नई दिल्ली। August Panchak 2023: ज्योतिष में पंचक वह गोचर काल कहलाता है जब कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता। ऐसे में यदि आप भी अगस्त में कोई शुभ काम करने वाले हैं तो आपके लिए जानना जरूरी है कि अगस्त में पंचक (August Panchak 2023 Date) कब शुरू हो रहे हैं। साथ ही इस आर्टीकल में हम आपको बताएंगे कि पंचकों में क्या करना चाहिए क्या नहीं।
अगस्त 2023 में पंचक कब से हैं (August Panchak 2023)
हिन्दू पंचांग और ज्योतिषीय गणना के अनुसार अगस्त में पंचकों की शुरुआत 2 तारीख से हो रही है। जिनकी समाप्ति 6 अगस्त को समाप्त होगी। इस बार अगस्त में आने वाले पंचकों को नाम राज पंचक है। चूंकि ये बुधवार से शुरू हो रहे हैं। ज्योतिष के अनुसार बुधवार के दिन से शुरू होने वाले पंचकों को राज पंचक कहते हैं।
अगस्त में पंचक का समय, तिथि (August Panchak Date-Time)
पंडित राम गोविंद शास्त्री के अनुसार अगस्त में पंचक 2 अगस्त बुधवार को रात 11:26 बजे से शुरू हो रहे हैं। जो 6 अगस्त को रात 1:42 मिनट पर समाप्त होंगे।
पंचक में क्या नहीं करना चाहिए (Panchak me Kya Nahi Karen)
जिस पंचक के दौरान किसी भी शुभ कार्य को करने की मनाही है। उसमें पांच कार्य भूलकर भी नहीं किए जाने चाहिए। पंचक में लकड़ी घर में लाना या फिर उससे बने सामान खरीदना। चारपाई बुनना, घर की छत ढलवाना, दक्षिण दिशा की यात्रा करना और घर को पेंट आदि करवाना सख्त मना है।
पंचक से जुड़े जरूरी नियम (Panchak Rules)
- पंचक के समय लकड़ी या फिर लकड़ी से बने सामान को खरीदना या घर पर बनवाना नहीं चाहिए।
- पंचक में चारपाई बुनवाने और घर की छत ढलवाने की भी विशेष रूप से मनाही है।
- पंचक के दौरान यदि बहुत जरूरी न हो तो दक्षिण दिशा की यात्रा भूलकर नहीं करवाना चाहिए। दरअसल, दक्षिण को यम की दिशा माना गया है।
- इसी प्रकार पंचक के समय घर की पेंटिंग का कार्य नहीं शुरु करना चाहिए।यदि ये कार्य करवाने हों तो आप पंचांग की मदद से पंचक की जानकारी लेकर आगे–पीछे करवा सकते हैं।
- पंचक के दौरान किसी परिजन की मृत्यु हो जाए तो उसका अंतिम संस्कार खास विधि से करना चाहिए। उसके साथ 4 मोतिचूर के लड्डू या नारियल रख देना चाहिए। इससे परिवार का संकट टल जाता है।
आखिर क्या होते हैं पंचक (What is Panchak)
ज्योतिष में कुछ नक्षत्रों को अत्यंत अशुभ मानते हुए उसमें कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत नहीं की जाती है। ज्योतिष के अनुसार धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद एवं रेवती समेत पांच नक्षत्रों की युति अत्यंत ही अशुभ मानी जाती है।
ज्योतिष के अनुसार कुंभ और मीन राशि में चंद्रमा को गोचर पंचक कहलाता है। ऐसा माना जाता है कि पंचकों में घर के किसी सदस्य की मृत्यु होने पर परिवार को भी मृत्यु तुल्य कष्ट को भोगना पड़ता है।
रावण की मृत्यु भी पंचक काल में हुई थी। मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति की मृत्यु पंचक में हो जाए तो उसके खानदान के 5 सदस्यों की या तो मृत्यु हो जाती है या उन्हें मृत्यु जैसा कष्ट भुगतना पड़ता है। ज्योतिष पंडित राम गोविन्द शास्त्री के अनुसार पंचक के दौरान कुछ विशेष कार्य भूलकर भी नहीं करना चाहिए।
कितने प्रकार का होता है पंचक (Type of Panchak)
पंचांग के अनुसार यदि पंचक रविवार को पड़े तो रोग पंचक और सोमवार को पड़े तो राज पंचक कहलाता है। इसी प्रकार यदि पंचक मंगलवार को पड़े तो अग्नि पंचक और शुक्रवार को पड़े तो चोर पंचक कहलाता है। जबकि शनिवार के दिन पड़े वाले पंकच को मृत्यु पंचक कहा जाता है। इसके अलावा बुधवार और गुरुवार को सोमवार और मंगलवार के पंचक को माना जा सकता है।
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