भोपाल। नई सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार 16 दिसंबर को हो सकता है। इस बार के मंत्रिमंडल में नए चेहरों को शामिल करने की संभावना है। पीएम मोदी की सहमति के बाद मंत्रिमडंल के विस्तार की घोषणा होगी।
प्रदेश में बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने मोहन यादव को सीएम बनाकर सब को चौंका दिया था। ऐसा कुछ इस बार के मंत्रिमंडल विस्तार में देखने को मिल सकता है। क्योंकि प्रदेश में किसे मंत्री बनाया जाएगा ये फैसला भी दिल्ली से होगा। राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश नाम फाइनल करेंगे।
क्या कहता है ज्योतिषीय गणित
नए सीएम के बाद अब मंत्रिमंडल के विस्तार की खबरें जोर पकड़ रही हैं। इस बार मंत्रिमंडल में किसे जगह मिलेगी इसे लेकर भी चर्चाएं हैं। माना जा रहा है कि शनिवार को मंत्रिमंडल का विस्तार संभव है। लेकिन इसके लिए शनिवार का दिन चुने जाने के भी कई मायने निकाले जा रहे हैं। ज्योतिष पक्ष की बात करें तो विशेषज्ञ बताते हैं कि शनिवार का दिन शनिराज का दिन होता है। हाथ की सबसे बड़ी अंगुली शनि की मानी जाती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार शनिराज सत्ता के राजा हैं। जिन नेताओं की राशि मकर या कुंभ है उन्हें शनिवार का दिन लाभ दिला सकता है। यानि इन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। मध्यप्रदेश में कुछ पुराने नेताओं की राशि कुंभ है। इसके अलावा जिन जातकों को की कुंडली में शनि उच्च के यानि कुंभ राशि के और भाग्ये हैं। उनके लिए अच्छा पद मिल सकता है।
कैलाश विजयवर्गीय और प्रहलाद पटेल ने नाम पर संशय
जानकारों का मानना है कि इस बार बीजेपी में नए चेहरों को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। वहीं राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय व पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल पर अब संशय बरकरार है कि इन्हें क्या जिम्मेदारी दी जाएगी।
इंदौर 1 विधानसभा से इस बार के विधायक और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय पहले भी मंत्री रह चुके हैं। वे उमा भारती, बाबूलाल गौर और शिवराज सरकार मंत्री पद संभाल चुके हैं। इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री पटेल भी केंद्र में 2 दफा मंत्री पद संभाल चुके हैं। संभावना है कि पार्टी इस दोनों ही मंत्रियों को मंत्री बना सकती है।
इन पूर्व सांसदों को बनाया जा सकता है मंत्री
इस बार के चुनाव में पूर्व 3 सांसद विधायक बने हैं जिनमें राकेश सिंह, राव उदय प्रताप सिंह और रीति पाठक शामिल हैं। सूत्रों की माने तो पार्टी इन्हें मंत्री बना सकती है।
कहा तो ये भी जा रहा है कि इस बार पार्टी पहली बार के विधायकों को भी मंत्री बना सकती है। साथ ही मंत्रिमंडल के गठन में संघ की भूमिका अहम रहेगी। वो इसलिए भी क्योंकि हाल में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने तीन राज्यों में मुख्यमंत्रियों की घोषणा की ये सभी मुख्यमंत्री संघ के करीबी माने जाते हैं।
ग्वालियर-चंबल:
इस बार के चुनाव में बीजेपी ने ग्वालियर-चंबल संभाग से भाजपा ने 34 में से 17 सीटें जीती हैं। इस अचंल से बीजेपी के 9 मंत्री आते हैं। लेकिन इस बार कितने मंत्री इस इलाके से होंगे सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं। मुरैना की दिमनी सीट से जीते केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है।
वहीं शिवपुरी की पिछोर सीट से पहली बार जीते विधायक प्रीतम लोधी का दावा भी मंत्री बनने के लिए मजबूत माना जा रहा है वे ओबीसी से आते हैं, जातीय समीकरण को साधने के लिए बीजेपी उन्हें मंत्री बना सकती है।
इसके अलावा सिंधिया समर्थक प्रद्युम्न सिंह तोमर को भी एक बार फिर मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। वहीं बृजेंद्र सिंह यादव को फिर मंत्री बनाया जाए इस पर संशय की स्थिति नजर आ रही है। साथ ही बीजेपी इस बार संघ के करीबी माने जाने वाले विधायक मोहन सिंह राठौर मंत्री बना सकती है।
