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कांकेर में बस्तर बंद का दिखा असर
Bastar Band Protest :छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में सर्व आदिवासी समाज ने कांकेर के कांग्रेस नेता और चारामा पूर्व जनपद अध्यक्ष जीवन ठाकुर की रायपुर सेंट्रल जेल में संदिग्ध मौत के विरोध में व्यापक बंद (Bastar Band) का आह्वान किया है। इसका असर कांकेर और सुकमा में सुबह से ही दिखने लगा है।
शहरों में सभी दुकानें और प्रतिष्ठान बंद रहे, सड़कों पर सन्नाटा पसर गया है और लोग न्याय की मांग को लेकर एकजुट दिखे। यह बंद जीवन ठाकुर को 2 दिसंबर को बिना सूचना कांकेर से रायपुर शिफ्ट करने और 4 दिसंबर को उनकी मौत के बाद की वजह से किया गया है।
जेल प्रशासन पर लापरवाही के आरोप
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जीवन ठाकुर 2024 से वन अधिकार पट्टा घोटाले में जेल में थे, जब 2 दिसंबर को अचानक रायपुर सेंट्रल जेल भेजे गए। जेल प्रशासन के अनुसार, यहां तबीयत खराब होने पर अस्पताल ले जाया गया। लेकिन, 4 दिसंबर को उनकी मौत (Jivan Thakur Jail Death) हो गई।
परिजनों ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें कोई गंभीर बीमारी नहीं थी और सही समय पर इलाज मिला होता तो जान बच सकती थी। इसके अलावा पूर्व सूचना शिफ्टिंग ने परिवार को स्तब्ध कर दिया। जेल पक्ष का कहना है कि स्वास्थ्य बिगड़ने से ही निधन हुआ, लेकिन यह विवादास्पद मामला अब न्यायिक जांच के दायरे में है।
कांकेर-सुकमा में सन्नाटा छाया
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बंद के आह्वान पर कांकेर शहर में व्यापक प्रभाव दिखा। जहां सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद (Kanker-Sukma Shutdown) रहे और सड़कें वीरान रहीं। वहीं सुकमा में भी सर्व आदिवासी समाज की अपील पर दुकानें बंद कर विरोध दर्ज किया गया।
आदिवासी समुदाय ने इसे जेल प्रशासन की लापरवाही के खिलाफ एकजुटता का प्रतीक बनाया, जो पूरे बस्तर क्षेत्र में फैल गया। इस शांतिपूर्ण लेकिन प्रभावी बंद ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रायपुर ने जांच के आदेश जारी कर दिए हैं, जो जेल शिफ्टिंग, इलाज और मौत के कारणों की बारीकी से पड़ताल करेगी। परिजनों की मांग है कि पूरी सच्चाई सामने आए और दोषियों को सजा मिले, जबकि समाज का बंद इसी न्याय की पुकार है। यह घटना आदिवासी क्षेत्रों में जेल व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है।
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