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हिड़मा का अंतिम संस्कार
हाइलाइट्स
माड़वी हिड़मा और पत्नी राजे का अंतिम संस्कार
गांव में पसरा मातम
1 करोड़ का इनामी था माड़वी हिड़मा
Chhattisgarh Naxalite Encounter: छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की सीमा पर हुए बड़े नक्सल ऑपरेशन में मारे गए मोस्ट वांटेड माओवादी माड़वी हिड़मा और उसकी पत्नी राजे का सोमवार को उनके पैतृक गांव पूवर्ती में अंतिम संस्कार किया गया। गांव में माहौल बेहद भावुक था। अंतिम दर्शन के लिए पूवर्ती, जबगट्टा, बटुम, टेकलगुडेम और मीनट्टा गांवों से बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंचे।
अंतिम संस्कार से पहले सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोढ़ी हिड़मा के शव से लिपटकर रो पड़ीं। उन्होंने शव पर काली पैंट और शर्ट डालकर अंतिम सम्मान दिया। वहीं हिड़मा की पत्नी राजे को लाल जोड़े में विदाई दी गई। परिवार ने पहले ही प्रशासन से मांग की थी कि हिड़मा का अंतिम संस्कार गांव में ही किया जाए, जिसके बाद अनुमति दी गई।
1 करोड़ के इनामी हिड़मा का सफर
माड़वी हिड़मा, जिसे घर में ‘देवा’ कहा जाता था, सुकमा जिले के पूवर्ती गांव का रहने वाला था। उम्र लगभग 50 वर्ष और कद 5.5 फीट। बचपन से तेज, चुस्त और फुर्तीला। हिड़मा ने गांव के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई की थी। करीब 15–16 साल की उम्र में नक्सल संगठन के सदस्य उसे अपने साथ ले गए और ‘बाल संघम’ में शामिल कर लिया।
जनताना स्कूल में उसे हथियारों की शुरुआती ट्रेनिंग मिली। उसकी फुर्ती और चालाकी देखकर उसे LOS (Local Observation Squad) में जगह दी गई, जहां वह जल्दी ही प्रभावशाली फाइटर साबित हुआ।
बस्तर में 26 बड़े हमलों का मास्टरमाइंड
हिड़मा ने नक्सली संगठन में तेजी से तरक्की की। वह प्लाटून कमांडर, कंपनी कमांडर और बाद में मिलिट्री बटालियन नंबर–1 का कमांडर बना। इस बटालियन में 300–400 तक नक्सली शामिल थे, जिनकी कमान हिड़मा के हाथ में थी।
2006–07 से लेकर 2022 तक बस्तर में हुए ज्यादातर बड़े हमलों में उसका दिमाग था। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार, वह करीब 300 से अधिक जवानों और आम नागरिकों की हत्या का जिम्मेदार था।
करीब डेढ़ साल पहले हिड़मा को नक्सल संगठन की सेंट्रल कमेटी में शामिल किया गया था। उस पर 1 करोड़ रुपए का इनाम घोषित था।
छत्तीसगढ़ से तेलंगाना और फिर आंध्र के जंगलों तक
कुछ महीनों पहले फोर्स के बढ़ते ऑपरेशन के कारण हिड़मा कर्रेगुट्टा के जंगलों से भागकर पहले तेलंगाना और फिर आंध्र प्रदेश के इलाकों में छिप गया था। इंटेलिजेंस की पुख्ता सूचना पर 18 नवंबर को फोर्स ने हिड़मा, उसकी पत्नी और चार अन्य नक्सलियों को मुठभेड़ में मार गिराया।
गांव में अंतिम संस्कार के दौरान हालांकि उसके पिछले अपराधों को लेकर विरोध नहीं दिखा, लेकिन माहौल शांतिपूर्ण रहा। ग्रामीणों ने कहा कि देवा का रास्ता गलत था, लेकिन वह भी उनका बेटा था, इसलिए उसे गांव में विदाई मिली।
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