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CG Naxalite Surrender: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में आत्मसमर्पण की लहर लगातार तेज होती जा रही है। इसी कड़ी में नारायणपुर जिले में मंगलवार को कुल 28 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें 18 महिला नक्सली (Women Naxalites) भी शामिल हैं, जो लंबे समय से विभिन्न एरिया कमेटियों और डिवीज़नों में सक्रिय थीं।
सामूहिक सरेंडर कार्यक्रम के दौरान बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी (Sundarraj P), BSF (Border Security Force) और ITBP (Indo-Tibetan Border Police) के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। अधिकारियों ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को गर्मजोशी से स्वागत करते हुए मुख्यधारा में लौटने पर बधाई दी।
देखें तस्वीरें-
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एक महीने में 350 से अधिक नक्सलियों ने छोड़ा रास्ता
सरेंडर की यह घटना उस बड़ी श्रृंखला का हिस्सा है जो पिछले एक महीने से बस्तर में चल रही है।
एक महीने पहले 210 नक्सलियों ने सरेंडर किया था।
उसके कुछ दिनों बाद 140 नक्सलियों ने हथियार डाल दिए थे।
इन 140 नक्सलियों में शामिल था, सतीश उर्फ टी वासुदेव राव उर्फ रूपेश (Satish alias T Vasudev Rao alias Rupesh), जो सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM) था और माड़ डिवीजन व इंद्रावती एरिया कमेटी में सक्रिय था।
उस पर 1 करोड़ रुपये का इनाम घोषित था, जबकि बाकी कई नक्सलियों पर 5 लाख से 25 लाख तक के इनाम थे।
भारी हथियारों के साथ आत्मसमर्पण
इससे पहले हुए सरेंडर में नक्सलियों के कब्जे से बड़ी संख्या में हथियार बरामद किए गए थे। इनमें
AK-47 राइफल (AK-47 Rifle)
इंसास राइफल (INSAS Rifle)
SLR
303 राइफलें (303 Rifles)
जैसे घातक हथियार शामिल थे।
नक्सली हथियारों के साथ इंद्रावती नदी (Indravati River) के उसपरी घाट पर पहुंचे थे, जहां से सुरक्षा बलों ने उन्हें नाव के जरिए बीजापुर लेकर गया और फिर औपचारिक प्रक्रिया पूरी हुई।
सरेंडर करने वाले नक्सलियों का क्या कहना है?
प्राथमिक पूछताछ में अधिकांश नक्सलियों ने बताया कि लगातार दबाव, जंगलों में कठिन जीवन, संगठन के अंदर अविश्वास और पुलिस की पुनर्वास नीतियों ने उन्हें मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लेने पर मजबूर किया।
कई महिला नक्सलियों ने कहा कि वे शिक्षा, स्वास्थ्य और सामान्य जीवन चाहती थीं, जो संगठन में संभव नहीं था।
सरकार और सुरक्षा एजेंसियों की रणनीति रंग ला रही है
बस्तर IG सुंदरराज पी ने कहा कि यह सफलता सुरक्षा बलों, सरकार और आम जनता के सहयोग का परिणाम है। लगातार चल रहे आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति (Surrender & Rehabilitation Policy) ने नक्सलियों में भरोसा पैदा किया है।
अधिकारियों ने उम्मीद जताई कि आने वाले महीनों में और भी नक्सली हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होंगे।
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