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CG Medical PG Dispute: छत्तीसगढ़ में मेडिकल पीजी कोर्स में प्रवेश नियमों को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। राज्य सरकार द्वारा ऑल इंडिया कोटे के लिए 50 फीसदी और ओपन कैटेगरी के लिए 25 फीसदी सीटें तय किए जाने के बाद प्रदेशभर में इसका विरोध शुरू हो गया था। पीड़ित डॉक्टरों ने इसे स्थानीय छात्रों के साथ अन्याय बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल पीजी प्रवेश नियम पर स्टे लगा दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस पूरे मामले को दोबारा हाईकोर्ट भेजते हुए यू-टर्न लिया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद फिलहाल पीजी की काउंसिलिंग प्रक्रिया पर रोक लग गई है।
जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन का बयान
पीड़ित और प्रार्थी पक्ष की ओर से जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए गए स्टे से उन्हें बड़ी राहत मिली है। उन्होंने कहा कि इस फैसले से सीटों की खरीद-फरोख्त की आशंका पर रोक लगी है। हालांकि उन्होंने यह भी चिंता जताई कि काउंसिलिंग समय पर हो पाएगी या नहीं, इसे लेकर डर बना हुआ है।
उन्होंने कहा कि यदि काउंसिलिंग में ज्यादा देरी हुई तो जीरो ईयर घोषित होने का खतरा है, जिससे छात्रों का एक पूरा साल बर्बाद हो सकता है।
कांग्रेस ने सरकार के फैसले पर उठाए सवाल
कांग्रेस चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉक्टर राकेश गुप्ता ने स्वास्थ्य विभाग के फैसले को गलत बताया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्टे लगाया जाना इस बात का प्रमाण है कि सरकार का निर्णय सही नहीं था।
डॉ. गुप्ता ने सवाल उठाया कि जब किसी भी अन्य राज्य में 25 फीसदी ओपन कैटेगरी सीट का ऐसा नियम नहीं है, तो छत्तीसगढ़ में इसे क्यों लागू किया गया। उन्होंने सरकार से मांग की कि समय पर काउंसिलिंग सुनिश्चित की जाए, ताकि प्रदेश के युवाओं का भविष्य प्रभावित न हो।
जीरो ईयर का खतरा
डॉक्टर संगठनों और विपक्ष का कहना है कि अगर समय पर काउंसिलिंग नहीं होती है, तो मेडिकल पीजी में जीरो ईयर घोषित हो सकता है। इसका सीधा नुकसान छत्तीसगढ़ के स्थानीय युवाओं को होगा, जो पहले से ही सीमित संसाधनों में प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करते हैं।
विवाद की जड़ क्या है?
दरअसल छत्तीसगढ़ में लंबे समय से इंस्टीट्यूशनल डोमिसाइल का नियम लागू है। इसके विरोध के बाद राज्य सरकार ने 1 नवंबर को नया गजट नोटिफिकेशन जारी किया। इसमें हेल्थ साइंस यूनिवर्सिटी से संबद्ध मेडिकल कॉलेजों से एमबीबीएस करने वाले छात्रों को पीजी में प्रवेश देने की बात कही गई।
इसके बाद दिसंबर में एक और गजट नोटिफिकेशन जारी कर 50 फीसदी ऑल इंडिया कोटा पहले से तय रखते हुए 25 फीसदी सीटें ओपन कैटेगरी के लिए आरक्षित कर दी गईं। इसी फैसले के बाद प्रदेशभर में विरोध तेज हो गया।
अब सबकी नजर हाईकोर्ट पर
सुप्रीम कोर्ट के स्टे के बाद अब इस मामले की अगली सुनवाई हाईकोर्ट में होगी। डॉक्टर संगठनों, छात्रों और सरकार – सभी की नजरें अब हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी हुई हैं, क्योंकि इससे हजारों मेडिकल छात्रों का भविष्य जुड़ा हुआ है।
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