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CG Naxal Surrender
CG Naxal Surrender:छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों के लगातार दबाव और सरकार की पुनर्वास नीति (rehabilitation policy) का असर एक बार फिर स्पष्ट दिखाई दिया है। बुधवार को गढ़चिरौली में 11 और कांकेर जिले में 4 नक्सलियों ने हथियार डालकर (Naxal Surrender) आत्मसमर्पण कर दिया। इस संयुक्त सफलता ने नक्सल मोर्चे पर सुरक्षा एजेंसियों (Security Forces) की पकड़ को और मजबूत किया है।
गढ़चिरौली में 11 नक्सलियों का सामूहिक आत्मसमर्पण
महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में बुधवार को बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला, जब 11 खतरनाक नक्सलियों ने डीजी रश्मि शुक्ला के सामने समर्पण किया। इन सभी पर कुल 82 लाख रुपये का इनाम घोषित था, जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी उपलब्धि साबित हुआ। वर्षों से छत्तीसगढ़–महाराष्ट्र बॉर्डर पर सक्रिय यह समूह कई हमलों और नक्सली वारदातों में शामिल रहा है।
इन नक्सलियों ने आत्मसमर्पण के दौरान चार हथियार भी पुलिस के हवाले किए, जिसे सुरक्षा बलों के लिए एक और महत्वपूर्ण सफलता माना जा रहा है। गढ़चिरौली पुलिस इसे हाल के वर्षों में नक्सल मोर्चे पर सबसे निर्णायक सरेंडर ऑपरेशनों में से एक (major anti-Naxal success) बता रही है।
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कांकेर में चार नक्सलियों ने हथियार डाले
दूसरी ओर, छत्तीसगढ़ के कांकेर (Kanker Naxal news) में भी सुरक्षा बलों को बड़ी सफलता मिली। यहां 4 नक्सलियों ने एसपी आई. कल्याण एलिसेला के सामने आत्मसमर्पण किया। इनमें सबसे बड़ी चर्चा का विषय रही मंजुला उर्फ लक्ष्मी पोटाई, जो वर्ष 2009 में हुए भयावह मदनवाड़ा हमले में शामिल रही थी। इस हमले में राजनांदगांव के एसपी विनोद चौबे सहित 29 जवान शहीद हुए थे, जिसे नक्सल इतिहास के सबसे दर्दनाक हमलों में गिना जाता है।
मंजुला पर 5 लाख रुपये का इनाम घोषित था। उसके साथ काजल उर्फ रजिता (8 लाख इनामी), विलास उर्फ चैतु उसेंडी (5 लाख इनामी) और रामसाय उर्फ लखन (5 लाख इनामी) ने भी हथियार डाल दिए। कुल मिलाकर कांकेर जिले में बुधवार को 23 लाख रुपये इनामी नक्सलियों ने मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया।
सरकार की नीति से टूट रही नक्सलवाद की कमर
कांकेर एसपी ने बताया कि ये सभी नक्सली लंबे समय से कई बड़ी घटनाओं में शामिल रहे थे और अलग-अलग जिलों में सक्रिय थे। उन्होंने कहा कि सरकार की नई पुनर्वास नीति (rehabilitation scheme) और लगातार चल रहे फोर्स के दबाव के कारण नक्सलियों में सरेंडर की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुलिस विभाग की ओर से 50–50 हजार रुपये की तत्काल सहायता राशि भी प्रदान की गई है। इसके अलावा उन्हें पुनर्वास कार्यक्रम के तहत सुरक्षा, आवास, शिक्षा और आजीविका से संबंधित लाभ भी उपलब्ध कराए जाएंगे।
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