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CG News:छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर पर स्थित करेंगुट्टा पहाड़ी, जिसे नक्सलियों का सबसे बड़ा ठिकाना माना जाता था, अब विकास की मुख्यधारा से जुड़ने जा रही है। राज्य सरकार ने यहां तक पहुंच बनाने के लिए लगभग 4 किलोमीटर लंबी सड़क (road construction in naxal area) को मंजूरी दे दी है। इस सड़क पर 5 करोड़ से अधिक की लागत आएगी और इसकी टेंडर प्रक्रिया पूरी हो चुकी है।
करीब 60 किलोमीटर लंबी करेंगुट्टा पहाड़ी वर्षों तक नक्सलियों के लिए “रणनीतिक सेफ जोन” रही है। लगभग 900 मीटर ऊंची इस पहाड़ी में दर्जनों प्राकृतिक गुफाएं हैं, जिन्हें नक्सली कैंप, हथियार निर्माण और बैठकों के लिए इस्तेमाल करते रहे। अब सड़क निर्माण के जरिए यहां चल रही सुरक्षा गतिविधियों में तेजी आएगी और स्थानीय लोगों की आवाजाही भी आसान होगी।
देश का दूसरा जंगल वारफेयर कॉलेज खुलेगा
इस सड़क निर्माण (cg road construction) का सबसे महत्वपूर्ण कारण यह है कि केंद्र सरकार इस पहाड़ी पर देश का दूसरा Jungle Warfare College (जंगल वारफेयर कॉलेज) स्थापित करने जा रही है। यह संस्थान जवानों को गुरिल्ला वारफेयर, जंगल ऑपरेशन और एंटी-नक्सल ट्रेनिंग देने के लिए तैयार किया जा रहा है।
हाल ही में, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ऑपरेशन ब्लैक फॉरेस्ट (Operation Black Forest) में शामिल जवानों से मुलाकात कर उनकी बहादुरी की सराहना की थी। करीब 5 महीने तक चले इस ऑपरेशन में सुरक्षा बलों ने पहली बार करेंगुट्टा के कई हिस्सों तक पहुंच बनाकर नक्सलियों के पुराने ठिकानों को ध्वस्त किया था।
गलगम से करेंगुट्टा को जोड़ेगी नई सड़क
पीडब्ल्यूडी के अनुसार यह सड़क उसूर ब्लॉक के गलगम गांव से शुरू होकर करेंगुट्टा की पहाड़ी तक पहुंचेगी। कुल 3.5–4 किलोमीटर की इस सड़क पर 5.29 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इस मार्ग में कई नदी-नाले और दुर्गम चट्टानी हिस्से आते हैं, इसलिए 12 नए पुल-पुलिया (culverts and small bridges) भी बनाए जाएंगे। अधिकारियों का कहना है कि सड़क बनने के बाद सुरक्षा बलों की आवाजाही में तेजी आएगी और स्थानीय गांवों तक जरूरी सुविधाएं भी आसानी से पहुंचेंगी।
नक्सल प्रभावित क्षेत्र में भरोसा बढ़ रहा है: पीडब्ल्यूडी
पीडब्ल्यूडी सचिव डॉ. कमलप्रीत सिंह ने कहा कि नक्सल प्रभावित इलाके में सड़क निर्माण यह संकेत देता है कि लोगों का भरोसा अब शासन और सुरक्षा एजेंसियों पर बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि विभाग की कोशिश है कि सड़क निर्माण समय-सीमा के भीतर पूरा कर लिया जाए ताकि पहाड़ी तक आम नागरिकों और जवानों की पहुंच आसान हो सके।
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2 दिसंबर तक सभी बड़े ऑपरेशन बंद
दंतेवाड़ा और बस्तर जिले में पुलिस ने नक्सलियों के आत्मसमर्पण को प्रोत्साहित करने के लिए बड़ा कदम उठाया है। 2 दिसंबर तक उन सभी ऑपरेशनों को रोक दिया गया है, जिनमें नक्सलियों का एनकाउंटर हो सकता है। इस अवधि को “ग्रीन जोन फेज (Green Zone for Surrender)” घोषित किया गया है, ताकि नक्सली सुरक्षित रूप से सामने आकर आत्मसमर्पण कर सकें।
रविवार को दंतेवाड़ा में 37 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, लेकिन कटेकल्याण और मलांगिर क्षेत्र से कोई नक्सली सामने नहीं आया। बताया जा रहा है कि इन दोनों इलाकों का पूरा कैडर कुख्यात नक्सली बारसा देवा (Barsa Deva) के साथ है और उसने अपने एरिया कमांडरों को जगरगुंडा इलाके में तलब किया है।
अगर बारसा देवा आत्मसमर्पण का आह्वान करता है, तो मलांगिर और कटेकल्याण के अधिकतर नक्सलियों के आत्मसमर्पण की संभावना है। इनमें 5 लाख के इनामी नंदकुमार, अर्जुन, महेश सोढ़ी, मंगली, डोले, सोमडु जैसे कई नक्सली शामिल हैं।
नक्सलियों की वापसी तेज होने की उम्मीद
विशेषज्ञ मानते हैं कि सड़क निर्माण, जंगल वारफेयर कॉलेज, पुलिस–CRPF की लगातार कार्रवाई और आत्मसमर्पण नीति, इन सबके संयुक्त असर से बस्तर में नक्सल हिंसा में तेज गिरावट (decline in naxal violence) दिख रही है। स्थानीय लोग इसे “दशकों बाद विकास की असली शुरुआत” बता रहे हैं।
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