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Bilaspur High Court: मेडिकल PG एडमिशन के नए नियम को HC में चुनौती, 5 डॉक्टरों ने दायर की याचिका, पुराने नियमानुसार 50-50 कोटा देने की मांग

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ में मेडिकल पीजी एडमिशन के लिए राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नए नियमों को पाँच चिकित्सकों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में कहा गया है कि स्टेट कोटा घटाने और ऑल इंडिया कोटा बढ़ाने से स्थानीय छात्रों को बड़ा नुकसान होगा।

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Harsh Verma
Bilaspur High Court

Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ में मेडिकल पीजी (Medical PG) एडमिशन के लिए राज्य सरकार द्वारा जारी नए नियम अब विवादों में घिर गए हैं। इन नियमों को चुनौती देते हुए पांच चिकित्सकों प्रभाकर चंद्रवंशी और अन्य ने हाईकोर्ट की शरण ली है। याचिका पर सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई, जहां कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए दो दिनों में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

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कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि जब तक याचिका पर अंतिम फैसला नहीं आ जाता, मेडिकल पीजी में प्रवेश प्रक्रिया उसकी आदेशों पर निर्भर रहेगी। यानी हाईकोर्ट का निर्णय ही आगे की एडमिशन प्रक्रिया को तय करेगा।

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नई नीति से स्थानीय छात्रों का नुकसान

याचिकाकर्ता डॉक्टरों ने अपनी याचिका में राज्य सरकार की नए नियमों की नीति को छात्रों के हित के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि पुराने नियमों में स्टेट कोटा और ऑल इंडिया कोटा (All India Quota) दोनों के लिए 50-50 प्रतिशत सीटें थीं। लेकिन नए नियमों में ऑल इंडिया कोटा बढ़ाकर 75 प्रतिशत कर दिया गया है और स्टेट कोटा घटाकर केवल 25 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे छत्तीसगढ़ के मेडिकल कॉलेजों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के लिए पीजी सीटें काफी कम हो जाएँगी।

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चिकित्सकों का कहना है कि एमबीबीएस के बाद दो साल दूरस्थ क्षेत्रों में अनिवार्य सेवा का नियम पहले से ही कड़ा था, जिसे पूरा करना स्थानीय छात्रों की जिम्मेदारी है। ऐसे में ऑल इंडिया कोटा बढ़ाने का मतलब है कि स्थानीय छात्रों को मेहनत के बाद भी कम अवसर मिलेंगे।

दूरस्थ क्षेत्रों में सेवा अनिवार्य, फिर भी घटा स्टेट कोटा

याचिकाकर्ताओं ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने पीजी एडमिशन के लिए यह भी शर्त रखी है कि एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्रों को दो साल दूरस्थ अस्पतालों में सेवा देनी होगी। यह सेवा पूरी करने के बाद ही वे पीजी प्रवेश के पात्र बनते हैं। लेकिन अब स्टेट कोटा घटने से वे छात्र, जो पहले ही कठिन सेवा शर्तें पूरी कर रहे हैं, सीटों की कमी के कारण एडमिशन से वंचित हो सकते हैं।

याचिका में यह मांग की गई है कि पुराने नियमों की तरह स्टेट और ऑल इंडिया कोटा फिर से 50-50 प्रतिशत किया जाए ताकि स्थानीय मेडिकल छात्रों के अवसर सुरक्षित रहें।

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अगला कदम अब राज्य सरकार के जवाब पर निर्भर

डिवीजन बेंच ने मामले को गंभीर मानते हुए नोटिस जारी किया है और राज्य सरकार से दो दिनों में विस्तृत जवाब मांगा है। इसके बाद ही आगे की सुनवाई होगी। फिलहाल मेडिकल पीजी एडमिशन प्रक्रिया हाईकोर्ट के अंतिम निर्णय पर निर्भर रहेगी, जिसे लेकर राज्य भर के चिकित्सा छात्र और डॉक्टर उत्सुकता से इंतज़ार कर रहे हैं।

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