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Saumya Chaurasia Arrest: छत्तीसगढ़ में चर्चित शराब घोटाला (Liquor Scam) मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने एक बार फिर बड़ी कार्रवाई की है। राज्य प्रशासनिक सेवा की निलंबित अधिकारी सौम्या चौरसिया (Saumya Chaurasia) को आज पूछताछ के लिए तलब किया गया था। ईडी कार्यालय में चली लंबी पूछताछ के बाद एजेंसी ने उन्हें औपचारिक रूप से गिरफ्तार (Arrest) कर लिया है। ईडी सूत्रों के अनुसार, सौम्या चौरसिया को अब विशेष ईडी कोर्ट (ED Special Court) में पेश किया जाएगा, जहां आगे की न्यायिक प्रक्रिया तय होगी।
कोयला घोटाला मामले में भी रही हैं आरोपी
गौरतलब है कि सौम्या चौरसिया पहले से ही कोयला घोटाला (Coal Scam) मामले की प्रमुख आरोपियों में शामिल रही हैं। इस प्रकरण में उन्हें अन्य आरोपियों के साथ मई माह में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की शर्तों पर अंतरिम राहत मिली थी।
रिहाई के दौरान कोर्ट ने सख्त निर्देश दिए थे कि वे राज्य से बाहर रहें और जांच में पूरा सहयोग करें। अब शराब घोटाला मामले में उनकी गिरफ्तारी ने एक बार फिर राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में हलचल तेज कर दी है।
क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला
ईडी की जांच के अनुसार, कांग्रेस सरकार के कार्यकाल (2019–2023) के दौरान छत्तीसगढ़ की शराब नीति में कथित तौर पर बदलाव किए गए। आरोप है कि नीति इस तरह बनाई गई, जिससे चहेती कंपनियों (Favoured Companies) को फायदा पहुंचे।
जांच एजेंसियों का दावा है कि इन कंपनियों के जरिए नकली होलोग्राम और सील (Fake Hologram & Seal) तैयार कराई गईं, जिनका इस्तेमाल शराब की महंगी बोतलों पर किया गया। यह होलोग्राम नोएडा (Noida) की एक कंपनी द्वारा बनाए गए बताए जा रहे हैं।
सरकारी दुकानों से बिना टैक्स शराब की बिक्री का आरोप
ईडी के अनुसार, नकली होलोग्राम लगी शराब को सरकारी शराब दुकानों (Government Liquor Shops) के माध्यम से बेचा गया। चूंकि होलोग्राम फर्जी थे, इसलिए बिक्री का सही डेटा शासन तक नहीं पहुंचता था और एक्साइज टैक्स (Excise Tax) का भुगतान नहीं होता था।
इस तरह से कथित तौर पर करीब 2165 करोड़ रुपये (₹2165 Crore) के राजस्व का नुकसान राज्य को हुआ। जांच एजेंसियों का आरोप है कि इस रकम का उपयोग राजनीतिक गतिविधियों, भवन निर्माण और कुछ अधिकारियों व नेताओं तक पहुंचाने में किया गया।
अब तक कई बड़े नाम गिरफ्त में
शराब घोटाला मामले में अब तक कई बड़े नामों पर कार्रवाई हो चुकी है। इनमें पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा (Kawasi Lakhma), पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) के बेटे चैतन्य बघेल (Chaitanya Baghel), पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा (Anil Tuteja) और एजाज ढेबर (Aijaz Dhebar) के भाई अनवर ढेबर (Anwar Dhebar) शामिल हैं। इसके अलावा आबकारी विभाग (Excise Department) के 28 अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया था, जिन्हें बाद में सुप्रीम कोर्ट से जमानत (Bail) मिली।
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