Swachh Survekshan Award MP: स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के अवार्ड घोषित हो गए हैं। इंदौरियों ने स्वच्छता को कल्चर के रूप में जिस तरह से अपनाया उसी के कारण इंदौर लगातार 7वी बार देश का सबसे स्वच्छ शहर का खिताब (Swachh Survekshan Award MP) हासिल कर सका।
वहीं चार साल बाद भोपाल टॉप—5 में वापसी कर सका है। इसकी वजह सिक्स बिन है। स्वच्छता से जुड़े अफसरों की माने तो गीले, सूखे, मेडिकल समेत 5 तरह के कचरे की प्रोसेसिंग में भोपाल में बेहतर काम हुआ है।
राजधानी भोपाल देश का पांचवा सबसे साफ शहर
स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 (Swachh Survekshan Award MP) में राजधानी भोपाल देश का पांचवा सबसे साफ शहर है। वर्ष 2022 में यह छठें पायदान पर था। 2017 और 2018 में भोपाल में देश में दूसरी रैंक हासिल की थी।
साल 2019 में रैंक गिरकर 19वे पायदान पर पहुंच गई थी। वर्ष 2020 में भोपाल ने कमबैक किया और 7वें पायदान पर आ गया। 2021 में भोपाल ने अपनी यह स्थिति बरकरार रखी और अब 4 साल बाद भोपाल ने वापस टॉप 5 में अपनी जगह बना ली है।
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5 तरह के कचरे की प्रोसेसिंग में आगे बढ़ाए कदम
राजधानी में हर रोज औसत 800 टन कचरा निकलता है। इसमें 300 टन गीला और 500 टन सूखा कचरा रहता है। वहीं, मेडिकल वेस्ट भी निकलता है।
तत्कालीन निगम कमिश्नर केवीएस चौधरी कोलसानी ने सीएंडडी प्लांट, बायो सीएनजी और चारकोल प्लांट को लेकर एजेंसियों से एग्रीमेंट किया था। गीले और सूखे कचरे को लेकर निगम ने काफी कारगार कदम आगे बढ़ाए। यही कारण है कि रैंकिंग में सुधार हुआ।
निगम अध्यक्ष के ढोल पर नाचे सफाई मित्र
स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 (Swachh Survekshan Award MP) के अवार्ड की घोषणा होते ही भोपाल नगर निगम में खुशी का माहौल छा गया। बीएमसी कार्यालय के सामने नगर निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने ढोल बजाया, जिस पर सफाई मित्र जमकर नाचे। इस दौरान निगम अध्यक्ष किशन सूर्यवंशी ने कर्मचारियों का मुंह मीठा कराया।
इंदौर स्वच्छता के 7वे आसमान पर
इंदौर लगातार 7वी बार देश में पहले पायदान (Swachh Survekshan Award MP) पर आया है। गार्बेज फ्री सिटी में 7 स्टार मिले हैं। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के माडल पर शहर में गीले, सूखे कचरे व मलबे की प्रोसेसिंग और कार्बन क्रेडिट से और निगम को प्रतिवर्ष 13 से 14 करोड़ रुपये की कमाई भी हो रही।
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इंदौरी खुद ही गीला—सूखा कचरा अलग-अलग कर देते हैं
सफाई को लेकर अब कहा जाने लगा है कि इंदौरी होना आसान नहीं। यहां के लोगों ने सफाई को कल्चर के रूप में अपना लिया है। दूसरे शहरों में गंदगी करने पर संबंधित नगरीय निकाय स्पॉट फाइन करता है।
इंदौर में लोग न खुद गंदगी करते हैं और न ही किसी को करने देते हैं। दूसरे शहरों में जिम्मेदार एजेंसियां कचरे को अलग—अलग करती है, लेकिन इंदौर में करीब 35 लाख लोग खुद ही गीला—सूखा कचरा अलग—अलग करके निगम को देते हैं।
इंदौर की सड़कों पर ताक धिना धिन
इंदौर फिर नंबर वन होगा इसकी सभी को पहले से उम्मीद थी। इसलिए तैयारियां भी पहले से ही कर रखी थी। जैसे ही अवार्ड (Swachh Survekshan Award MP) की घोषणा हुई। इंदौर की सड़कों पर ढोलक की थाप पर नगर निगम के स्वच्छताकर्मी नाचते हुए नजर आए।
इंदौर डोर टू डोर कचरा कलेक्शन, छांटे गए कचरे का रीयूज, वेस्ट जनरेशन vs प्रोसेसिंग, कचरे का ट्रीटमेंट, आवासीय और व्यावसायिक क्षेत्रों में सफाई सभी में टॉप पर रहा है।
इंदौरिया का कल्चर बताने ये एक किस्सा ही काफी है
साल 2020 में एक कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इंदौर को लेकर एक किस्सा सुनाया था। उन्होंने कहा था कि—
“जापान का एक व्यक्ति मेरा काउंटर पार्ट था। मुझे भी थोड़ी बहुत जापानी भाषा आती है तो मैंने उनसे पूछा था कि इंदौर में आपने क्या देखा। उन्होंने बताया कि मैं गंदगी ढूंढने के लिए शहर में घूमने निकला था, लेकिन गंदगी कहीं मिली नहीं। इससे बड़ी तारीफ किसी शहर के लिए क्या ही हो सकती है।”
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