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CG High Court Verdict: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने रायगढ़ जिले से जुड़े एक लंबे समय से चले आ रहे संपत्ति और किराया विवाद में महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट की डबल बेंच जस्टिस रंजनी दुबे (Justice Ranjani Dubey) और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद (Justice Amitendra Kishore Prasad) ने यह साफ कर दिया है कि यदि किरायेदार निर्धारित समय-सीमा के भीतर बकाया किराया जमा नहीं करता है, तो उसके खिलाफ बेदखली (Eviction) की कार्रवाई अनिवार्य रूप से की जाएगी।
क्या है पूरा मामला
यह प्रकरण क्रेश गायत्री देवी अग्रवाल एवं अन्य बनाम निर्मला देवी सिंघानिया एवं अन्य (Gresh Gayatri Devi Agrawal vs Nirmala Devi Singhania) से जुड़ा है। विवाद रायगढ़ जिले के ग्राम बैकुंठपुर (Village Baikunthpur), तहसील एवं जिला रायगढ़ स्थित खसरा नंबर 141/1/1 (Khasra No. 141/1/1) की भूमि और गोपाल सिंघानिया आ. धनसिंग के लकड़ी टाल, कोतरा रोड (Gopal Singhania Wood Depot, Kotra Road) से संबंधित है। मामले में लंबे समय से किराया बकाया होने के कारण संपत्ति मालिक और किरायेदार के बीच कानूनी विवाद चल रहा था।
हाईकोर्ट ने अपीलीय आदेश किया निरस्त
हाई कोर्ट ने 27 नवंबर 2025 को पारित अपने आदेश में किराया नियंत्रण प्राधिकरण, रायगढ़ (Rent Control Authority, Raigarh) द्वारा 25 मार्च 2022 को दिए गए मूल आदेश को बहाल रखा।
इससे पहले रायपुर स्थित किराया न्यायाधिकरण (Rent Tribunal, Raipur) ने अपील क्रमांक 31/2022 में 20 दिसंबर 2022 को उक्त आदेश को निरस्त कर दिया था।
हाई कोर्ट ने अपीलीय न्यायाधिकरण के फैसले को गलत ठहराते हुए कहा कि किराया नियंत्रण प्राधिकरण का आदेश कानून के अनुरूप था और उसे फिर से प्रभावी किया जाना चाहिए।
चार सप्ताह का अंतिम अवसर
हाई कोर्ट की डबल बेंच ने किरायेदार को आदेश की तारीख से चार सप्ताह के भीतर संपूर्ण बकाया किराया जमा करने का अंतिम अवसर (Last Opportunity) दिया है।
कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यदि इस निर्धारित समय-सीमा में किराया जमा नहीं किया गया, तो यह अवसर स्वतः समाप्त माना जाएगा और किरायेदार को किसी भी तरह की अतिरिक्त राहत नहीं मिलेगी।
दो माह में बेदखली की प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश
कोर्ट ने आगे निर्देश दिए हैं कि यदि किराया जमा नहीं किया जाता है, तो संबंधित प्राधिकरण छत्तीसगढ़ किराया नियंत्रण अधिनियम, 2016 (Chhattisgarh Rent Control Act, 2016) के नियम 7 (Rule 7) के तहत किरायेदार की बेदखली और किराया वसूली से जुड़ी पूरी कानूनी प्रक्रिया दो माह के भीतर पूरी करेगा।
याचिकाकर्ता की ओर से रखे गए तर्क
इस मामले में याचिकाकर्ता गायत्री देवी की ओर से छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट, बिलासपुर (Chhattisgarh High Court, Bilaspur) के अधिवक्ता मतीन सिद्दिकी (Mateen Siddiqui) ने प्रभावी पैरवी की। हाई कोर्ट ने उनके तर्कों से सहमति जताते हुए यह महत्वपूर्ण टिप्पणी की कि लंबे समय तक किराया न देने वाले किरायेदारों को कानून के नाम पर अनावश्यक संरक्षण नहीं दिया जा सकता।
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