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CG Medical PG Admission Rule Change: हाईकोर्ट के फैसले के बाद बदला PG कोटा, 50-50 फॉर्मूले पर विवाद तेज; सुप्रीम कोर्ट जाएगी सरकार

छत्तीसगढ़ में मेडिकल PG एडमिशन के नियम बदले जाने से विवाद तेज हो गया है। सरकारी नोटिफिकेशन के मुताबिक अब 50% सीटें संस्थागत और 50% ओपन मेरिट में बांटी जाएंगी। इससे स्थानीय MBBS छात्रों में भारी नाराजगी है।

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Shashank Kumar
CG Medical PG Admission Rule Change

CG Medical PG Admission Rule Change

CG Medical PG Admission Rule Change: छत्तीसगढ़ में मेडिकल पीजी एडमिशन (Medical PG Admission 2025) को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। राज्य सरकार ने 1 दिसंबर 2025 को नई गजट अधिसूचना जारी करते हुए PG सीटों के बंटवारे का नियम बदल दिया। अब सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों की सीटों को 50% संस्थागत और 50% ओपन मेरिट में बांटा गया है। यह बदलाव छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देशों के बाद किया गया है, लेकिन नए नियम ने राज्य के MBBS डॉक्टरों व स्टूडेंट्स में भारी नाराजगी पैदा कर दी है।

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सरकार ने साफ किया है कि वह इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट अपील (Supreme Court Appeal) दायर करेगी, क्योंकि हाईकोर्ट ने 20 नवंबर 2025 को अपने आदेश में कहा था कि PG जैसे उच्च विशेषज्ञता वाले कोर्स में मेरिट से समझौता नहीं किया जा सकता।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- ‘निवास आधारित आरक्षण अस्वीकार्य’

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Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी 2025 को डॉ. तन्वी बहल बनाम पंजाब राज्य (Dr. Tanvi Behl vs State of Punjab) केस में स्पष्ट कहा था कि PG मेडिकल कोर्स में निवास आधारित आरक्षण (Domicile Reservation) स्वीकार्य नहीं है। कोटे की सीटें केवल मेरिट लिस्ट एडमिशन (merit based admission) और उचित संस्थागत प्राथमिकता पर भरी जानी चाहिए।

इसी आधार पर छत्तीसगढ़ सरकार ने पुरानी व्यवस्था में संशोधन करते हुए नया 50%-50% मॉडल लागू किया है। हाईकोर्ट बिलासपुर ने भी अपने निर्णय में कहा था कि PG एक सुपर स्पेशियलिटी मार्ग है, इसमें किसी भी रूप में डोमिसाइल आधारित प्राथमिकता स्वीकार्य नहीं।

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क्यों बढ़ा विवाद ?

नये नियम के बाद छत्तीसगढ़ में पढ़े MBBS डॉक्टरों का सबसे बड़ा नुकसान हुआ है। पहले राज्य की 50% PG सीटें पूरी तरह ‘लोकल’ MBBS छात्रों के लिए थीं। इन्हें राज्य कोटा माना जाता था, जहां इंस्टीट्यूशनल प्रेफरेंस (Institutional Preference) 100% लागू होता था। अब नियम बदलकर राज्य कोटे की आधी सीटें ओपन मेरिट में डाल दी गईं। यानी इन सीटों पर दूसरे राज्यों के MBBS डॉक्टर भी बराबरी से प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे।

छत्तीसगढ़ डॉक्टर्स फेडरेशन (CGDF) ने इस मॉडल को “मेडिकल करियर का डेथ वारंट” बताते हुए कहा है- “अब राज्य के छात्रों को सिर्फ 25% सीटों का लाभ मिलेगा, बाकी पर बाहरी छात्रों का कब्जा बढ़ेगा।”

प्रदेशभर के मेडिकल स्टूडेंट्स और डॉक्टरों ने काली पट्‌टी बांधकर विरोध दर्ज कराया है। छात्र बोले- “यह फैसला हमारे मेडिकल फ्यूचर को खत्म कर देगा। अब प्रतिस्पर्धा सीमित न रहकर राष्ट्रीय स्तर की हो जाएगी।”

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HC ने क्या कहा था ?

CG High Court

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (CG High Court)ने मेडिकल पीजी एडमिशन में लागू 50% इंस्टीट्यूशनल प्रेफरेंस को समानता के अधिकार का उल्लंघन मानते हुए नियम 11 के खंड 11(ए) और 11(बी) को रद्द कर दिया। यह विवाद तब शुरू हुआ जब राज्य की रहने वाली लेकिन दूसरे राज्य के प्राइवेट कॉलेज से MBBS करने वाली डॉ. समृद्धि दुबे ने याचिका दायर की।

इंस्टीट्यूशनल प्रेफरेंस के कारण उन्हें राज्य की सीटों पर प्राथमिकता नहीं मिल रही थी, जबकि प्राइवेट सीटों में बाहर से पढ़े छात्रों के लिए कोई अलग कोटा मौजूद नहीं था। हाईकोर्ट के फैसले के बाद सरकार को नियमों में संशोधन करना पड़ा और यहीं से पूरा मामला और जटिल हो गया।

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पुराना नियम: राज्य कोटे की 100% सीटें छत्तीसगढ़ के लिए

पहले मेडिकल PG एडमिशन में नियम 11 (A) और 11 (B) के अनुसार—

  • राज्य कोटे की सीटें (50%) केवल छग के मेडिकल कॉलेजों से MBBS करने वाले छात्रों के लिए आरक्षित थीं।

  • यदि कुछ सीटें बच जाती थीं तो उन्हें छत्तीसगढ़ डोमिसाइल वाले लेकिन बाहरी राज्यों से MBBS किए छात्रों को दी जाती थीं।

इस मॉडल में राज्य के युवाओं को मेडिकल करियर में मजबूत मौका मिलता था।

नया नियम: राज्य कोटे की 50% सीटें अब ओपन मेरिट में

अब संशोधित नियम 11 के अनुसार- 

  • 50% सीटें - इंस्टीट्यूशनल प्रेफरेंस: केवल उन उम्मीदवारों के लिए जो छत्तीसगढ़ के NMC मान्यता प्राप्त कॉलेजों से MBBS हैं या सेवारत हैं।

  • 50% सीटें - ओपन मेरिट: इन पर कोई इंस्टीट्यूशनल प्रेफरेंस लागू नहीं होगा।
    मतलब, बाहर के MBBS डॉक्टर भी इन सीटों पर बराबरी से मौका पाएंगे।

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यही वजह है कि स्थानीय छात्रों को यह निर्णय अत्यधिक नुकसानदायक लग रहा है।

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