांतरण पर तीन कारण गिनाए
धर्मांतरण के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ का हिंदू समाज अब जागने लगा है। उन्होंने धर्मांतरण के तीन मुख्य कारण बताए—अशिक्षा, आर्थिक तंगी और अंधविश्वास। उन्होंने कहा कि शिक्षा से जागरूकता, आर्थिक रूप से कमजोर हिंदुओं को गोद लेने और भक्ति के माध्यम से विश्वास मजबूत करने की जरूरत है।
घर वापसी, पदयात्रा और संविधान पर स्पष्ट रुख
घर वापसी को लेकर उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह स्वेच्छा से होगी। 27 दिसंबर को दिव्य दरबार में जो लोग सनातन को समझते हैं, वे वापस लौट सकते हैं। उन्होंने आने वाले समय में छत्तीसगढ़ में पदयात्रा की भी बात कही।
संविधान पर सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि उनके मन में संविधान के प्रति पूरी श्रद्धा है। उन्होंने कहा कि वे एक हाथ में संविधान और दूसरे हाथ में गीता-रामायण लेकर चलने वाले लोग हैं। उनके अनुसार व्यवस्था संविधान में है और आस्था राम दरबार में, और दोनों साथ चल सकते हैं।
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