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कांकेर धर्मांतरण विवाद: मामले पर भड़के पुरी शंकराचार्य, कहा- ‘सनातन के सिवा कोई धर्म नहीं, धर्मांतरण रोकने आजीवन कारावास हो’

कांकेर धर्मांतरण विवाद पर पुरी शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने सनातन धर्म को एकमात्र धर्म बताते हुए धर्मांतरण को धर्म-च्युति कहा। उन्होंने इसे शासन की विफलता बताया और धर्मांतरण कराने वालों को आजीवन कारावास देने की मांग की।

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Shashank Kumar
CG Conversion Controversy

CG Conversion Controversy

CG Conversion Controversy: छत्तीसगढ़ के कांकेर में सामने आए धर्मांतरण विवाद को लेकर पुरी शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कड़ा और स्पष्ट बयान दिया है। राजधानी रायपुर के रावांभांठा स्थित सुदर्शन संस्थानम आश्रम में पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के अलावा शेष सभी केवल धर्माभास हैं। उनके अनुसार धर्मांतरण जैसा कोई शब्द ही वास्तविक नहीं है, यह दरअसल धर्म-च्युति है, यानी अपने मूल धर्म से भटक जाना।

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‘शासन तंत्र की कमजोरी से बढ़ता धर्मांतरण’

शंकराचार्य (Puri Shankaracharya) ने कहा कि यदि शासन तंत्र सजग और सशक्त हो तो धर्मांतरण जैसी घटनाएं संभव ही नहीं हों। उन्होंने आरोप लगाया कि शासन की दिशाहीनता के कारण ही यह समस्या गहराती जा रही है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि जो लोग हिंदुओं को लालच या डर के जरिए ईसाई बना रहे हैं, उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी जानी चाहिए, ताकि समाज में कड़ा संदेश जाए।

डर, लालच और भावुकता से हो रहा धर्म से विचलन

शंकराचार्य निश्चलानंद ने धर्मांतरण के मूल कारणों पर बात करते हुए कहा कि डर, लोभ और कोरी भावुकता इसकी जड़ हैं। उन्होंने समाज को आत्ममंथन की सलाह देते हुए कहा कि यदि हर हिंदू परिवार प्रतिदिन केवल एक रुपया भी जरूरतमंदों की सहायता के लिए दे और मंदिर व घर को धर्म केंद्र बनाकर प्रतिदिन एक घंटा सनातन मूल्यों के प्रचार में लगाए, तो स्थिति बदली जा सकती है।

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बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार पर चिंता

बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रही हिंसा को लेकर भी शंकराचार्य ने गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि वहां की घटनाएं यह दिखाती हैं कि हिंदू केवल अपने परिवार और पेट की चिंता तक सीमित हो गए हैं। उन्होंने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चुप्पी पर भी सवाल उठाए।

पुरी शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती पिछले 15 दिनों से रायपुर प्रवास पर हैं, जो अपने आप में एक विशेष अवसर है। आश्रम में प्रतिदिन दर्शन, दीक्षा और संगोष्ठी का आयोजन हो रहा है। 30 दिसंबर को सुबह दर्शन-दीक्षा के बाद वे पुरी के लिए प्रस्थान करेंगे।

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