मालवा- निमाड़:
इस बार बीजेपी ने मालवा-निमाड़ में चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है। इस इलाके से बीजेपी के 9 मंत्री आते हैं। यहां कुल 66 में से बीजेपी ने 48 सीटों पर जीत दर्ज की है। इसी इलाके से नए सीएम मोहन यादव भी आते हैं। माना जा रहा है कि बीजेपी अब इसी इलाके से सज्जन सिंह वर्मा को चुनाव हराने वाले राजेश सोनकर को मंत्री बना सकती है।
जानकारों का कहना है कि पार्टी ने जगदीश देवड़ा को डिप्टी सीएम बनाया है। संभावना जताई जा रही है कि नीमच के जावद से विधायक एंव एमएसएमई मंत्री ओम प्रकाश सकलेचा को इस बार मंत्री पद मिलना मुश्किल है।
उनके स्थान पर जावरा से विधायक राजेंद्र पांडे को मौका मिल सकता है। वहीं निमाड़ की बात करें तो यहां से मंत्री प्रेम सिंह पटेल चुनाव हार गए हैं। इसलिए अब अर्चना चिटनीस का दावा मजबूत नजर आर रहा है।
बुंदेलखंड:
इस बार चुनाव में बीजेपी ने बुंदेलखंड में 26 में से 21 सीटों पर जीत दर्ज की है। पिछली बार बीजेपी ने इस इलाके से 5 मंत्री बनाए थे। 5 में से 4 मंत्री इस बार चुनाव जीते हैं। इस बार बुंदेलखंड की दमोह विधानसभा से पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया भी चुनाव जीते हैं। वहीं छतरपुर विधानसभा से चुनाव जीती ललिता यादव और हरिशंकर खटीक का दावा भी इस बार मजबूत नजर आ रहा है। तीनों नेताओं के आधार पर पार्टी इस बार इन्हें मंत्री बना सकती है।
इसके साथ ही क्षेत्रीय संतुलन बनाने के लिए शैलेंद्र और प्रदीप को सरकार में अन्य कोई महत्वपूर्ण जिम्मेदारी भी दी जा सकती है।
भोपाल-नर्मदापुरम:
इस अचंल में कुल 36 सीटें आती हैं बीजेपी ने इस बार मध्यक्षेत्र से 31 सीटों पर जीत दर्ज की है। पिछली बार मध्यक्षेत्र से मंत्रिमंडल में 4 मंत्रियों को जगह मिली थी। बताया जा रहा है कि बैतूल से विधायक हेमंत खंडेलवाल को इस बार मंत्री बनाया जा सकता है। वे प्रदेश भाजपा के कोषाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर रह चुके हैं।
इसके अलावा भोपाल- नर्मदापुरम क्षेत्र से डा. प्रभुराम चौधरी मंत्री हैं। 8 बार के विधायक करण सिंह वर्मा और 4 बार के विधायक सुरेंद्र पटवा भी मंत्री पद के दावेदार हैं।
विंध्य क्षेत्र:
बघेलखंड से पिछली सरकार में 4 मंत्री थे, लेकिन इस चुनाव में एक मंत्री राम खेलावन पटेल हार गए हैं। विधानसभा अध्यक्ष का पद भी इस क्षेत्र के खाते में था। लेकिन भाजपा ने इस बार पिछले चुनाव की तुलना में एक सीट ज्यादा जीती है। यहां से डिप्टी सीएम का पद रीवा से विधायक राजेंद्र शुक्ला को दिया गया है। ऐसे में यहां से 3-4 मंत्री हो सकते हैं।
नए मंत्रियों की बात करें तो सांसद रीति पाठक को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। नए चेहरे के तौर पर सिरमौर से विधायक दिव्यराज सिंह को मंत्री बनाया जा सकता है। पिछली बार इस अंचल से पिछली सरकार में मंत्री रहे मीना सिंह और बिसाहूलाल सिंह फिर से जीत गए हैं।
महाकौशल:
महाकौशल क्षेत्र में कुल 38 विधानसभा सीटें आती हैं। इस क्षेत्र से बीजेपी ने इस बार के चुनाव में 21 जीती हैं। पिछली बार इस क्षेत्र से 2 मंत्री बनाए गए थे। एक मंत्री को चुनाव के ठीक पहले ही बनाया गया था
पिछली बार यहां से सिर्फ दो विधायक, रामकिशोर कांवरे और गौरीशंकर बिसेन को मंत्रिमंडल में जगह मिली थी। बिसेन को चुनाव से ठीक पहले मंत्री बनाकर जातीय समीकरण साधने की कोशिश की गई थी।
जानकारों का मानना है कि इस बार मंत्रिमंडल के गठन में महाकौशल की उपेक्षा नहीं की जाएगी। ऐसे में संजय पाठक, संपतिया उइके और सांसद राव उदय प्रताप सिंह को मंत्रिमडंल में शामिल किया जा सकता है।
वहीं नरसिंहपुर से पहली बार विधायक बने वरिष्ठ नेता प्रहलाद पटेल की सरकार में क्या भूमिका रहेगी। ये अभी तक स्पष्ठ नहीं हो पाया है।
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