/bansal-news/media/media_files/2025/11/27/chhattisgarh-teacher-gradation-highcourt-verdict-petition-dismissed-hindi-news-zvj-2025-11-27-18-56-58.jpg)
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट।
Chhattisgarh Teacher Gradation High Court Verdict: छत्तीसगढ़ में ढाई लाख से ज्यादा शिक्षाकर्मियों को बड़ा झटका लगा है। 10 साल की सर्विस के बाद क्रमोन्नति (ग्रेडेशन) की मांग को लेकर दायर 1188 याचिकाओं को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। अदालत ने साफ कहा कि संविलियन (1 जुलाई 2018) से पहले वे स्कूल शिक्षा विभाग के नियमित कर्मचारी नहीं थे, इसलिए 10 साल सेवा पूरी करने के बाद भी वे ग्रेडेशन का दावा नहीं कर सकते।
1188 टीचरों की ग्रेडेशन याचिका खारिज
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने शिक्षाकर्मियों द्वारा दायर की गई 1 हजार 188 याचिकाओं पर बड़ा फैसला सुनाया है। इन सभी शिक्षकों ने दावा किया था कि उन्होंने 10 वर्ष की सेवा पूरी कर ली है, इसलिए उन्हें क्रमोन्नति (ग्रेडेशन) दी जाए। लेकिन जस्टिस एन के व्यास की एकल पीठ ने याचिकाएं खारिज करते हुए कहा— “संविलियन से पहले शिक्षाकर्मी स्कूल शिक्षा विभाग के अधीन नहीं थे, इसलिए उन्हें 10 साल की नियमित सरकारी सेवा नहीं मानी जा सकती।” यह फैसला पूरे प्रदेश के ढाई लाख शिक्षकों पर असर डालेगा।
पंचायत विभाग से शिक्षा विभाग में हुआ था संविलियन
पंचायत विभाग में नियुक्त शिक्षाकर्मी का शिक्षा विभाग में संविलियन किया गया था। पहले शिक्षाकर्मी—
- ग्रेड-3 → सहायक शिक्षक (LB)
- ग्रेड-2 → शिक्षक (LB)
- ग्रेड-1 → व्याख्याता (LB)
इन पदनामों पर आए थे, लेकिन इन्हें ग्रेडेशन का लाभ नहीं मिला। इसी को लेकर 1188 शिक्षकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
शिक्षकों की दलील- वे ग्रेडेशन के हकदार
याचिकाकर्ता शिक्षकों का तर्क था कि उन्होंने 10 साल की सेवा पूरी कर ली है, इसलिए वे ग्रेडेशन के पात्र हैं। उनका कहना था कि विभाग ने 2017 के उस आदेश को लागू नहीं किया, जिसमें 10 साल बाद वेतन वृद्धि देने का प्रावधान था। इसी आधार पर शिक्षकों ने सोना साहू केस में हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच के फैसले का हवाला देते हुए ग्रेडेशन की मांग उठाई थी।
हालांकि, हाईकोर्ट ने सभी दलीलों को खारिज करते हुए 10 साल सेवा के बाद ग्रेडेशन की मांग वाली शिक्षकों की याचिकाएं नामंजूर कर दीं।
ये खबर भी पढ़ें... Raipur DGP Conference Traffic Plan: रायपुर की ट्रैफिक व्यवस्था में बदलाव, इन रूट्स पर भारी वाहनों की एंट्री बैन
राज्य सरकार ने कोर्ट में क्या कहा?
सरकार की ओर से कहा गया—
- शिक्षाकर्मी पंचायत राज अधिनियम 1993 के तहत नियुक्त थे।
- उनका नियंत्रण जनपद पंचायत के पास था।
- वे राज्य शासन के नियमित कर्मचारी नहीं थे।
- संविलियन 1 जुलाई 2018 से माना जाएगा।
- इससे पहले की सेवा ग्रेडेशन के लिए नहीं गिनी जा सकती।
- कोर्ट ने सरकार की दलीलों को सही माना।
ये खबर भी पढ़ें... Raipur DGP Conference Update : नवा रायपुर के इन बंगलों में रुकेंगे PM मोदी और अमित शाह, VVIP के लिए ये खास इंतजाम
सोना साहू केस क्यों लागू नहीं हुआ?
याचिकाकर्ता शिक्षकों ने अदालत में अपना पक्ष रखते हुए सोना साहू केस का हवाला दिया था, इस मामले में कोर्ट ने कहा कि सोना साहू केस के हालात और नियम अलग हैं। इसे इन याचिकाओं पर लागू नहीं किया जा सकता।
ये खबर भी पढ़ें... CGPSC Vacancy 2025: 238 पदों पर बड़ी भर्ती, 29 CMO व 28 पुलिस सेवा पद; प्रीलिम्स 22 फरवरी को, पुराने पैटर्न पर एग्जाम
ये खबर भी पढ़ें... CG Child Punishment Viral Video: होमवर्क नहीं किया तो मासूम को पेड़ से लटकाया, टीचर की क्रूरता पर HC सख्त, कहा-ये क्या मजाक है?
संविलयन नीति में स्पष्ट है—पुराने लाभ का दावा नहीं
संविलयन नीति (30 जून 2018) के अनुसार—
- शिक्षाकर्मी संविलियन के बाद ही सरकारी कर्मचारी माने जाएंगे।
- पहले की सेवा के आधार पर ग्रेडेशन नहीं मिल सकता।
Chhattisgarh news, Chhattisgarh High Court, Chhattisgarh Teacher Gradation, Chhattisgarh Teacher Gradation HC Verdict, teacher gradation case, high court verdict, teacher merger case, CG news, Chhattisgarh Education Department, Chhattisgarh Teachers Case, raipur news
/bansal-news/media/agency_attachments/2025/10/15/2025-10-15t102639676z-logo-bansal-640x480-sunil-shukla-2025-10-15-15-56-39.png)
Follow Us
चैनल से जुड़ें