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छत्तीसगढ़ में सड़क निर्माण कार्य में गड़बड़ी: लोक निर्माण विभाग के ईई और दो एसडीओ निलंबित, पढ़ें पूरी खबर

छत्तीसगढ़ सरकार ने जीरो टॉलरेंस नीति पर अमल करते हुए सड़क निर्माण में हुए भ्रष्टाचार के मामले में लोक निर्माण विभाग के एक कार्यपालन अभियंता और दो एसडीओ को निलंबित कर दिया है।

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Harsh Verma
SUSPENDED

CG SDO Suspension: छत्तीसगढ़ में साय सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को जमीन पर उतारते हुए एक बार फिर सख्त रुख अपनाया है। लोक निर्माण विभाग (PWD) में सामने आए एक गंभीर भ्रष्टाचार मामले में राज्य शासन ने बड़ा फैसला लेते हुए एक ईई और दो एसडीओ को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई बीजापुर जिले में सड़क निर्माण कार्य में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार की पुष्टि के बाद की गई है।

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सड़क निर्माण कार्य में गड़बड़ी का मामला

पूरा मामला बीजापुर जिले के नेलसनार–कोडोली–मिरतुल–गंगालुर मार्ग के निर्माण से जुड़ा है। इस मार्ग के निर्माण कार्य में अनियमितताओं और भ्रष्टाचार की शिकायत सामने आने के बाद गंगालूर थाने में अपराध पंजीबद्ध किया गया था। पुलिस विवेचना के दौरान जब लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई, तब शासन ने विभागीय स्तर पर सख्त कदम उठाया।

इन अधिकारियों पर गिरी गाज

विवेचना में संलिप्तता पाए जाने पर जिन अधिकारियों को निलंबित किया गया है, उनमें लोक निर्माण विभाग संभाग सुकमा के कार्यपालन अभियंता हरनारायण पात्र, उपसंभाग क्रमांक-1 बीजापुर के अनुविभागीय अधिकारी प्रमोद सिंह तंवर और सेतु उपसंभाग जगदलपुर के अनुविभागीय अधिकारी संतोष दास शामिल हैं। तीनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

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उप मुख्यमंत्री की मंजूरी के बाद आदेश

इस कार्रवाई को उप मुख्यमंत्री एवं लोक निर्माण मंत्री अरुण साव की स्वीकृति के बाद अंजाम दिया गया। मंजूरी मिलते ही मंत्रालय स्तर से निलंबन आदेश जारी कर दिए गए। विभागीय सूत्रों के मुताबिक यह फैसला भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

निलंबन अवधि में मुख्यालय और भत्ता

निलंबन अवधि के दौरान तीनों अभियंताओं का मुख्यालय प्रमुख अभियंता कार्यालय, नवा रायपुर निर्धारित किया गया है। इस अवधि में उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता दिया जाएगा। साथ ही, मामले में आगे की विभागीय और कानूनी कार्रवाई भी जारी रहेगी।

इस कार्रवाई के जरिए राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि विकास कार्यों में भ्रष्टाचार किसी भी स्तर पर स्वीकार्य नहीं है। चाहे अधिकारी कितना ही वरिष्ठ क्यों न हो, दोषी पाए जाने पर कार्रवाई तय है। सरकार का मानना है कि सड़क, पुल और अन्य बुनियादी ढांचे के काम सीधे आम जनता से जुड़े होते हैं, ऐसे में इनमें गड़बड़ी जनता के साथ धोखा है।

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