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Makhana Farming
Makhana Farming: मखाना की खेती करने वाले किसानों के लिए छत्तीसगढ़ से बड़ी राहत भरी खबर सामने आई है। मखाना उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ को आधिकारिक रूप से मखाना बोर्ड (Chhattisgarh Makhana Board) में शामिल कर लिया गया है। इस फैसले से राज्य के किसानों को तकनीकी सहायता, अनुदान और बाजार तक बेहतर पहुंच मिलने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के प्रयासों से यह महत्वपूर्ण उपलब्धि संभव हो सकी है। हाल ही में धमतरी जिले में आयोजित कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने छत्तीसगढ़ में मखाना की खेती की संभावनाओं को देखते हुए मखाना बोर्ड से जोड़ने की घोषणा की थी। उन्होंने राज्य में हो रहे उत्कृष्ट मखाना उत्पादन की सराहना भी की।
मखाना बोर्ड से किसानों को क्या मिलेगा लाभ
केंद्रीय मंत्री ने कहा था कि मखाना बोर्ड के माध्यम से किसानों को वैज्ञानिक खेती, जल प्रबंधन, आधुनिक प्रसंस्करण तकनीक और सीधे बाजार से जोड़ने की सुविधा मिलेगी। इससे मखाना की खेती केवल परंपरागत स्तर पर नहीं, बल्कि व्यावसायिक रूप से भी आगे बढ़ेगी।
2025-26 से केंद्र सरकार की नई योजना लागू
राज्य स्तरीय बैठक में जानकारी दी गई कि भारत सरकार वर्ष 2025-26 से “सेंट्रल सेक्टर स्कीम फॉर डेवलपमेंट ऑफ मखाना” की शुरुआत कर रही है। इस योजना के अंतर्गत शत-प्रतिशत केंद्रीय अनुदान का प्रावधान है और शुरुआती चार महीनों के लिए 1.80 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है।
खेती करने पर 40 प्रतिशत तक मिलेगा अनुदान
योजना (Makhana Subsidy Scheme 2025) के तहत तालाब में मखाना की खेती करने वाले किसानों को प्रति इकाई लागत के आधार पर 40 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा। इसी तरह निजी खेत में मखाना उगाने वाले किसानों और नए तालाब निर्माण पर भी सरकार की ओर से आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी, जिससे छोटे और मध्यम किसान भी इस खेती की ओर आकर्षित हो सकें।
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प्रसंस्करण यूनिट लगाने पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी
मखाना के मूल्य संवर्धन को बढ़ावा देने के लिए प्रसंस्करण इकाइयों पर भी सरकार विशेष फोकस कर रही है। एफपीओ के माध्यम से स्थापित होने वाली स्मॉल लेवल मखाना प्रसंस्करण इकाइयों पर 50 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाएगा। वहीं माइक्रो, स्मॉल और लार्ज लेवल यूनिट्स के लिए भी अलग-अलग स्तर पर सब्सिडी का प्रावधान किया गया है।
योजना के अंतर्गत किसानों को मखाना की आधुनिक खेती के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके साथ ही एक्सपोजर विजिट और विश्वविद्यालयों द्वारा खेतों में लाइव डेमो के जरिए किसानों को नई तकनीकों से जोड़ा जा रहा है, ताकि उत्पादन और गुणवत्ता दोनों में सुधार हो सके।
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